शायद ऐसा पहली बार होगा जब 52 साल का बेटा अपने 28 वर्षीय पिता को मुखाग्नि देगा. हरियाणा
के मीरपुर गांव के रामचंद्र यादव अब अपने फौजी पिता हवलदार जगमाल सिंह के
शव का इंतजार कर रहे हैं, जो पिछले 45 सालों से ग्लेशियर में दबा हुआ था.
उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि पिता की हवाई हादसे में हुई मौत
के 45 साल बाद वे उनकी चिता को मुखाग्नि दे पाएंगे. लेकिन अब ऐसा होने जा
रहा है. कुछ दिनों पहले सेना ने लेह के पास ग्लेशियर के नीचे दबे उनके पिता
का शव बरामद किया.
उत्तरी हिमाचल प्रदेश के दक्षिणी ढक्का
ग्लेशियर में 7 फरवरी 1968 को भारतीय वायु सेना का एक विमान
दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें जगमाल सिंह की मौत हो गई थी. भारतीय
सेना के डोगरा स्काउट्स ने अब 45 साल बाद एक अभियान के तहत ढक्का
ग्लेशियर से जगमाल सिंह का शव बरामद कर लिया है. सेना की टीम ने दावा किया
है कि उन्होंने जगमाल की वर्दी, आईकार्ड और जेब में मिली इंश्योरेंस
पॉलिसी की रसीद से उनकी पहचान की है.
जगमाल के शव को हवाई जहाज से
चंडीगढ़ लाया जाएगा, जहां से उन्हें उनके पैतृक गांव मीरपुर भेज दिया
जाएगा. यहां पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. खुद
भी सेना से रिटायर हो चुके रामचंद्र कहते हैं, 'मैं तब सिर्फ 6 साल का था
जब यह हादसा हुआ. अब मैं 52 साल का हो गया हूं और मुझे अपने 28 साल के पिता
का शव मिल जाएगा.'
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