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सच और झूठ के बीच कोई तीसरी चीज नहीं होती और मैं सच के साथ हूं : छत्रपति       www.poorasach.com      

Saturday 26 November 2011

17 को पांच-पांच वर्ष कारावास

सिरसा। फास्ट ट्रेक न्यायालय ने गृहराज्यमंत्री गोपाल कांडा के 17 सहयोगियों को आयकर विभाग के अधिकारियों व मीडिया कर्मियों से मारपीट व दुव्र्यवहार करने के मामले में पांच-पांच वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। दोषियों को एक-एक हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया गया है। अर्थदंड की अदायगी न करने पर सभी दोषियों को दो-दो माह अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
मामले के अनुसार 31 जनवरी 2008 को रानियां रोड स्थित  कांडा बंधुओं के कार्यालय में आयकर विभाग के एडीआईटी मुंशी राम की टीम ने छापेमारी की थी। इस दौरान नवीन गर्ग, सुशील शर्मा पुत्र रामशरण शर्मा निवासी बेगू रोड, अमित पुत्र धनराज निवासी पुरानी हाऊसिंग बोर्ड कालोनी, सुशील सैनी पुत्र बीरबल राम सैनी निवासी गऊशाला मोहल्ला, मदन लाल जांगड़ा पुत्र कांशी राम निवासी मोहल्ला जंडवाला, भूप सैनी पुत्र सीताराम सैनी निवासी रामनगरिया, गुरदयाल उर्फ दयाला पुत्र इस्सर राम सैनी निवासी बरनाला रोड, सूरत सैनी पुत्र फूल चंद सैनी निवासी कीर्तिनगर, जरनैल सिंह पुत्र रामचन्द्र निवासी चत्तरगढ़ पट्टी, नरेश सैनी पुत्र श्याम सुंदर निवासी कीर्तिनगर, हरफूल पुत्र हरीश चन्द्र शर्मा निवासी रामकालोनी, प्रेम पुत्र देवीलाल सैनी निवासी रामनगरिया, कृष्ण लाल सैनी पुत्र सूरजा राम निवासी रामनगरिया, गुलाब चंद पुत्र गोपाल दास गुज्जर निवासी रानियां गेट, राजू उर्फ राजकुमार पुत्र लीलू राम सैनी निवासी रामनगरिया, शंकर लाल पुत्र राजकुमार अग्रवाल निवासी नोहरिया बाजार, मुकेश महाजन पुत्र सीताराम निवासी हिसारिया बाजार तथा जीतेन्द्र कुमार पुत्र प्रताप सिंह धानक निवासी चत्तरगढ़पट्टी ने अधिकारियों व कर्मचारियों के साथ मारपीट की। न्यायालय ने उक्त सभी को भारतीय दंड संहिता की धारा 332, 353, 186, 204 व 395 के तहत दोषी मानते हुए उपरोक्त सभा सुनाकर दंडित किया।

हत्या के प्रयास में 10 साल की सजा

सिरसा। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायालय ने हत्या के प्रयास के मामले में एक युवक को 10 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। दोषी को 50 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया गया है। मामले के अनुसार 22 मार्च 2008 को होली के अवसर पर नशे में धुत ढाणी भाटों वाली निवासी प्रेम कुमार अपने पड़ोसी भले राम के घर जा पहुंचा। किसी बात को लेकर प्रेम की भले राम के साथ कहासुनी हो गई। तैश में आए प्रेम ने भले राम के सिर पर गंडासी से हमला कर दिया। गंभीर हालत के चलते भले राम को सिरसा के सामान्य अस्पताल में भर्ती करवाया गया। तदोपरांत पुलिस ने भले राम की शिकायत पर प्रेम के  विरुद्ध भादंसं की धारा 307 के तहत मामला दर्ज कर चालान न्यायालय में पेश किया। करीब पौने तीन वर्ष तक चली अदालती कार्रवाई के दौरान आज न्यायाधीश डा. नीलिमा सांगला की अदालत ने प्रेम कुमार को हत्या के प्रयास का दोषी पाया। न्यायालय ने दोषी को 10 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई। न्यायालय ने प्रेम को 50 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया। अर्थदंड की अदायगी न करने पर दोषी को 3 वर्ष अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।

कोहरे का कहर, 1 की मौत 5 घायल

सिरसा। राष्ट्रीय राजमार्ग 10 पर आज कोहरे के कहर ने एक युवक की जान ले ली। दो लोग गंभीर घायल हो गए। घायलों को सामान्य अस्पताल में दाखिल करवाया गया है।
मिली जानकारी के अनुसार गांव बग्गूवाली निवासी देवेन्द्र सिंह उर्फ बिट्टू पुत्र गुरनाम सिंह आज प्रात: अपने साथी सुखविन्द्र सिंह व ग्राम सरपंच जगदेव सिंह के साथ ट्रैक्टर-ट्राली लेकर सिरसा आ रहा था। डिंग के निकट फतहबाद की तरफ से आ रही हरियाणा रोडवेज बस की घने कोहरे के कारण ट्राली से टक्कर हो गई। टक्कर लगने से ट्रैक्टर-ट्राली पलट गया। हादसे में देवेन्द्र की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। सुखजिन्द्र व बस परिचालक सुनील कुमार गंभीर घायल हो गए। ग्राम सरपंच जगदेव सिंह बाल-बाल बच गए। जगदेव सिंह ने हादसे की जानकारी डिंग थाना पुलिस को दी। पुलिस मौके पर पहुंची। शव व घायल को सामान्य अस्पताल पहुंचाया। पुलिस ने सरपंच की शिकायत पर बस चालक के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
उधर नकोड़ा के निकट टाटा सूमो व ट्रैक्टर-ट्राली में टक्कर हो गई। हादसे में चार लोग घायल हो गए। घायलों को सामान्य अस्पताल में दाखिल करवाया गया है। पुलिस ने ट्रैक्टर-चालक के खिलाफ मामला दर्ज किया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार नकौड़ा निवासी सूमो चालक लखविन्द्र सिंह रानियां आ रहा था। इसी दौरान गांव के ही सोनू पुत्र पप्पू, भारती पुत्र राजाराम व बिन्द्र पुत्र सुक्खा सिंह उसके साथ सूमो में सवार हो गए। जैसे ही सूमो गांव से बाहर निकली। घने कोहरे के कारण सूमो व ट्रैक्टर-ट्राली के बीच टक्कर हो गई। हादसे में चारों घायल हो गए। राहगीरों ने उन्हें सामान्य अस्पताल दाखिल करवाया।

