मंडी आदमपुर। इनेलो प्रमुख व हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री चौ. औमप्रकाश चौटाला ने इस बार आदमपुर में बदलाव लाने और इनेलो प्रत्याशी रामसिंह बसवाना को विजयी बनाने की अपील की है। बुधवार को आदमपुर विधानसभा क्षेत्र के करीब डेढ़ दर्जन गांवों में चुनावी सभाओं को संबोधित करते हुए चौटाला ने कहा कि आज जात-पात जहर फैलाने वालों, परिवारवाद को बढ़ावा देने वालों, झूठ व लूट की राजनीति करने वालों और कांगे्रस की जनविरोधी नीतियों का करारा जवाब देने के लिए इस क्षेत्र से बसवाना ही एकमात्र सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार हैं और उनकी जीत के साथ ही यहां से पिछले 43 सालों से एक ही परिवार का कब्जा न सिर्फ खत्म होगा बल्कि प्रदेश में निश्चित तौर पर हुड्डा सरकार का सफाया होते ही आपकी अपनी मनचाही इनेलो की सरकार बनेगी।
श्री चौटाला ने कहा कि कांग्रेस ने पिछले सात सालों से लोगों को महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, कालाबाजारी व भूखमरी के अलावा कुछ नहीं दिया और आज आम आदमी की हालत बेहद खराब हो गई है। कांग्रेस ने न सिर्फ विकास व रोजगार के मामले में क्षेत्र की अनदेखी की बल्कि यहां पर एक ईंट भी नहीं लगाई गई। उन्होंने कहा कि आज सभी जरूरी चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं और लोगों को बिजली पानी संकट के साथ-साथ पीने के लिए भी स्वच्छ पानी नहीं मिल रहा। उन्होंने कहा कि किसानों की हालत आज बेहद खराब है। पिछले साल जो नरमा कपास 7200-7300 रुपये बिका करता था आज 3500 रुपये बिक रहा है। उन्होंने कहा कि बाजरे की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार द्वारा खरीद नहीं की जा रही और बासमती धान 20 साल पहले मिलने वाले रेट से भी कम पर बिक रहा है। दूसरी तरफ किसानों का लागत मूल्य कई गुणा बढ़ गया है।
श्री चौटाला ने कहा कि कांग्रेस ने पिछले सात सालों से लोगों को महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, कालाबाजारी व भूखमरी के अलावा कुछ नहीं दिया और आज आम आदमी की हालत बेहद खराब हो गई है। कांग्रेस ने न सिर्फ विकास व रोजगार के मामले में क्षेत्र की अनदेखी की बल्कि यहां पर एक ईंट भी नहीं लगाई गई। उन्होंने कहा कि आज सभी जरूरी चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं और लोगों को बिजली पानी संकट के साथ-साथ पीने के लिए भी स्वच्छ पानी नहीं मिल रहा। उन्होंने कहा कि किसानों की हालत आज बेहद खराब है। पिछले साल जो नरमा कपास 7200-7300 रुपये बिका करता था आज 3500 रुपये बिक रहा है। उन्होंने कहा कि बाजरे की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार द्वारा खरीद नहीं की जा रही और बासमती धान 20 साल पहले मिलने वाले रेट से भी कम पर बिक रहा है। दूसरी तरफ किसानों का लागत मूल्य कई गुणा बढ़ गया है।
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