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सच और झूठ के बीच कोई तीसरी चीज नहीं होती और मैं सच के साथ हूं : छत्रपति       www.poorasach.com      

Thursday 12 February 2015

झाड़ू के प्रकार

दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने अप्रत्याशित जीत हासिल की है। किसी भी दल की जीत के साथ उसके चुनाव चिन्ह की पहचान भी बनती है। और यदि कहा जाए कि मौजूदा दौर में चुनाव चिन्ह और दल का नाम उस दल की पहचान बनाने में अहम भूमिका अदा करता है, तो कतई गलत नहीं होगा। शायद इसी लिए पिछले कुछ समय से कहीं भी कोई नया दल जब राजनीति में उतरता है तो उसका नाम व चुनाव चिन्ह का चयन एक अहम प्रक्रिया माना जाता है। ऐसा नहीं है कि पहले चुनाव चिन्ह अहमियत नहीं रखता था लेकिन मौजूदा समय में दल के लोगों की विचारधारा को प्रदर्शित करते चुनाव चिन्ह की मांग बढऩे लगी है। आम आदमी पार्टी (AAP/आप) के नाम और चुनाव चिन्ह झाड़ू के चयन ने इस दल के संस्थापक लोगों की रचनात्मकता का ऐसा नमूना पेश किया था कि लोगों को सहज ही दल से जुड़े सदस्यों की विचारधारा समझ में आ गई। एक साथ कई अर्थ संजोए इस नाम ने लोगों को कायल बना लिया और दिल्ली में ऐसा स्वच्छता अभियान चलाया कि झाड़ू ब्रांड बन गया। 
झाड़ू के प्रकार
देश में अब झाड़ू के प्रकार पर नई चर्चा छिडऩे लगी है! सिरसा के डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत सिंह द्वारा देश भर में जा-जाकर झाड़ू लगाई गई। इस झाड़ू का संबंध भी अप्रत्यक्ष तौर पर वोटों से ही था। जिस प्रकार राजनीतिक दल और दलों के बड़े नेता चुनावों के नजदीक अपना शक्ति प्रदर्शन करने के लिए रैलियों में लोगों की भीड़ दिखाते हैं, उसी प्रकार डेरा सच्चा सौदा का प्रमुख इन दलों को अपनी भीड़ दिखाने के लिए देश भर में खूब झाड़ू लगाता घूमा। झाड़ू के डंडे के सहारे खड़े रहकर गले में पड़ी सीबीआई व अदालतों की फांस को ढीला करने की कोशिश थी। 
एक झाड़ू नरेन्द्र मोदी ब्रांड की भी चर्चा में रही। मोदी जी ने प्रधानमंत्री बनते ही स्वच्छता अभियान की शुरुआत की और स्वयं झाड़ू भी लगाई। इस झाड़ू के हालांकि राजनीतिक मायने नहीं बताए गए लेकिन कहीं न कहीं यह अभियान विभिन्न राज्यों में हुए चुनावों के दौरान दूसरे दलों की 'सफाई' से अधिक जुड़ा रहा। हरियाणा में गुरमीत झाड़ू और मोदी झाड़ू मिल गए। स्वार्थ दोनों के ही वास्तविक सफाई से इतर लगे। खैर, चुनाव में लड़े विपक्षी दलों का सफाया हो भी गया। डेरा प्रमुख द्वारा कथित तौर पर किसी भी दल या नेता को समर्थन की एवज में एफिडेविट लिए जाते हैं कि अमुक व्यक्ति या दल समाज से नशे व अन्य बुराइयों की समाप्ति में सहयोग करेंगे। हैरानी की बात यह है कि हरियाणा में जीत के बाद भाजपा के 47 में से 30 से अधिक विधायक डेरा में घुटने टेक कर आए, यानी प्रदेश सरकार घुटनों के बल डेरा में नतमस्तक थी। यदि डेरा वास्तव में नशे की समाप्ति के प्रति गंभीर है तो सरकार उसकी ही थी। बहुत अच्छा मौका था। सबसे पहले तो शराब बंदी करवाते! आधी से अधिक बुराइयां तो स्वत: ही समाप्त हो जातीं। लेकिन गुरमीत झाड़ू की असलियत कम से कम सिरसा के लोग तो जानते ही थे!
एक तीसरी प्रकार की झाड़ू अब चर्चा में है। आम आदमी पार्टी की झाड़ू। इस ब्रांड का उत्पादन हालांकि पहले से ही हो रहा था लेकिन जब से यह झाड़ू चल निकली, तब से मोदी और गुरमीत झाड़ू बिल्कुल बंद हो गई। अब शायद उक्त दोनों मिलीभगत ब्रांड की झाड़ू कभी न चले क्योंकि आम आदमी पार्टी बं्राड झाड़ू ऐसी है कि यदि मोदी या गुरमीत अपनी झाड़ू भी चलाते हैं तो मुनाफा आप ब्रांड को होता दिखता है! दिल्ली में अभी इस ब्रांड की झाड़ू ने सफाई की है और लोगों की विश्वसनीयता बताती है कि उन्हें और कोई झाड़ू पसंद नहीं है।

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