विवाहिता की मौत के मामले में ससुर काबू

सिरसा। भगत सिंह कालोनी में विवाहिता की मौत के मामले में बस अड्डा पुलिस चौकी ने आरोपी ससुर को काबू कर लिया। आरोपी को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी एनके सिंघल की अदालत में पेश किया गया। न्यायालय ने आरोपी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजे जाने के आदेश दिए। गौरतलब है कि गत दिवस भगत सिंह कालोनी निवासी अधिवक्ता रणबीर सिंह जम्मू की पत्नी हरप्रीत कौर की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। मृतका के परिजनों ने ससुरालपक्ष पर दहेज हत्या का आरोप लगाया था। शहर थाना पुलिस ने इस संदर्भ में पति रणबीर ङ्क्षसह जम्मू, ससुर जंगीर सिंह व एक अन्य के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू। मृतका का शव सामान्य अस्पताल पहुंचाया गया। बस अड्डा चौकी प्रभारी दलबीर सिंह ने बताया कि मृतका गर्भवती थी। शव के पोस्टमार्टम हेतु चिकित्सकों का एक बोर्ड गठित किया गया है। फिलहाल मृतका की मौत के कारणों का पता नहीं चल पाया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के पश्चात ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी। उधर इस मामले में आरोपी ससुर एडवोकेट जंगीर सिंह जम्मू को पुलिस ने काबू कर लिया। आरोपी को न्यायालय में पेश किया गया जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। पति व एक अन्य आरोपी की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है।

मैं हुण उसनूं भाल रिहा...

मैं हुण उसनूं भाल रिहा हां,
हुण तक जिसदे नाल रिहा हां।
जो सब नूं ही चानण वंडण,
मैं ओह दीवे बाल रिहा हां।
ओह हुण वार करे मेरे ते,
बणके जिसकी ढाल रिहा हां।
मोड़ उमर दे ते मैं सोचां,
जिंदा किन्ने साल रिहा हां।
देण सहारा जो जीवण नूं,
मैं ओह सुपने पाल रिहा हां।
अज्ज 'अनूप' करे जो औखा,
कल ते उसनूं टाल रिहा हां।
-अनुपिंद्र सिंह 'अनूप'

पंजाब: बादल रामूवालिया मिलन से बदले राजनीतिक समीकरण

लुधियाना।  पंजाब विधानसभा के चुनावों की अभी घोषणा नहीं हुई है, मगर चुनाव नजदीक होने की वजह से राजनीतिक दलों ने सरगर्मियां बढ़ा दी है और निरंतर राजनीतिक समीकरणों में बदलाव आ रहा है। अकाली दल के सरंक्षक व मुख्यमंत्री पंजाब प्रकाश सिंह बादल के भतीजे एवं पूर्व वित्त मंत्री पंजाब मनप्रीत बादल द्वारा अकाली दले से अलविदाई लेकर अलग होकर पीपुल्स ऑफ पंजाब पार्टी के गठन उपरांत प्रदेश में राजनीतिक मानचित्र पर कई चित्र दिखाई दे रहे है। मनप्रीत बादल का दो अन्य राजनीतिक दलों के साथ तालमेल करके तीसरे मोर्चे का रूप देकर अकाली दल चिंता में दिखाई देने लगा था, मगर पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं लोकभलाई पार्टी के सुप्रीमों बलवंत सिंह रामूवालिया की पार्टी का अकाली दल में विलय 'सोने पर सुहागा' का काम कर गया है और अकाली कार्यकर्ताओं के मनोबल को ऊपर उठाने में सहायक सिद्ध होगा। अकाली दल द्वारा जनहित घोषणाओं की पिटारी खोलने, विश्व कबड्डी कप प्रतियोगिता का आयोजन करने तथा 'विरासत-ए-खालसा' समारोहों से लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास किये जा रहे है, जबकि दूसरी तरफ आपसी फूट का शिकार कांग्रेस में पार्टी के ही एक पूर्व प्रदेशाध्यक्ष शमशेर सिंह दुल्लो द्वारा पंजाब में दलितों, हिंदुओं तथा अल्पसंख्यकों की जनसंख्या 78 प्रतिशत होने का दावा करते हुए 117 विधानसभाई सीटों में से 90 सीटें इन वर्गों को देने की वकालत करके प्रदेश कांग्रेस में हडकंप मचा दिया है। कांग्रेसी दिग्गज दुल्लो की इस डुगडुगी पर कोई टिप्पणी ना करे, मगर यह तो मानते है कि राज्य की राजनीति पर कुछ धनाढय़ परिवार काबिज है, जिनमें आपसी नजदीकी रिश्ते है और अक्सर वह ऐसी स्थिति उत्पन्न करते रहते है कि पंजाब की अन्य जातियां ऊपर ना उठ सके। रामूवालिया-बादल मिलाप से अकाली दल को जरूर मजबूती मिलेगी, मगर दुल्लो की यह टिप्पणी कांग्रेस के लिए शुभ संकेत नहीं कही जा सकती। चुनावी युद्ध में बसपा तथा शिरोमणी अकाली दल(अमृतसर) के कूदने की भी चर्चा है, जिस वजह से प्रदेश के राजनीतिक समीकरणों में निरंतर बदलाव देखने को मिल रहा है। (प्रेसवार्ता)

