सिरसा। धर्म के नाम पर दिल खोलकर रख देने के लिए प्रख्यात सिरसा के लोगों की मानवता के प्रति तंगदिली का नमूना देख आज रूह कांप उठी। मध्यप्रदेश के एक मराठे को मरणोपरांत दफनाने के लिए यहां दो गज ज़मीन दिलवाने हेतु परिजनों को दर.दर ठोकरें खानी पड़ीं। आखिरकार जिला प्रशासन ने उनकी पुकार सुनी और कंगनपुर की पंचायती भूमि में शव को दफन किया गया। खास बात यह है कि युवक की मौत भी देश की इस जर्जर व्यवस्था की भेंट चढ़ने के कारण ही हुई थी।
बताया गया है कि मध्यप्रदेश निवासी राजा ;25द्ध पुत्र गंगाराम विगत 20 सालों से सिरसा के ऑटो मार्किट में झुग्गी बनाकर रह रहा था। उसके साथ उसकी त्त्0 वर्षीय मां कमला देवीए पत्नी उषा तथा उसकी दो बच्चियां भी यहीं रह रही थीं। घर में वह अकेला ही आय का स्रोत था। कभी रिक्शा चलाकर तो कभी कबाड़ी बनकर वह घर का गुज़ारा कर रहा था। ऑटो मार्किट से झुग्गियां उठाई गईं तो वे बेघर हो गए। घर उजड़ने के सदमे ने राजा को बीमार कर दिया। उसे पीलिया हो चुका था। इलाज के अभाव में कल रात करीब क्ख् बजे राजा की मौत हो गई।
लेकिन बदनसीबी ने मौत के बाद भी उसका साथ नहीं छोड़ा। राजा मध्यप्रदेश के जिस समुदाय से संबंध रखता हैए उसके रिवाज अनुसार शव को दफनाया जाता है। यही रीति.रिवाज़ अब राजा के परिजनों को भी पूरे करने थे। लेकिन उनके सामने बड़ी समस्या थी कि वे शव को दफनाएं कहांघ् शव को शिवपुरी ले जाया गया तो वहां सिर्फ दाह संस्कार करने की अनुमति होने की बात कही गई। इसके बाद उन्हें शव को दफनाने के लिए बिश्नोई समाज के शमशान घाट का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई। वहां भी सिर्फ बिश्नोई समाज के लोगों को दफनाए जाने की बात कहते हुए उन्हें जाने को कह दिया गया। राजा के परिजन शव को ऑटो में लेकर जगह.जगह भटकते रहे। आखिर उन्होंने अपनी गुहार जिला उपायुक्त से लगाई। उपायुक्त युद्धवीर सिंह ख्यालिया ने मामले का तुरंत संज्ञाान लेते हुए तहसीलदार राजेंद्र सिंह को परिजनों की सहायता के आदेश दिए। इसके बाद राजा के शव को तहसीलदार सेंट जॉन मैथोडिस्ट चर्च स्थित कब्रिस्तान में लेकर गए। लेकिन यहां भी चर्च के अधिकारियों ने उन्हें शव दफनाने से मना कर दिया। आखिरकार राजा का शव कंगनपुर ले जाया गया। यहां तहसीलदार ने सरपंच गुरविंद्र सिंह से बातचीत कर शव को गांव की पंचायती भूमि में दफनाने की सहमति ले ली। किसी प्रकार के विरोध की आशंका को लेकर हुड्डा पुलिस चौकी प्रभारी राजकुमार भी दल बल सहित मौके पर मौजूद रहे। प्रशासन की मौजूदगी में परिजनों ने राजा के शव को सुपुर्द.ए.ख़ाक किया।
बताया गया है कि मध्यप्रदेश निवासी राजा ;25द्ध पुत्र गंगाराम विगत 20 सालों से सिरसा के ऑटो मार्किट में झुग्गी बनाकर रह रहा था। उसके साथ उसकी त्त्0 वर्षीय मां कमला देवीए पत्नी उषा तथा उसकी दो बच्चियां भी यहीं रह रही थीं। घर में वह अकेला ही आय का स्रोत था। कभी रिक्शा चलाकर तो कभी कबाड़ी बनकर वह घर का गुज़ारा कर रहा था। ऑटो मार्किट से झुग्गियां उठाई गईं तो वे बेघर हो गए। घर उजड़ने के सदमे ने राजा को बीमार कर दिया। उसे पीलिया हो चुका था। इलाज के अभाव में कल रात करीब क्ख् बजे राजा की मौत हो गई।
लेकिन बदनसीबी ने मौत के बाद भी उसका साथ नहीं छोड़ा। राजा मध्यप्रदेश के जिस समुदाय से संबंध रखता हैए उसके रिवाज अनुसार शव को दफनाया जाता है। यही रीति.रिवाज़ अब राजा के परिजनों को भी पूरे करने थे। लेकिन उनके सामने बड़ी समस्या थी कि वे शव को दफनाएं कहांघ् शव को शिवपुरी ले जाया गया तो वहां सिर्फ दाह संस्कार करने की अनुमति होने की बात कही गई। इसके बाद उन्हें शव को दफनाने के लिए बिश्नोई समाज के शमशान घाट का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई। वहां भी सिर्फ बिश्नोई समाज के लोगों को दफनाए जाने की बात कहते हुए उन्हें जाने को कह दिया गया। राजा के परिजन शव को ऑटो में लेकर जगह.जगह भटकते रहे। आखिर उन्होंने अपनी गुहार जिला उपायुक्त से लगाई। उपायुक्त युद्धवीर सिंह ख्यालिया ने मामले का तुरंत संज्ञाान लेते हुए तहसीलदार राजेंद्र सिंह को परिजनों की सहायता के आदेश दिए। इसके बाद राजा के शव को तहसीलदार सेंट जॉन मैथोडिस्ट चर्च स्थित कब्रिस्तान में लेकर गए। लेकिन यहां भी चर्च के अधिकारियों ने उन्हें शव दफनाने से मना कर दिया। आखिरकार राजा का शव कंगनपुर ले जाया गया। यहां तहसीलदार ने सरपंच गुरविंद्र सिंह से बातचीत कर शव को गांव की पंचायती भूमि में दफनाने की सहमति ले ली। किसी प्रकार के विरोध की आशंका को लेकर हुड्डा पुलिस चौकी प्रभारी राजकुमार भी दल बल सहित मौके पर मौजूद रहे। प्रशासन की मौजूदगी में परिजनों ने राजा के शव को सुपुर्द.ए.ख़ाक किया।
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