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सच और झूठ के बीच कोई तीसरी चीज नहीं होती और मैं सच के साथ हूं : छत्रपति       www.poorasach.com      

Monday 9 September 2013

बाबाओं की बदमाश कंपनी को लेकर मीडिया की बदमाशी.... Why Indian Media is not reporting against Dera Sachcha Souda's Head Gurmeet Ram Rahim Singh?

 बदमाश कंपनी के सरगना के लिए नहीं फूट रहे बोल

    देश के खबरिया चैनल दिन-रात बाबाओं को पीट रहे हैं। आसाराम उनके केंद्र में है। वो जेल में जो ठूंस दिया गया। लेकिन एक बात शायद पूरे देश के लोगों को खटक रही होगी कि भ्रष्ट बाबाओं की पोल खोल में सिरसा के कुख्यात डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत सिंह (जिसे कि भ्रष्ट मामलों में सबका सरगना माना जा सकता है) का नाम एकाध को छोड़कर कोई नहीं ले रहा। क्यों नहीं लिया जा रहा, यह भी किसी से छुपा नहीं। लेकिन 'पूरा सच' बस यह जानना चाहता था कि आखिर चैनल वालों की दलील क्या होगी?
    सबसे पहले देश के 'सबसे तेज' बिकने वाले खबरिया चैनल से ही शुरुआत की गई। 'पूरा सच' से अंशुल छत्रपति बात कर रहे थे। चैनल के कई बड़े संपादकों ने नाम सुनते ही बहानेबाजी शुरू कर दी। एकाध तो नाम सुनने के बाद 'रांग नंबर' हो गए। आखिरकार, सीनियर स्पैशल कॉरस्पॉन्डेंट बालाकृष्णन जी ने जवाबदेही की हिम्मत जुटाई। बातचीत के कुछ अहम अंश यहां पेश कर रहे हैं...
अंशुल : आपके चैनल पर 'बाबाओं की बदमाश कंपनी' स्टोरी चलाई गई। इसमें डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह का नाम क्यों नहीं आया? वो तो इस बदमाश कंपनी का सरगना है? उस पर तो हत्या और बलात्कार के आरोप हैं?
चैनल : देखिए, यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है....
अंशुल: आसाराम पर तो अभी शिकायत ही दर्ज हुई है, जबकि गुरमीत सिंह पर न्यायालय के आदेश पर ही सीबीआई जांच बैठी और आखिरकार जांच में बलात्कार और हत्या जैसे संगीन मामलों में मुख्य आरोपी बनाया गया। न्यायालय ने भी तथ्यों के आधार पर ही आरोप तय करने की सहमति जताई? सुनवाई जारी है। नित्यानंद पर भी मामला अदालत में विचाराधीन है। फिर यह मामला अलग कैसे हुआ? एक मीडियाकर्मी की हत्या के दोषियों को आपका चैनल अनदेखा कर रहा है? यदि मीडिया ही मीडियाकर्मी से हुए अन्याय की आवाज नहीं उठाएगा तो कौन?
चैनल : हम डेरा सच्चा सौदा हैड की खबरें भी दिखाते हैं, आपके पास कोई नया मामला  है तो बताइए?
अंशुल : नया तो बहुत कुछ है। हाल ही में डेरा सच्चा सौदा में साधुओं को नपुंसक बनाने का मामला उठा था। एक साधु ने हाईकोर्ट में जांच की अपील की। उसकी चिकित्सीय जांच में भी साबित हो गया और नाम सहित उसने अनेक अन्य साधुओं की लिस्ट भी मुहैया करवाई। खबर बहुत बड़ी थी लेकिन आपके न्यूज चैनल पर एक बार ही चली, अगले ही दिन से आपके खबरिया चैनल पर डेरा सच्चा सौदा प्रमुख के प्रवचन शुरू हो गए। क्या यह बेशर्मी की हद नहीं है? डेरा सच्चा सौदा और आपके चैनल में हुई इस डील को आम आदमी भी भली-भांति समझता है।
चैनल : देखिए साफ बात यह है कि हम उनके खिलाफ स्टोरी चलाएंगे तो उनका कोई अनुयायी हम पर केस कर देगा। हम इस मामले में कुछ नहीं कर सकते................
    फोन कट चुका था। लेकिन कई सवाल बकाया थे। आम जनता के सवाल। क्या  कथित रूप से देश का सर्वश्रेष्ठ खबरिया चैनल चलाने वाला एक मीडिया घराना इतनी बेचारगी दिखा सकता है? मठाधीश तो आसाराम भी है? भीड़ को तो उसने भी ढाल बनाया? फिर क्यों नहीं डरी उससे सरकारें? क्यों नहीं डरे खबरिया चैनल?
आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा....

3 comments:

  1. recording bhi available hoti to achha tha.waise to iss sach se sab wakif hain k media kahan kab kis tarah ka role kyon nibhate hain

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  2. aapko kitne paise mile hue hn aap bhi to bataiye jara

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