सिरसा: जहां चल रही है समांतर परिवहन सेवा

सिरसा।  परिवहन विभाग की अनदेखी या विभाग के भ्रष्टतंत्र की सांठगांठ बदौलत जिला भर में अवैध वाहन धडल्ले से दौड रहे है, जिसके चलते राज्य परिवहन को लाखों रूपये का चूना प्रतिदिन लग रहा है। परिवहन विभाग का दावा है कि अवैध वाहनों पर शिकंजा समय-समय पर कसा जाता है, मगर फिर भी समांतर परिवहन सेवा का बेरोकटोक चलना कई संदेह उत्पन्न करता है। इससे इंकार नहीं किया जा सकता कि अवैध वाहन चालक मोबाईल से रूट की जानकारी लेते है, मगर विभागीय तंत्र पहले ही सूचित कर देता है कि अमुक साईड पर चैकिंग होगी। सिरसा के पुलिस कप्तान यातायात, सुरक्षा प्रबंधों को लेकर काफी सक्रिय है, मगर विभिन्न-विभिन्न पुलिस नाकों से भरे अवैध वाहन पुलिसिया तंत्र को नजर नहीं आते, जबकि अवैध वाहनों में सवारियों को ठूंस-ठूंस कर भरा जाता है। सिरसा के सांगवान चौक से डबवाली, ऐलनाबाद व रानियां, बेगू रोड़ से जमाल व चोपटा, बस स्टैंड के करीब फतेहाबाद के लिए अवैध वाहन दिन भर धड़ल्ले से चलते हैं। परिवहन विभाग का भ्रष्ट तंत्र चालान करते है, मगर चालान की राशि सरकारी खजाने में जमा न होकर  विभागीय अधिकारी की जेब में चली जाती है, क्योंकि चालान बुक ही फर्जी होती है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक चालू वर्ष में 117 वाहनों के चालान तथा डेढ़ दर्जन वाहन जब्त किए गए, मगर इनसे कितना जुर्माना वसूल किया गया, पूछने पर यातायात प्रबंधक महावीर बिश्रोई ने कहा कि आरटीआई मांग लो, सारी जानकारी मिल जाएगी। (प्रेसवार्ता)

सब्र का घड़ा अब छलकने लगा है : सिद्धू


रतिया। भाजपा-हजकां गठबंधन प्रत्याशी महावीर प्रसाद के समर्थन में आयोजित रैली में क्रिकेट जगत के मशहूर सितारे एवं सांसद नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार पर हमला करने वाले सिख युवक के खिलाफ जिस धारा में मुकद्दमा दर्ज किया गया है उसी धारा के तहत उत्तर प्रदेश के एयरपोर्ट पर राहुल गांधी को काले झंडे दिखाने वाले युवक को सरेआम जूतों एवं लातों से मारने वाले केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ भी होना चाहिए।
रैली में मंच पर पहुंचते ही नवजोत सिंह सिद्धू एवं कुलदीप बिश्नोई सहित सभी नेताओं ने हाथ हिलाकर जनता का अभिवादन किया तथा नेताओं का कार्यकत्र्ताओं ने एक बड़ी माला से स्वागत किया। सिद्धू ने उपस्थित भारी भीड़ में जोश भरते हुए कहा कि हालांकि मैं शरद पवार पर हुए हमले की निंदा करता हूं परंतु कांग्रेस के भ्रष्टाचार, महंगाई एवं घोटालों से त्रस्त जनता का आक्रोश साफ झलकने लगा है। कांग्रेस ने अपने कुशासन पर रोक नहीं लगाई तो देश की जनता कांग्रेसी नेताओं एवं केंद्रीय मंत्रियों का जीना हराम कर देगी। उन्होंने गठबंधन प्रत्याशी महावीर प्रसाद को जिताने की अपील करते हुए सभा में एक शेर पढकर सुनाया। 'पीपलियां दे पत्ते ओये, का दी खड़ खड़ लाई है, पुराने पत्ते झड़ गए हुण रूत नवेयां दी आई है।' उन्होंने कहा कि हरियाणा में हजकां भाजपा के पक्ष में चली आंधी और तूफान में सब विरोधी दल सूखे पत्तों की तरह उड़ जायेंगे और रतिया व आदमपुर में गठबंधन प्रत्याशी भारी वोटों से जीतेंगे।
हजकां सुप्रीमो कुलदीप बिश्नोई ने भीड़ से गद्गद् होकर कहा कि हिसार उपचुनाव में सभी विरोधी नेता कहते थे कि जो जीतेगा अगली सरकार प्रदेश में उसी की होगी, वह तो मैंने जीत लिया। अब बारी रतिया की है। रतिया का चुनाव महावीर प्रसाद को जिता दो, भूपेंद्र हुड्डा की मुख्यमंत्री की कुर्सी से छ: माह में ही छुट्टी कर दूंगा। उन्होंने कहा कि जो इनैलो के नेेता सत्ता में रहते पंजाबी बणियों के वोट का अधिकार छीनने का बात कर पंजाबियों को पाकिस्तानी लुटेरे बताते थे, वह आज किस मुंह से इन वर्गांे की वोट लेने की बात कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि रतिया और आदमपुर की जनता के पास इनैलो और कांग्रेस से छुटकारा पाने का इससे बढिया मौका नहीं आ सकता।
भाजपा के प्रदेश प्रभारी एवं दिल्ली से विधायक हर्षवर्धन नेे कहा कि देश आजाद होने के बाद देश में कांग्रेस के जितनेे भी प्रधानमंत्री हुए हैं। उनमें लाल बहादुर शास्त्री को छोड़कर बाकी प्रधानमंत्रियों का कार्यकाल भ्रष्टाचार, घोटालों से भरपूर रहा है और आज देश की जनता कांग्रेस की महंगाई बढाने वाली नीतियों तथा घोटालों के खिलाफ असहाय महसूस कर रही है कि कब चुनाव हों और कब कांग्रेस के राज से छुटकारा मिले। उन्होंने कहा कि देश की जनता को पहले भी राजग के अटल बिहारी वाजपेयी के शासन में राहत मिली थी और भविष्य में भी राजग की आने वाली सरकार ही महंगाई, भ्रष्टाचार से राहत दिलाकर घोटालेबाजों को जेल भेजने का काम करेगी।
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष कृष्णपाल गुर्जर ने कहा कि कांग्रेस ने किसानों की फसल लागत से भी कम दर में बिकवा कर, जमीनों का सस्ती दरों में अधिग्रहण करके, बीज खाद, कीटनाशक महंगी दरों पर उपलब्ध करवाकर बर्बाद कर दिया है। उन्होंने कहा कि इनैलो सुप्रीमो आज रतिया की जनता को राज आने की बात कहकर बहका रहे हैं जबकि इनैलो का शासन इतना बढिया होता तो वर्ष 2000 में 63 विधायक जीतने के बाद 2005 के चुनाव में केवल नौ विधायक न जीतते। उन्होंने कहा कि गठबंधन इनैलो कांग्रेस का विकल्प बन चुका है और सरकार बनते ही जनता महसूस करेगी कि राज क्या होता है। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव कैप्टन अभिमन्यु ने हिसार उपचुनाव की तरह रतिया और आदमपुर में इनैलो कांग्रेस की जमानत जब्त करवाने का आह्वान किया।
गठबंधन प्रत्याशी महावीर प्रसाद सभा में इतने भावुक हो गए कि उन्होंने अश्रुपूर्ण नेत्रों से कहा कि रतिया में मेरे पिता स्वर्गीय पीरचंद ने ब्लाक से सब तहसील, सब तहसील से तहसील, तहसील का भवन, हस्पताल, बस स्टैंड, रैस्ट हाऊस, हैफेड का कारखाना, रतिया के पुराने इलाके जाखल में सबसे बड़ा राईस शैलर और रतिया को उपमंडल बनवाने का सार्थक प्रयास सहित जितना भी विकास हुआ, उन्होंने ही करवाया। उसके बाद 16 वर्ष से किसी ने एक ईंट रतिया में नहीं लगवाई। मेरा विश्वास है कि मुझे आपका प्यार इस बार मिलेगा और मैं विश्वास दिलाता हूं कि स्वर्गीय भजनलाल एवं पीरचंद की जोड़ी की तरह कुलदीप बिश्नोई के सहयोग से रतिया में विकास की गंगा बहा दूूंगा।
रैली को पूर्व सांसद रतनलाल कटारिया, विधायक अनिल विज, पूर्व मंत्री रामविलास शर्मा, पूर्व सांसद किशन सिंह सांगवान, रामचंद्र बंैदा, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष आत्मप्रकाश मनचंदा, प्रो. गणेशीलाल, महामंत्री वीरकुमार यादव, पूर्व सांसद धर्मपाल मलिक, पूर्व विधायक राकेश कंबोज, कंवरपाल गुर्जर,  हजकां जिलाध्यक्ष राजेंद्र चौधरी काका, स. बूटा सिंह, सतपाल गोदारा, पूर्व मंत्री धर्मवीर यादव, पूर्व मंत्री जयनारायण खुंडिया, वीरभान मैहता, पूर्वमंत्री शशिपाल मैहता, मीडिया प्रभारी राजीव जैन, सुभाष बराला, भाजपा जिलाध्यक्ष मोलूराम रूल्हानियां, धर्मपाल शर्मा, सुभाष खिलेरी, कुलवंत बराड़, भाजपा के प्रदेश महामंत्री वीर कुमार यादव, दीपक मंगला, उपाध्यक्ष रामचंद्र जांगड़ा, नायब सैनी, जगदीश चोपड़ा, दर्शन सिंह गिल, पवित्र सिंह बाजवा, स. कमलदीप ङ्क्षसह, स. जरनैल ङ्क्षसंह, गोगा सिंह सहित अनेक नेताओं ने संबोधित किया।

