BREAKING NEWS

 

सच और झूठ के बीच कोई तीसरी चीज नहीं होती और मैं सच के साथ हूं : छत्रपति       www.poorasach.com      

Saturday 25 June 2011

गला घोंट रहा ‘हाथ’

सिरसा। केंद्र सरकार द्वारा रसोई गैस, डीजल व मिट्टी के तेल की कीमतों में भारी वृद्धि करने के रोष स्वरूप भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी भाकपा व माकपा ने आज सुभाष चौक पर कांग्रेस सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करके सरकार का पुतला फूंका। प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए का. राजकुमार शेखूपुरिया ने कहा कि कांग्रेस सरकार दिन प्रतिदिन आम आदमी पर बोझ डाल रही है और पूंजीपतियों को लूट की छूट दे रही है। उन्होंने कहा कि रसोई गैस की कीमतों में बढ़ौतरी से महंगाई और बढ़ेगी जिससे आम आदमी का जीना बेहाल हो जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार गरीबी नहीं,गरीबों को हटाने का मन बना चुकी है। बढ़ती महंगाई ने पहले ही आम आदमी का जीना मुश्किल कर रखा है। अब तो आम आदमी का बजट पूरी तरह से बिगड़ गया है। का. अवतार सिंह ने कहा कि कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ नहीं बल्कि उसका गला घोंटने का काम कर रहा है।
    इस मौक पर  का. जगरूप सिंह, गुरदेव सिंह, बलबीर कौर, टोनी सागू, अजीत सिंह, जयराम, का. तिलक राज, रोहताश, तिलक राज, जयराम सहित अनेक लोग उपस्थित थे।

पुलिस ने सुलझाई मीरपुर मर्डर गुत्थी

सिरसा। मीरपुर में गुरुवार की रात हुए मर्डर की गुत्थी को पुलिस ने सुलझा लिया है। आरोपी कोई और नहीं बल्कि मृतक की पत्नी ही है। उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। बताया जा रहा है कि आरोपी महिला ने दो-तीन और लोगों के साथ मिलकर घटना को अंजाम दिया। उनकी गिरफ्तारी के प्रयास जारी हैं। ज्ञातव्य हो कि  23 जून की रात मीरपुर ढाणी में एक किसान सीताराम की हत्या कर दी गई थी। सीताराम की पत्नी  राजो बाई ने बताया था कि रात को उसने अपने पति का शव खून से लथपथ चारपाई पर पड़े देखा। इसके बाद उसने जानकारी अपने देवर को दी।
    सदर थाना पुलिस को जानकारी मिली तो वह मौके पर पहुंची। सूत्रों के अनुसार प्रथम दृष्टया ही पुलिस को मृतक की पत्नी राजो बाई पर संदेह हो गया था। घटना की जगह का मुआयना करने के बाद उन्हें राजो बाई के बयान पर विश्वास नहीं हो पाया। उसे हिरासत में लेकर कड़ाई से पूछताछ की गई तो उसने सारी कहानी बयां कर दी। बताया जाता है कि राजो बाई अपने पति सीताराम की नशे की लत से परेशान थी। सीताराम नशे में उससे मारपीट कर लेता था। इसी कारण उसने कुछ लोगों के साथ मिलकर पति को ठिकाने लगा दिया। फिलहाल पुलिस द्वारा इस मामले में किसी की गिरफ्तारी की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।

