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सच और झूठ के बीच कोई तीसरी चीज नहीं होती और मैं सच के साथ हूं : छत्रपति       www.poorasach.com      

Saturday, 26 November 2011

मैं हुण उसनूं भाल रिहा...

मैं हुण उसनूं भाल रिहा हां,
हुण तक जिसदे नाल रिहा हां।
जो सब नूं ही चानण वंडण,
मैं ओह दीवे बाल रिहा हां।
ओह हुण वार करे मेरे ते,
बणके जिसकी ढाल रिहा हां।
मोड़ उमर दे ते मैं सोचां,
जिंदा किन्ने साल रिहा हां।
देण सहारा जो जीवण नूं,
मैं ओह सुपने पाल रिहा हां।
अज्ज 'अनूप' करे जो औखा,
कल ते उसनूं टाल रिहा हां।
-अनुपिंद्र सिंह 'अनूप'

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