लार्ड शिवा कालेज के छात्र ने किया सिरसा को गोरान्वित

सिरसा। स्थानीय लार्ड शिवा कालेज आफ फार्मेसी की एनएसएस ईकाई के स्वयंसेवक सुनीत सिंह जोकि बीफार्मेसी तृतीय वर्ष के छात्र हैं, दिल्ली व मनाली में आयोजित एनएसएस मेगा केंप 2011 से प्रशिक्षण प्राप्त कर कल लौट आए। यह जानकारी देते हुए प्राचार्य डा0 यशपाल सिंगला ने बताया कि एनएसएस मेगा केंप 2011 का आयोजन युवा एवं खेल मंत्रालय भारत सरकार ने दिनांक 13 नवम्बर से 24 नवम्बर 2011 तक किया। इस  कैंप में 7 दिन दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में प्रशिक्षण दिया गया एवं 4 दिन हिमाचल प्रदेश के अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीटयूट आफ माउंटेनियरिंग एवं अलाईड स्पोटर्स, मनाली द्वारा पर्वतारोहण का प्रशिक्षण दिया गया। इस कैंप में पूरे भारत से 400 एनएसएस स्वयंसेवकों ने भाग लिया जिसमें हरियाणा से चयनित 6 उम्मीदवारों में से सुनीत सिंह एक है। सुनीत सिहं ने बताया कि मेगा कैंप 2011 में चयनित होना मेरे लिए एवं मेरे महाविद्यालय के लिए एक गौरव का विषय है। इस कैंप में सभी प्रतिभागियों को पर्वतारोहण के लिए कठिन प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण को लेना मुझे हमेशा आगे बढऩे के लिए प्रेरित करता रहेगा। एनएसएस प्रोग्राम आफिसर  जगतार सिंह चौहान ने बताया कि हम समय-समय पर बीफार्मेसी के स्वयंसेवकों को ऐसे प्रशिक्षण शिविरों में भेजते रहते हैं जिससे उनके व्यक्तिव का सम्पूर्ण विकास होता है। संस्था के चेयरमेन चौ. साहिब राम गोदारा, महासचिव श्री सोमप्रकाश एडवोकेट एवं महानिदेशक श्री देश कमल विश्रोई ने महाविद्यालय की एनएसएस ईकाई की इस उपलब्धि पर सुनीत सिंह, प्राचार्य, एनएसएस प्रभारी, एनएसएस सलाहकार समिति के सभी सदस्यों डा. जितेन्द्र सिंह, मिस पारूल ग्रोवर, नरेश  एवं सभी विद्यार्थियों को बधाई दी एवं आगे बढऩे के लिए प्रेरित किया।

नैशनल कॉलेज ऑफ एजुकेशन सिरसा में विस्तार भाषण तथा सुक्ष्म शिक्षण प्रतियोगिता का आयोजन