पत्नी का गला घोंट की हत्या

सिरसा। रानियां रोड स्थित गुरुनानक नगरी के वार्ड नं. 25 में घरेलू कलह के चलते एक अधेड़ ने अपनी पत्नी की गला दबाकर हत्या कर दी। मामले की जानकारी शहर थाना पुलिस को दी गई। पुलिस मौके पर पहुंची और शव सामान्य अस्पताल पहुंचाया। पुलिस ने पुत्र की शिकायत पर पिता के विरुद्ध हत्या का मामला दर्ज कर धरपकड़ के प्रयास शुरू कर दिए हैं। ज्ञातव्य हो कि शहर में इस माह में हत्या का यह नौवां मामला है।
    मिली जानकारी के अनुसार रानियां रोड के वार्ड नं. 25 निवासी सुभाष चंद्र का अपनी पत्नी कृष्णा से किसी बात को लेकर विवाद हो गया। बात बढ़ते-बढ़ते हाथापाई तक जा पहुंची। तैश में आए सुभाष ने अपनी पत्नी का गला दबा दिया। दम घुटने के कारण कृष्णा की मौत हो गई। घटना को अंजाम देकर सुभाष फरार हो गया। सुभाष के पुत्र संजय कुमार ने घटना की जानकारी शहर थाना पुलिस को दी। पुलिस मौके पर पहुंची। शव का पंचनामा भरा और सामान्य अस्पताल पहुंचाया। संजय की शिकायत पर पुलिस ने हत्यारे पति के विरुद्ध मामला दर्ज कर लिया है।

हर दिन हत्या

शहर में दिन.प्रतिदिन बढ़ रही हत्या की घटनाएं चिंता का विषय हैं। सामाजिक मूल्यों के गिरते ग्राफ ने आपराधिक घटनाओं का ग्राफ बढ़ा दिया है। गौरतलब है कि सिर्फ सिरसा जिला में विगत एक माह में हत्या की नौ घटनाएं घटी हैं। ये वे मामले हैं जो पुलिस तक पहुंचे हैंए वास्तविक आंकड़ा इससे भी अधिक हो सकता है। इनमें से ल्यादातर हत्याएं घरेलू कलह के चलते हुई हैं। 2 जून को साहुवाला द्वितीय में एक विवाहिता दहेज की बलि चढ़ा दी गई। 8 जून को केलनियां में एक विवाहिता की हत्या हुई। इस मामले में भी दहेजलोभी ससुरालियों पर आरोप लगा। 12 जून को चरित्रा पर संदेह के चलते एमसी कॉलोनी में पति ने अपनी पत्नी की जान ले ली। 18 जून को रैस्ट हाउस के निकट स्थित सरकारी क्वार्टर में युवती की हत्या दहेज न लाने के कारण की गई। 20 जून को रानियां के बाजीगर थेड़ में दादी ने सात माह की बच्ची को तंदूर में जलाकर मार डाला। 22 जून को रेलवे कॉलोनी में युवक का शव मिला। युवक की चाकुओं से गोदकर हत्या की गई थी। अभी तक शव की शिनाख्त तक नहीं हो पाई है। 23 जून को डबवाली में ससुराल में गए व्यक्ति की हत्या हुई। 24 जून को मीरपुर में पत्नी ने पति की हत्या  कर दी। और कल रात फिर रानियां चुंगी पर अधेड़ ने अपनी पत्नी का गला घोंट मौत के घाट उतार दिया। यह सिर्फ सिरसा का ब्यौरा हैए यदि विस्तृत स्तर पर पहुंचा जाए तो आंकड़े चौंकाने वाले होंगे।
    हत्या के ये आंकड़े सीधे तौर पर हमारे गिरते सामाजिक मूल्यों की ओर इंगित करते हैं। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि लोगों में हत्या जैसी संगीन वारदातों को इतनी आसानी से अंजाम देने की हिम्मत कहां से आ रही हैघ् दहेज के लिए यूं ही विवाहिता को ससुरालजनों द्वारा जला दिया जाता है। चरित्रा का संदेह होने पर पति पत्नी की जान ले लेता है। प्रेम विवाह की खिलाफत करने वाले ऑनर किलिंग की घटनाओं को बेखौफ अंजाम दे रहे हैं। लड़के की चाहत में भ्रूण हत्याएं भी जमकर हो रही हैं। अधिकतर मामलों में लड़कियों को निशाना बनाया जा रहा है। यहां देश की सुरक्षा व्यवस्था को दोष दिया जाए या कानून व्यवस्था कोघ्
    असल में आपराधिक घटनाओं के बढ़ते ग्राफ के लिए दोनों ही समान रूप से जिम्मेदार हैं। पहली बात तो अपराधियों को पुलिस न्यायालय की चौखट तक पहुंचने ही नहीं देती। और यदि पहुंच भी जाएए तो ऊपरी स्तर पर न्यायालय की कार्रवाई में आरोपियों की जिंदगी गुज़र जाती है। ‘मार दो! क्या हैए ज्यादा से ज्यादा उम्रकैद होगी। काट लेंगे। फांसी की सजा तो मौत तक राष्ट्रपति की मुहर का इंतज़ार करती रहती है।’ ऐसे जुमले अब हरेक की ज़ुबान पर आम हो चले हैं।
    सजा से अब समाज डरता नहीं है। इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि लोगों के पास अब पैसा है। और यह पैसा अब बहुत हद तक ‘मनमाफिक सजा’ पाने का जरिया भी बनता जा रहा है। आरोपी वीआईपी हो तो सजा के बाद भी जमानत पर रह सकता है। सलमान खानए संजय दत्त जैसे लोग ही तो युवाओं के ष्प्रेरणा स्रोतष् हैं! वे भी तो सजा पाने के बाद भी जमानत पर मस्त जिंदगी जी रहे हैं। तो फिर अपन को डर काहे का। ‘डरने का नहींए कूल रहने का’ की नीति पर चलते हुए लोग देश की कानून व्यवस्था को अंगूठा दिखाते नज़र आ रहे हैं। आज हर कोई अपने आप में ‘पहुंच’ वाला है।
    हमारे देश में सबसे बड़ी विडंम्बना है कि यहां के लोग मॉडर्न हो गए हैंए लेकिन व्यवस्था वही है। देश का कानून जैसा आज़ादी के बाद ड्राफ्ट हुआए उसी ढर्रे पर चला आ रहा है। क्राइम का तरीका बदल गयाए लेकिन सजा का नहीं। इसी से लोगों के हौसले बुलंद हो रहे हैं। वक्त रहते यदि नहीं संभला गया तो वह दिन दूर नहीं जब छोटे.छोटे कस्बों में भी हर दिन हत्या आम हो जाएगी।  .अरिदमन

