बलजीत सिंह दादू ने सिरसा में की प्रेसवार्ता
बोले, करेंगे फिल्म का विरोध
सिरसा। पंथक सेवा लहर के प्रमुख संत बलजीत सिंह दादूवाल ने कहा कि डेरा सच्चा सौदा के एक लंबे विज्ञापन को सेंसर बोर्ड द्वारा मंजूरी दे दी जाती है जबकि दूसरी ओर एक सत्य घटना पर आधारित फिल्म 'द ब्लड स्ट्रीट' पर बैन लगा दिया गया है। इसके पीछे भाजपा सरकार की एक बड़ी साजिश काम कर रही है। दादू आज दसवीं पातशाही गुरुद्वारा में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि डेरा प्रमुख कभी भी भगवान का रूप नहीं हो सकता क्योंकि इस व्यक्ति पर अपने श्रद्धालुओं को नपुंसक बनाने, पत्रकार की हत्या, अपने मैनेजर की हत्या, साध्वी यौन शोषण जैसे कई गंभीर आरोप अदालत में विचाराधीन हैं। उन्होंने कहा कि डेरा प्रमुख ने अपने धनबल के प्रभाव से सेंसर बोर्ड से अपनी फिल्म को पास करवा लिया। उन्होंने पंजाब में एमएसजी द मैसेंजर पर प्रतिबंध लगाने का स्वागत करते हुए हरियाणा सरकार से आग्रह किया कि वह भी इस फिल्म को प्रदेश में बैन करे। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि इस फिल्म को प्रदर्शित किया गया तो वे सिख संगठनों की ओर से इस फिल्म का जबरदस्त विरोध करेंगे। उन्होंने कहा कि वे सभी सिनेमा मालिकों से भी आग्रह करते हैं कि वे धन के लालच में आए बगैर झूठ व पाखंड पर आधारित इस फिल्म को प्रदर्शित न करें। यदि फिल्म प्रदर्शन पर सिख संगठनों की ओर से कुछ भी अप्रिय घटना घटती है तो उसकी जिम्मेदारी सरकार, प्रशासन व स्वयं सिनेमा मालिकों की होगी। दादूवाल ने डेरा प्रमुख पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि जिस व्यक्ति पर इतने संगीन आरोप हों, उसकी जगह सलाखों के पीछे है। उन्होंने कहा कि वे इस बात की भी आलोचना करते हैं कि आरोपी व्यक्ति की सुरक्षा में जैड सुरक्षा दी गई है जिस पर करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। उन्होंने सवाल किया कि आखिर डेरा प्रमुख का समाज अथवा देश के लिए क्या महत्वपूर्ण योगदान है? उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में 20 लाख समर्थक होने का दावा करके भाजपा को पथभ्रमित करने वाले डेरा प्रमुख की सच्चाई की कलई खुल गई है। उन्होंने कहा कि उनकी प्रेरणा से पंजाब में वर्ष 1986 से अब तक अल्पसंख्यकों पर हुए अत्याचारों को दर्शाती फिल्म द स्ट्रीट ब्लड को सेंसर बोर्ड की ओर से प्रतिबंधित किया गया है जोकि सच्चाई पर आधारित है लेकिन डेरा प्रमुख की वैज्ञानिक सोच के प्रमाणिकता से दूर डेरा सच्चा सौदा के एक लंबे विज्ञापन को फिल्म के तौर पर चलाने के लिए प्रमाण पत्र देकर सरकार भेदभाव कर रही है। इस अवसर पर उनके साथ 'द ब्लड स्ट्रीट' फिल्म के निर्माता जसवीर सिंह बोपाराय, सहायक निर्माता इंद्रजीत सिंह, कलाकार कर्मजीत बराड़, प्रकाश सिंह साहुवाला, मैनेजर शेरसिंह सहित अनेक सिख प्रतिनिधि मौजूद थे।
'श्रद्धा को नीलाम कर रहा है गुरमीत सिंह'
सिरसा। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह भोले-भाले श्रद्धालुओं को गुमराज कर सीबीआई द्वारा दर्ज केसों से बचने के प्रयास कर रहा है। जब से डेरा प्रमुख पर सीबीआई का साया पड़ा है तभी से उसने डेरा में राजनीतिक विंग बनाकर श्रद्धालुओं की ओट लेकर राजनीतिक पार्टियों को गुमराह करने का धंधा शुरू कर रखा है। यह दावा डेरा के पूर्व साधु रामकुमार बिश्रोई व गुरदास सिंह तूर ने किया। आज यहां जारी प्रेस विज्ञप्ति में दोनों पूर्व साधुओं ने कहा कि गुरमीत सिंह जब से डेरा के प्रमुख बने हैं तभी से डेरा में सामाजिक गतिविधियों की जगह राजनीतिक गतिविधियों व व्यापार ने ले लिया है।