सिरसा। नैशनल कॉलेज  ऑफ  एजुकेशन,  सिरसा में सुक्ष्म शिक्षण प्रतियोगिता का आयोजन करवाया गया। इस प्रतियोगिता में जे.जी. कॉलेज ऑफ  एजुकेशन की प्राचार्या डॉ अरूणा जी ने गेस्ट ऑफ ऑनर के रूप में शिरकत की। इस अवसर पर कॉलेज के सचिव श्री वी.पी.सिंगला जी भी उपस्थित थे। कॉलेज प्राचार्या डॉ.एस.बी.शर्मा जी  ने पुष्प गुच्छ भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर चौ.देवी लाल विश्वविद्यालय की एजुकेशन डिर्पाटमेंट की प्रवकता वंदना पुनिया, गल्र्ज सीनियर सैेकेंडरी स्कूल, ऐलनाबाद के प्राचार्य डॉ विरेन्द्र तथा महाराजा अग्रसेन स्कूल की प्राचार्या शालिनी वर्मा ने जज की भूमिका का निर्वहन किया। कॉलेज छात्नाओं ने आये हुए सभी अतिथियों का तिलक लगाकर अभिन्नदन किया तथा गेस्ट ऑफ ऑनर डॉ.अरूणा जी ने विद्या की देवी मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रजवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
इस प्रतियोगिता का उद्वेश्य बताते हुए कॉलेज प्राचार्य डॉ. एस.बी. शर्मा जी ने कहा कि ये आयोजन विद्यार्थियों मे सकारात्मक प्रतियोगिता की भावना का समावेश करती है। चुंकि ये विद्यार्थी भविष्य में अध्यापक बनने जा रहें हैं और इस प्रकार की प्रतियोगिताएं विद्यार्थियों के अध्यापन कौशल को विकसित करने में मु2य भुमिका निभाती हैँ। इस प्रतियोगिता में सुक्ष्म शिक्षण  समुहों में अच्छा प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों की प्रतियोगिता करवाई गई तथा उनमें से बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को चुना गया । इस प्रतियोगिता में २४ विद्यार्थियों ने भाग लिया। विजीय विद्यार्थियों क ो समृति चिह्न देकर उनके उत्साह को बढाया गया।
इसी कडी में महाविद्यालय में विस्तार भाषण का आयोजन किया गया। यह विस्तार भाषण सेंट जेवियर के अंग्रेजी तथा सामाजिक अध्ययन के प्रवकता ओगसतो फर्नाडिज तथा क6पयूटर साईंस के हैड एवं एकैडमिक कॉरडिनेटर श्री किरण कुमार पटनायक द्वारा किया गया। कॉलेज प्राचार्य ने आये हुए अतिथियों को पुष्प गुच्छ भेंट कर तथा कॉलेज छा0त्नों द्वारा तिलक लगाकर उनका अभिन्दन किया गया।
इस विस्तार भाषण में वकताओं ने माध्यमिक स्तर पर समाजिक अध्ययन में आधुनिक परिवर्तन कक्षा शिक्षण को रूचिकर बनाने में क6पयुटर की  भूमिका, अधिगम-शिक्षण प्रक्रिया में कैसे पुर्णता तथा प्रभावशीलता लाई जाए, कक्षा शिक्षण में आने वाली समस्याओं का समाधान, अधिगम शिक्षण को प्रभावशाली बनाने में व्यकितगत विभिन्नताओं को पहचानने की भूमिका, सैद्वांतिक ज्ञान को व्यवहारिक ज्ञान के द्वारा कैसे रूचिकर बनाया जाए जैसे विषयों पर अपने विचार तथा अनुभव महाविद्यालय के विद्यार्थियों के समक्ष प्रस्तुत किए। इन विषयों की जानकारी देने का उद्वेश्य बताते हुए कॉलेज प्राचार्य डॉ. एस.बी. शर्मा जी ने कहा कि हमारे विद्यार्थी भावी अध्यापक है तथा इन्हे अपनी शिक्षण को प्रभावशाली बनाने के लिए इन विषयों का व्यवहारिक ज्ञान प्रदान करना बहुत आवश्यक है।
समारोह के अंत में आये हुए सभी अतिथियों को कॉलेज के सचिव श्री वी.पी.सिंगला जी तथा प्राचार्या डॉ.एस.बी.शर्मा जी के द्वारा समृति चिह्न भेंट कर स6मानित  किया गया। कॉलेज प्राचार्य डॉ. एस.बी. शर्मा जी ने अतिथियों का अपना कीमती समय निकाल कर आने पर तथा विद्यार्थियों का मार्गदर्शन करने पर धन्यावाद किया।

शरद को चांटा

वीरेंद्र भाटिया

हरविंदर सिंह ने शरद पवार के गाल पर चांटा जड़ दिया। हरविंदर ने एक चांटा मारा लेकिन मीडिया ने पूरा दिन मारे। इसीलिए शायद अन्ना ने पूछा कि 'एक ही मारा?' दरअसल ये चांटा शरद पवार को तो पड़ा ही, मनमोहन सरकार के मूंह पर भी चांटा है। जिस तरीके से महंगाई को लेकर सरकार बेनकाब हुई है और आम जनता को बेहुदा तरीके से दामों में बढ़ौतरी की सजा मिल रही है उसके बदले यदि महंगाई के सबसे बड़े कारण रहे उनके इस बड़े मंत्री को एक चांटा पड़ गया तो उसे सरकार संकेत समझे कि शासन करने की आपकी भी कोई जिम्मेदारी है। इतने बड़े-बड़े अर्थशास्त्रियों के झुंड किसलिए इकट्ठे कर रखे हैं यदि एक महंगाई आपसे काबू नहीं होती। हरविंदर सिंह को मीडिया और नेता पागल करार दे रहे हैं लेकिन वह इतना समझदार है कि महंगाई की असली जड़ को पहचान गया। शरद पवार देश में वायदा कारोबार का जनक है। वायदा कारोबार के तहत जरूरी उपयोग की चीजों को  डिलीवरी देने की आड़ में वेयरहाउस में सरकारी तौर पर स्टोर कर दिया जाता है। फिर अपने ही लोगों द्वारा भाव को मैनुपुलेट करके चीजों के दाम बढ़ा दिए जाते हैं। कम भाव पर खरीदी गई चीजों की वायदा कारोबार के वेयर हाउस से डिलीवरी ली जाती है और बाजार में फेंक दी जाती हैं।