Wednesday 22 June 2011

बालिका वधु बनने से बची मोनिका

सिरसा। जिला बाल विवाह निषेध अधिकारी श्राीमती साधना मित्तल ने मुखबिर के द्वारा मिली सूचना के आधार पर डबवाली थाना के अंतर्गत गांव अबूब शहर में होने वाली एक नाबालिग लड़की की शादी रूकवाने के बारे में लड़की के परिजनों व गांव के नंबरदार से लिखित में आश्वासन लिया।
 मिली जानकारी के अनुसार गांव अबूबशहर निवासी मुखराम की दोहती मोनिका (17) पुत्राी बृजलाल निवासी मुक्तसर की शादी आगामी 25 जून को अबोहर क्षेत्रा के गांव ढींगावाली निवासी कालूराम पुत्रा पृथ्वीराज के साथ होनी तय हुई थी। नाबालिग लड़की की शादी के बारे में किसी ने बाल विवाह निषेध अधिकारी को शिकायत दीए जिसके पश्चात उन्होंने सदर डबवाली पुलिस को इस बारे में सूचना दी। पुलिस ने लड़की के नाना मुखराम व अबूबशहर गांव के नंबरदार भजनलाल को बाल विवाह निषेध अधिकारी के समक्ष पेश किया। जहां उन दोनों ने लिखित में आश्वासन दिया कि वे लड़की की प्रस्तावित शादी को टाल देंगे तथा लड़की के बालिग होने पर ही उसकी शादी करेंगें।

