एक गुब्बारे वाले को एक दिन एक आईडिया सूझा जैसे किसी बेरोजगारी के मारे गरीब को आजकल
सूझता है की वह बाबा बन जाए तो मजे ही मजे हैं. गुब्बारे वाले ने गाँव में खबर फैलाई की उसके पास ईश्वरीय वरदान है की किसी को अपनी बात ईश्वर तक पहुंचानी हो तो वह मेरे गुब्बारे पर लिख कर हवा में छोड़ दे वह आसमान में ईश्वर के पास पहुँच जाएगा।ईश्वर के पास जाने वाले गुब्बारे सिर्फ उसी के पास हैं।प्रमाण चाहिए तो अपने गुब्बारे उड़ा कर देख लो वो ईश्वर की और नहीं जायेंगे। गुब्बारे वाले के पास देखते ही देखते भीड़ लगने लगी। बहुत समय तक वह गुब्बारे उडाता रहा, गाँव और सूबे का सिद्ध पुरुष समझा जाने लगा। धीरे धीरे उसने लोगो के भूत निकालने शुरू कर दिए, सुंदर लडकियो पर उसे भूत जल्दी दीखता था।कहा भी जाता है कि भूत सुंदर लडकियो को जल्दी पकड़ता है क्योंकि भूत उतारने वाले की रुचि उस सुंदर लड़की में होती है। एक दिन गाँव में एक मास्टर जी आये। उसने कहा गाँव में शिक्षा नहीं है, इसलिए स्कूल होना चाहिए, सिद्ध पुरुष की सहमती के बिना गाँव में कोई काम कैसे हो सकता था और सिद्ध पुरुष गाँव में स्कूल कैसे खोलने देता, गुब्बारे की मोनोऑक्साइड और कार्बन ऑक्साइड वाली बात बच्चो ने पढ़ ली तो दुकान बंद हो जायेगी। उसने एक कहानी गढ़ी की जो लोग ज्यादा पढ़ लेते हैं वही लोग ईश्वर दूर हो जाते हैं, घमंड बढ़ जाता है उनमे , बच्चो को उस मास्टर से दूर रखो , पढाओ मत। मास्टर ने उस सिद्धपुरुष का इतिहास खंगाला तो सचाई सामने आई की मामला तो धर्म की दूकान का है। मास्टर ने पूरे गाँव को एक दिन मजमे के लिए बुला लिया। गाँव भर को बताया की देखो मेरे पास भी वही गुब्बारे हैं जो आपके सिद्धपुरुष के पास हैं। आजतक आपने ईश्वर को सन्देश भेजे, अपने सिद्धपुरुष से पूछो किसी सन्देश का जवाब वापिस क्यों नहीं आया। गुब्बारे कैसे उड़ते हैं इसका वैज्ञानिक कारण है। मजमे में कुछ लोग सिद्धपुरुष के भी खड़े थे, उन्होंने मास्टर को पत्थर मारने शुरू कर दिए, नास्तिक कहना शुरू कर दिया,गाँव वाले भी आस्था के खिलाफ खड़े होने को तैयार नहीं थे। उन्होंने भी मास्टर को बुरा भला कहा। मास्टर लेकिन गाँव वालो का भला चाहता था, गाँव वाले चंगुल में फसे हैं यह मास्टर को समझ आ चुका था।
इस कहानी को पूरा करिए। ….
या फिर इतनी ही कहानी धर्म के चंगुल में फसे लोगो को पढवाईए
शायद वो मास्टर जी को समझ सके और अपनी कहानी खुद पूरी करें
शायद वो मास्टर जी को समझ सके और अपनी कहानी खुद पूरी करें
-वीरेंदर भाटिया
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