इसके अलावा शरद पवार अघोषित रूप से महराष्ट्र के हर बड़े कारोबार में हिस्सेदार है। इस हिस्सेदारी की एवज में वह उन सभी कारोबारियों के हितों के संरक्षण का कार्य करता है जिसमें उसका हिस्सा है। संरक्षण के वक्त शरद पवार आम जनता के हितों के संरक्षण की कीमत पर उन कारोबारियों का संरक्षण करता है और चीनी का निर्यात खुलवा देता है जिससे देश में चीनी कम हो जाती है और जो चीनी 8 से 10 रु किलो आम बिकती थी वह 40 रु किलो बिकने लगती है। ऐसे संरक्षणवादी कार्यों में ही बीता है शरद साहब का अब तक का कार्यकाल। शरद पवार लगातार दोनों सरकारों में कृषि मंत्री हैं। अपने पूरे कार्यकाल में कृषि को लेकर कोई ठोस नीति शरद पवार ने लागू नहीं करवाई। देश की 60 प्रतिशत आबादी को रोजगार देने वाले इतने बड़े क्षेत्र को लेकर शरद पवार सुस्त हैं लेकिन पैट्रोल कंपनियों को घाटा न हो इसलिए पैट्रोल को बाजार के हवाले कर दो, इस फैसले की मंत्री समूह की बैठक में वह शामिल होता है और कुछ नहीं बोलता। कंपनियों को घाटा न हो यह आपके एजेंडा में है क्योंकि आपने इससे अपना राजकोषीय घाटा कम करना है। देश की जी डी पी का जो आधार था कृषि क्षेत्र उसके बारे में क्यों मंत्री समूह की बैठक बुलाने का ख्याल शरद पवार के दिमाग में नहीं आया। खाद के वितरण तक का कोई ढंग का सिस्टम कृषि मंत्रालय के एजेंडे पर नहीं है। लेकिन कृषि मंत्री का प्रोफाइल इसलिए इन महोदय को चाहिए क्योंकि कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण पर जितना मार्जिन है और किसी उत्पाद पर नहीं। वह कंपनियां जो खाद्य उत्पादों के प्रसंस्करण में रत हैं वहां भी शरद पवार का दखल प्रविष्ट हो गया।  देश के हर पैसे वाले जुगाड़ में शरद पवार का इंटरस्ट है। धन बरसाने वाले खेल, क्रिकेट में साहब जी का इंटरस्ट  देखते ही बनता है। बावजूद इसके कि क्रिकेट के पूरे नियम भी शायद ये महोदय जानते नहीं होंगे।
महंगाई क्यों नहीं घट रही इसकी मंत्रणा सरकार करना नहीं चाहती और दकियानूसी तर्क देती है। सरकार अक्सर बोलती रही कि विकास की प्रक्रिया में महंगाई बढ़ती ही है। लेकिन पूरा विश्व मंदी की ओर जा रहा है। भारत की जी डी पी का 10 प्रतिशत का अनुमान आज भी दिवास्वप्न है। 7 प्रतिशत जी डी पी का आंकड़ा इस बरस आ रहा है। आपके आंकड़े ही आपकी बात को झुठला रहे हैं। रिजर्व बैंक अंधेरे में लाठियां चला रहा है। हर बार ब्याज बढ़ाकर पैसा खींच रहा है यानी तरलता कम कर रहा है। इससे कर्ज की लागत बढ़ रही है। कर्ज की लागत बढऩे से बैंक का टर्नओवर कम होगा। कंपनियों की लागत बढ़ेगी और उसका बोझ फिर जनता की ओर। सरकार यह नहीं समझना चाहती की देश की अर्थव्यवस्था में 70 प्रतिशत काला पैसा घूम रहा है जिसे रिजर्व बैंक खीेंच नहीं सकता। उसी काले पैसे से जरूरी चीजों की कालाबाजारी होती है। शरद पवार इस कालाबाजारी का अगुवा हैं। जिस महंगाई की जड़ सरकार को नहीं मिल रही वह जड़ हरविंदर सिंह को पता है। सरकार शरद पवार को घर बैठा देती तो महंगाई नहीं बढ़ती। शरद पवार नैतिक आदमी नहीं हैं। आम जनता का उसने बहुत खून चूसा है और सरकार भी नैतिक नहीं, क्योंकि उसने इस शख्स पर लगाम नहीं लगाई। कामरेड सरकार से क्या गए शरद बाबू आवारा सांड की तरह दनदनाने लगे। ऐसे में कोई आम आदमी गुरु तेगबहादुर जयंती को प्रतीक दिन बना कर शहीद भगत सिंह स्टाईल में उठता है और साहित्यकारों के कार्यक्रम से बाहर निकलते ही महंगाई के प्रतीक के मूंह पर एक चांटा रसीद कर देता है। जो साहित्यकार क्रांति को किताबों में लिखकर बंद कर देते हैं और ऐसे आदमियों से सम्मान और पुरूस्कार लेते हैं उन्हें हरविंदर सिंह जैसा आदमी बता जाता है कि इस आदमी का सही पुरूस्कार क्या है। बहरी सरकार बेशक इसी अंजाम का इंतजार कर रही थी। बेशर्म और उनींदी सरकार की नींद खोलने के लिए इस चांटे का बड़ा महत्व है। मैं हरविंदर सिंह के साथ हूं। और आशंकित भी हूं कि हरविंदर सिंह को शरद गिरोह जिंदा नहीं छोड़ेगा।

Thursday 24 November 2011

दूसरे दिन झटके कईयों ने पदक

सिरसा। चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय सिरसा में चल रही अंतरविश्वविद्यालय कुश्ती प्रतियोगिता के दूसरे दिन 55 किलोग्राम भार वर्ग में मेजबानी कर रहे विश्वविद्यालय के अनिल कुमार को स्वर्णपदक, महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय रोहतक के अमित कुमार को रजत पदक हासिल हुआ। बरेली विश्वविद्यालय के निर्दोष बलियान व कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र के अनूप सिंह को कांस्य पदक मिला। इसी प्रकार 74 किलोग्राम भार वर्ग में महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय रोहतक के जितेन्द्र को स्वर्ण पदक, शिवाजी विश्वविद्यालय कोलहापुर के कार्तिक सामाराव को रजत पदक व कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र के प्रदीप व अवध विश्वविद्यालय के विपिन ने कांस्य पदक जीता। 120 किलोग्राम भार वर्ग में भी महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय रोहतक के हितेश ने सोना झटका और पंजाबी विश्विद्यालय पटियाला के कमलजीत सिंह को रजत पदक और पंजाबी विश्वविद्यालय चण्डीगढ के नवनीत शर्मा व जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के विक्रम को कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा।