दुष्कर्म की सजा, गांव छोड़ने का फरमान

सिरसा। गांव दड़बी की नाबालिगा से दुष्कर्म के आरोपी गांव के ही व्यक्ति के परिवार को पंचायत ने निष्कासन की सजा सुनाई है। आरोपी के परिवार को 10 दिन में गांव छोड़ने का फरमान जारी किया गया है। आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। ज्ञातव्य हो विगत 15 जून को गांव दड़बी निवासी दलीप सिंह की पुत्री घर से एकाएक लापता हो गई थी। दूसरे दिन दलीप ने गांव के ही सुखदेव पुत्र बलवंत सिंह व उसकी पत्नी हर्षदीप के विरुद्ध डिंग थाना में मामला दर्ज करवाया था। सहायक उपनिरीक्षक देसराज पर आधारित टीम ने कार्रवाई करते हुए चंडीगढ़ से दम्पती को काबू कर उनके कब्जे से नाबालिगा को बरामद कर लिया था। आरोपी को न्यायालय ने दो दिन की पुलिस अभिरक्षा में भेज दिया।  वह फिलहाल पुलिस रिमांड पर है।
 गांव में हुए इस घटनाक्रम के चलते ग्रामीणों व ग्राम पंचायत में रोष फैल गया आज प्रातः पंचायत व ग्राम के मौजिज लोगों के बीच बैठक हुई। पंचायत के दौरान निर्णय लिया गया कि आरोपी सुखदेव के परिवार को गांव से निकाल दिया जाए।  कारण यह है कि उक्त परिवार पूर्व में भी विवादास्पद मामले में एक बार दड़बी छोड़ चुका है। झगड़े के कारण आरोपी सुखदेव का परिवार वैदवाला रहने लगा। यहां भी सुखदेव अपनी हरकतों से बाज नहीं आया। वह बाजीगर समुदाय की एक युवती को लेकर फरार हो गया था। अभी उक्त मामला न्यायालय में विचाराधीन है। वैदवाला में हुए इस मसले के कारण सुखदेव अपने परिवार सहित पुनरू दड़बी जा बसा। अब सुखदेव अपनी पत्नी से मिलकर गांव दड़बी की नाबालिगा को बहला.फुसलाकर ले गया और उसे अपनी हवस का शिकार बनाया। आरोपी की पृष्ठभूमि आपराधिक प्रवृति की रही है। गांव तथा पंचायत ने आरोपी द्वारा किए गए इस कृत्य पर कड़ा संज्ञान लेते हुए उसके परिवार को गांव छोड़ने का फरमान जारी कर दिया है। पंच हंसराज ने बताया कि आरोपी परिवार को दस दिन के भीतर गांव छोड़ने के लिए कहा गया है अगर परिवार गांव नहीं छोड़ता तो निधार्रित समय के पश्चात आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

Friday 17 June 2011

ज़िंदगी भर जूझते रहे जीने के लिए ज़िंदगी को मौत पर मयस्सर हुई दो गज ज़मीन भी मशक्कत से