उन्होंने कहा कि डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह के खिलाफ साध्वियों से यौन शोषण, पत्रकार छत्रपति व रणजीत हत्याकांड, साधुओं को नपुंसक बनाने के मामले सीबीआई ने दर्ज किए हैं। यह मामले सीबीआई की पंचकूला स्थित विशेष अदालत में विचाराधीन हैं। डेरा प्रमुख इन सब मामलों में बेकसूर साबित होने के लिए डेरा के श्रद्धालुओं को सरकार के समक्ष बेच रहा है और सौदा कर रहा है कि सरकार उसे केसों से बचाए और वह डेरा श्रद्धालुओं के वोट उसे दिलवाएगा। उन्होंने कहा कि डेरा के श्रद्धालु अब समझदार हो गए हैं और उन्होंने डेरा की राजनीतिक विंग की ओर से जारी होने वाले फतवों को मानना बंद कर दिया है। इसी का परिणाम है कि हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव में सिरसा, फतेहाबाद व जींद की लगभग सीटों पर भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा। लेकिन डेरा प्रमुख ने अपनी चालों से भाजपा को यह मानने पर मजबूर कर दिया कि हरियाणा में उसकी जीत डेरा के कारण हुई है। उन्होंने कहा कि अब दिल्ली चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा का भी भ्रम टूट गया होगा। डेरा के समर्थन के बिना जहां पिछले चुनाव में भाजपा ने दिल्ली में 32 सीटें जीती थीं तो अब डेरा का समर्थन मिलने के बाद भाजपा विपक्ष में बैठने के लायक भी नहीं रही। डेरा के समर्थन की हवा निकल गई और डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह को भी सच्चाई का आइना नजर आ गया। उन्होंने केन्द्र व प्रदेश की भाजपा सरकार से अपील की कि बलात्कार व हत्या जैसे आरोपों से घिरे डेरा प्रमुख को सलाखों के पीछे भेजे और इसके बहकावे में आकर इसका गुणगान न करे।
पत्नीहंता गिरफ्तार
पत्नी के छोटे कद को लेकर की थी हत्या
सिरसा। नाथुसरी चौपटा थाना पुलिस ने उत्तरप्रदेश से क्षेत्र में दिहाड़ी मजदूरी करने आए एक व्यक्ति को अपनी पत्नी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया है। पति अपनी पत्नी के कद को लेकर लड़ाई करता था।
गत नौ फरवरी को नाथुसरी चौपटा थाना क्षेत्र में लक्ष्मा पत्नी कुलदीप की मौत हो गई थी। कुलदीप ने पुलिस के समक्ष दिए बयान में बताया कि उसकी पत्नी लक्ष्मा ने नौ फरवरी को फांसी लगाकर जान दे दी। उसने बताया कि उसने पत्नी को बचाने के लिए उसे फांसी के फंदे से उतार लिया था। इस मामले में पुलिस ने जब लक्ष्मा के भाई बिशनपाल पुत्र वेद सिंह निवासी सोगरा (यूपी) को सूचित किया तो उसने घटना को आत्महत्या की बजाय हत्या करना बताया। बिशनपाल ने बताया कि जीजा कुलदीप पुत्र सुरेंद्र व उसकी मां पुष्पा उसकी बहन लक्ष्मा को छोटे कद के लिए ताने देते थे। लक्ष्मा को कई बार मारा पीटा भी गया। उसने आरोप लगाया कि उसके जीजा और उसकी मां ने मिलकर ही उसकी बहन लक्ष्मा की हत्या की है। इसके बाद पुलिस ने दोनों मां बेटा के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कुलदीप को गिरफ्तार कर लिया है।
धरनारत छात्रों को पुलिस ने लिया हिरासत में
सीडीएलयू में वीसी कार्यालय के समक्ष चल रहा था धरना
सिरसा। विश्वविद्यालय में वीसी कार्यालय के समक्ष विभिन्न मांगों को धरने पर बैठे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के छात्रों को आज दोपहर को पुलिस धरना स्थल से उठाकर ले गई।
एबीवीपी के विद्यार्थियों ने आज सुबह धरना देकर कामकाज को पूरी तरह से बाधित कर दिया। इसके बाद कुलपति राधेश्याम शर्मा ने उपायुक्त निखिल गजराज से बात की और इसके बाद काफी पुलिस बल प्रशासनिक भवन में पहुंचा। शहर थाना प्रभारी सुरेश पाल के नेतृत्व में पुलिसकर्मियों ने धरनारत छात्रों को जबरन उठाकर गाडिय़ों में डाला और हुडा पुलिस चौकी में छोड़ आए। कुलपति ने विद्यार्थियों के खिलाफ शिकायत दी है। इस शिकायत के आधार पर पुलिस धरनारत छात्र-छात्राओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज करेगी।
गौरतलब है कि पिछले कई दिनों से एबीवीपी की छात्र-छात्राएं प्रशासनिक भवन में अपनी मांगों को लेकर धरना दे रहे थे। सरकारी कामकाज बाधित होने के चलते मजबूरन कुलपति को पुलिस बल की सहायता से धरनारत विद्यार्थियों को उठाना पड़ा। पुलिस की गाडिय़ों में डाले जाने के बाद विद्यार्थी कुलपति के खिलाफ नारेबाजी करते रहे। छात्राओं को उठाने के लिए महिला पुलिस मंगवाई गई। करीब 25 छात्र-छात्राओं को हिरासत में लेकर हुडा चौकी में रखा गया है।
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