अहाते में मचाया उत्पात

सिरसा। कंगनपुर रोड स्थित मयखाने पर गत रात्रि आधा दर्जन युवकों ने खूब उत्पात मचाया। युवकों ने संचालक सहित छह ग्राहकों के साथ बुरी तरह मारपीट की। घटना में एक बिहारी की बाजू टूट गई। खास बात यह है कि शराब का यह अहाता पुलिस चौकी के पास स्थित है। पुलिस ने आरोपियों के विरुद्ध मामला दर्ज कर धरपकड़ के प्रयास शुरू कर दिए हैं।
मिली जानकारी के अनुसार कंगनपुर रोड पर राजू नामक युवक का शराब का अहाता है। गत रात्रि बेगू निवासी प्रेम उर्फ पम्मी पुत्र मुंशीराम अहाते पर आया। पम्मी की किसी बात को लेकर संचालक राजू के साथ कहासुनी हो गई। एकबारगी तो मामला निपट गया और पम्मी वहां से चला गया। करीब एक घंटे बाद पम्मी अपने 6-7 साथियों को लेकर दोबारा वहां आ धमका। आव देखा न ताव, उन्होंने अहाते में शराब पी रहे लोगों को पीटना शुरू कर दिया। बीच-बचाव में अहाता संचालक राजू को भी चोटें आईं। घटना में एक युवक की बाजू टूट गई।
बताया जा रहा है कि हमलावर तेजधार हथियारों व डंडों से लैस थे। आते ही सभी ने वहां बैठे लोगों को निशाना बनाया। कापे व डंडों से वहां बैठे लोगों को बुरी तरह जख्मी कर दिया। हमले के कारण एक बिहारी युवक की बाजू टूट गई। संचालक राजू के अनुसार हमलावरों ने अहाते में पड़े सामान पर भी अपना गुस्सा उतारा। जो कुछ भी उन्हें दिखाई दिया, उसी को तोड़ दिया गया। सारा सामान तहस-नहस कर आरोपी फरार हो गए। वहां भीड़ जुटने से आरोपी हड़बड़ाहट में  एक मोटरसाइकिल भी छोड़ गए। मामले की जानकारी मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची। मोटरसाइकिल को कब्जे में लिया और मौका मुआयना किया। घायलों को सामान्य अस्पताल पहुंचाया गया। संचालक ने बताया कि हमलावरों के उत्पात के कारण करीब 30 हजार रुपए का माली नुकसान हुआ है।

सिलेंडर में आग, दंपती झुलसा

सिरसा। डबवाली के वार्ड 8 में दंपती के झुलसने का समाचार प्रकाश में आया है। दोनों को सिरसा के सामान्य अस्पताल में दाखिल करवाया गया। युवती की गंभीर हालत के चलते उसे अन्यंत्र रैफर कर दिया गया।
मिली जानकारी के अनुसार डबवाली के वार्ड 8 में राजकुमार का परिवार रहता है। आज प्रात: राजकुमार की पत्नी मीना रसोई में चाय बना रही थी। अचानक सिलेंडर में आग लग गई। आग की चपेट में आने से मीना बुरी तरह झुलस गई। अपनी पत्नी को आग में लिपटा देख राजकुमार ने आग बुझाने का प्रयास किया। पत्नी को बचाने के प्रयास में राजकुमार भी झुलस गया। परिजनों ने तुरंत उन्हें डबवाली के सामान्य अस्पताल में दाखिल करवाया। चिकित्सकों ने दोनों को सिरसा रैफर कर दिया। बताया जाता है कि राजकुमार करीब 20 प्रतिशत व मीना 70 प्रतिशत झुलस गई। मीना की गंभीर हालत के चलते उसे निजी अस्पताल में दाखिल करवाया गया है।

वो और कोई नहीं, थी लक्ष्मी बाई


सिरसा। जिला में कौमी एकता सप्ताह मनाए जाने की कड़ी में आज स्थानीय सी.एम.के. नेशनल गल्र्ज कॉलेज के सभागार में महिला दिवस का आयोजन किया गया जिसमें उपायुक्त की धर्मपत्नी श्रीमती नीलम सरो ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की और महाविद्यालय की छात्राओं को सशक्तिकरण का संदेश दिया। इस मौके पर महाविद्यालय की छात्राओं ने विभिन्न विधाओं कविता पाठन, लघु नाटिका व भाषण संबोधन के माध्यम से महिला सशक्तिकरण का व्याख्यान किया।
मुख्यातिथि के रूप में श्रीमती सरो ने कार्यक्रम में छात्राओं का आह्वान किया कि वे अपनी शक्ति को पहचान कर जीवन में आगे बढऩे का संकल्प लें और दूसरों को भी आगे बढ़ाने के लिए सहायता करें, तभी वास्तविक रूप में देश व समाज में महिला सशक्तिकरण का सपना पूरा होगा। उन्होंने कहा कि महिलाओं को चाहिए कि वे समाज में अपने अस्तित्व व पहचान के लिए महिलाओं का सम्मान करें और बेटियों को आगे बढऩे का अवसर प्रदान करें। बेटी को बचाने के लिए भी सभी महिलाओं को यह सोचना होगा कि वे स्वयं एक बेटी है। उन्होंने कहा कि छात्राओं को चाहिए कि वे समाज में किसी भी पुरूष व महिलाओं को प्रेरणास्रोत मानकर उनके गुणों को महसूस करें जिससे वे सामाजिक उद्देश्य के लिए मुतासिर होगी। उन्होंने महिला सशक्तिकरण में अपने संबोधन में अपने ही द्वारा रचित 'सांझे पल' नामक किताब से 'औरत' नामक कविता की पंक्तियां दोहराई। उनकी 'औरत' नामक कविता की पंक्तियां इस प्रकार है-
औरत तू सृजन है
नए जन्म का 
नई दिशाएं दिखाने का
अपनों को अपनों से मिलाने का
प्यार का दस्तूर निभाने का
अंदर की ताकत को
बाहर सच कर दिखाने का
इस कार्यक्रम में महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा महिला सशक्तिकरण पर 'दिशागत' नामक लघुनाटिका का प्रस्तुतिकरण किया गया। इस लघु नाटिका में नारी ने बलिया नामक राज्य की रक्षा के लिए किस प्रकार से महिलाओं ने अपनी महत्ती भूमिका निभाई थी का चित्रण कर ऐतिहासिक तथ्यों को प्रस्तुत किया और आधुनिक नारी को भी इस इतिहास से आगे बढऩे के लिए प्रेरणा दी। इस लघु नाटिका में जुगनी का रोल ज्योति नामक छात्रा ने, चमकी का रोल रेखा ने, छमिया का रोल अनिता ने, दुर्गा का रूप ललिता ने, भावी का रोल कविता ने, महारानी का रोल निशा ने और बरखा का रोल लक्ष्मी नामक छात्रा ने बखूबी निभाया। यह लघुनाटिकों दर्शकों के दिलो जहन में नारी सशक्तिकरण की अमिट छाप छोडऩे में कामयाब रही।
इसी प्रकार से महाविद्यालय की एक अन्य सोफिया नामक छात्रा ने कविता के माध्यम से संदेश दिया। कर्मजीत नामक छात्रा ने भी अपनी कविता पढ़कर नारी सशक्तिकरण को इंगित किया। इनकी कविता की लाइनें इस प्रकार थी-
एक दिन मन में ख्याल आया
भगवान ने हमें लड़की
और उन्हें लड़का क्यों बनाया
शादी के बाद हो जाती है पराई
फिर मन में ख्याल आया
यह सोचकर मैं मुस्कुराई
जो संकट के समय शत्रुओं पर छाई
वो और कोई नहीं थी लक्ष्मी बाई
इसी तरह से कुलविंद्र नामक छात्रा ने अपनी कविता के माध्यम से महिला सशक्तिकरण को राष्ट्र के सशक्तिकरण से जोड़ा। सुनीता रानी ने भी अपनी कविता में औरत की व्यथा सुनाई। इसी कार्यक्रम में शिखा और लवली ने भी कविताओं और भाषणों के माध्यम से नारी सशक्तिकरण के अध्याय को आगे बढ़ाने की कोशिश की। समारोह में नगराधीश श्रीमती कमल प्रीत कौर ने छात्राओं का आह्वान किया कि वे जीवन में आगे बढऩे के लिए शिक्षा ग्रहण करें जिससे उन्हें स्वयं में शक्ति का अहसास होगा। उन्होंने छात्राओं को प्रेरित करते हुए कहा कि जब-जब भी औरत ने किसी कार्य को करने का प्रण किया है या निश्चय लिया है तो उन्होंने शत-प्रतिशत सफलता पाई है इसलिए सभी महिलाओं को चाहिए कि वे जीवन में सफलता का लक्ष्य स्थापित कर कार्य करें। इस मौके पर कॉलेज की प्राचार्या श्रीमती विजया तौमर ने मुख्यातिथि का स्वागत किया और महिला सशक्तिकरण के बारे में महाविद्यालय द्वारा की जा रही गतिविधियों पर प्रकाश डाला।