सिरसा। धर्म के नाम पर दिल खोलकर रख देने के लिए प्रख्यात सिरसा के लोगों की मानवता के प्रति तंगदिली का नमूना देख आज रूह कांप उठी। मध्यप्रदेश के एक मराठे को मरणोपरांत दफनाने के लिए यहां दो गज ज़मीन दिलवाने हेतु परिजनों को दर.दर ठोकरें खानी पड़ीं। आखिरकार जिला प्रशासन ने उनकी पुकार सुनी और कंगनपुर की पंचायती भूमि में शव को दफन किया गया। खास बात यह है कि युवक की मौत भी देश की इस जर्जर व्यवस्था की भेंट चढ़ने के कारण ही हुई थी।
    बताया गया है कि मध्यप्रदेश निवासी राजा ;25द्ध पुत्र गंगाराम विगत 20 सालों से सिरसा के ऑटो मार्किट में झुग्गी बनाकर रह रहा था। उसके साथ उसकी त्त्0 वर्षीय मां कमला देवीए पत्नी उषा तथा उसकी दो बच्चियां भी यहीं रह रही थीं। घर में वह अकेला ही आय का स्रोत था। कभी रिक्शा चलाकर तो कभी कबाड़ी बनकर वह घर का गुज़ारा कर रहा था। ऑटो मार्किट से झुग्गियां उठाई गईं तो वे बेघर हो गए। घर उजड़ने के सदमे ने राजा को बीमार कर दिया। उसे पीलिया हो चुका था। इलाज के अभाव में कल रात करीब क्ख् बजे राजा की मौत हो गई।
    लेकिन बदनसीबी ने मौत के बाद भी उसका साथ नहीं छोड़ा। राजा मध्यप्रदेश के जिस समुदाय से संबंध रखता हैए उसके रिवाज अनुसार शव को दफनाया जाता है। यही रीति.रिवाज़ अब राजा के परिजनों को भी पूरे करने थे। लेकिन उनके सामने बड़ी समस्या थी कि वे शव को दफनाएं कहांघ् शव को शिवपुरी ले जाया गया तो वहां सिर्फ दाह संस्कार करने की अनुमति होने की बात कही गई। इसके बाद उन्हें शव को दफनाने के लिए बिश्नोई समाज के शमशान घाट का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई। वहां भी सिर्फ बिश्नोई समाज के लोगों को दफनाए जाने की बात कहते हुए उन्हें जाने को कह दिया गया। राजा के परिजन शव को ऑटो में लेकर जगह.जगह भटकते रहे। आखिर उन्होंने अपनी गुहार जिला उपायुक्त से लगाई। उपायुक्त युद्धवीर सिंह ख्यालिया ने मामले का तुरंत संज्ञाान लेते हुए तहसीलदार राजेंद्र सिंह को परिजनों की सहायता के आदेश दिए। इसके बाद राजा के शव को तहसीलदार सेंट जॉन मैथोडिस्ट चर्च स्थित कब्रिस्तान में लेकर गए। लेकिन यहां भी चर्च के अधिकारियों ने उन्हें शव दफनाने से मना कर दिया। आखिरकार राजा का शव कंगनपुर ले जाया गया। यहां तहसीलदार ने सरपंच गुरविंद्र सिंह से बातचीत कर शव को गांव की पंचायती भूमि में दफनाने की सहमति ले ली। किसी प्रकार के विरोध की आशंका को लेकर हुड्डा पुलिस चौकी प्रभारी राजकुमार भी दल बल सहित मौके पर मौजूद रहे। प्रशासन की मौजूदगी में परिजनों ने राजा के शव को सुपुर्द.ए.ख़ाक किया।

पूरा सच: पूरा सच: एक नजर में

पूरा सच: पूरा सच: एक नजर में: "पूरा सच केवल एक समाचार पत्र ही नही है, बल्कि यह समाज में फैली कुरीतियों के विरुद्ध कलम की आवाज़ है, जिसे सिरसा के शहीद पत्रकार राम चन्द्र ..."

पूरा सच: एक नजर में

पूरा सच केवल एक समाचार पत्र ही नही है, बल्कि यह समाज में फैली कुरीतियों
के विरुद्ध कलम की आवाज़ है, जिसे सिरसा के शहीद पत्रकार राम चन्द्र
छत्रपति ने सन 2000 में बुलंद किया. लेकिन अफ़सोस कि सच के सौदागरों ने
छत्रपति की कलम की नोक तोड़ने का कुत्सित प्रयास किया. नोक टूट तो गयी
लेकिन कलम चलती रही. अब उसकी स्याही अधिक फैलाव के साथ सच लिख रही थी. सच
के सौदागरों ने नोटों के बंडलों से पूरा सच में छपे अक्षरों को छुपाने की
कोशिश की लेकिन टूटी नोक वाली कलम की स्याही का फैलाव ही इतना था की नोट
भी इसे छुपा नहीं सके. कलम 11 वर्ष से निरंतर चल रही है, सच लिख रही है
लेकिन न तो इसकी स्याही सूखी है और न ही खत्म ही हो रही है. यही छत्रपति
की कलम का कमाल है. 'सच का सौदा' करने वालों को भी इस कलम की नोक तोड़ने का
मलाल तो है, लेकिन वो भी अब बेबस हैं. सच का सौदा काफी हुआ अब सच्चा सौदा
होगा. गुरु नानक देव जी वाला!