इनेलो को समर्थन देने वाले आजाद प्रत्याशी पर हमला

फतेहाबाद। रतिया विधानसभा क्षेत्र से बीते दिन इनेलो प्रत्याशी को अपना समर्थन देने वाले निर्दलीय प्रत्याशी रामसिंह भगत पर आज तड़के कुछ अज्ञात हमलावरों ने हमला बोल उसे जान से मारने की धमकी दी। इस बाबत रामभगत ने अपने समर्थकों के साथ आज फतेहाबाद के जिला पुलिस कप्तान सतेन्द्र गुप्ता के लघु सचिवालय स्थित कार्यालय पहुंचकर हमलावरों के खिलाफ शिकायत पत्र दिया और सुरक्षा प्रदान करने की मांग भी की। पुलिस कप्तान को दिए शिकायत पत्र में रामभगत ने बताया कि आज तड़के वह मन्दिर परिसर सो रहा था तो करीब साढ़े 3 बजे कुछ अज्ञात हथियारबंद लोग गाड़ी में सवार होकर वहां आ पहुंचे। रामभगत के अनुसार हमलावरों ने उसे धमकी दी कि इनेलो प्रत्याशी को समर्थन देकर उसने अपनी जान को खतरे में डाला है, यदि उसने वोट मांगने और प्रत्याशी के समर्थन में क्षेत्र का दौरा करने की प्रक्रिया बंद नहीं की तो उसे अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा। इसके बाद हमलावर उसका मोबाइल छीन कर उसकी बैटरी निकाल कर साथ ले गए। रामभगत ने पुलिस प्रशासन से गुहार लगाई है कि उसकी जान को खतरे की बात ध्यान में रखते हुए उसे सुरक्षा मुहैया करवाई जाए। इस घटनाक्रम के पीछे रामभगत ने सत्तासीन कांग्रेस के नेताओं का हाथ होने की आशंका जताई है। इनेलो के जिला अध्यक्ष निशान सिंह कंबोज सहित पार्टी के अनेक नेताओं ने इस घटना की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि हुड्डा सरकार रतिया में कांग्रेसा प्रत्याशी की जमानत जब्त होने की संभावनाओं को देखते हुए बौखला गई है और घटिया हथकंडों पर उतर आई है। उन्होंने कहा कि अगर इनेलो के किसी कार्यकर्ता अथवा रामसिंह भगत के साथ किसी ने कोई घटिया हरकत की तो उसे रतिया की जनता किसी भी कीमत पर सहन नहीं करेगी और ऐसे सरकारी दलालों को करारा सबक सीखाएगी।

जेसीडी आईबीएम में निवेशक जारूगकता कार्यक्रम का आयोजन


सिरसा। जननायक चौधरी देवीलाल इंस्टीच्यूट ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट में भारत सरकार के कारपोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा निवेशक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया, इसमें आरसीईडी चण्डीगढ़ से मि. जसमीत सिंह द्वारा श्रोताओं को निवेश सम्बन्धी अनेक तथ्यों से अवगत करवाया गया। उन्होंने भारतीय बचत व निवेश सम्बन्धी आंकड़ों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भारतीय अर्थव्यवस्था एक बचत सकेन्द्रित अर्थव्यवस्था है, अत: बचत को निवेश करने के लिए जनता को जागरूक करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बाजार में विभिन्न प्रकार के निवेश विकल्पों के बारे में जानकारी प्रदान की और कहा कि एक निवेशक को अपनी भविष्य की योजनाओं को ध्यान में रखते हुए ही निवेश विकल्प का चुनाव करना चाहिए। शेयर मार्किट के साथ-साथ उन्होंने सोना-चांदी, विदेशी मुद्रा व बीमा इत्यादि विषयों पर भी विस्तार से चर्चा की।
इस अवसर पर कॉलेज के प्राचार्य डा. कुलदीप सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि विद्यार्थियों के लिए ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन काफी लाभदायक साबित होता है तथा विद्यार्थी इन कार्यक्रमों के द्वारा ही निवेश से सम्बन्धित अनेक बारीकियों को जान सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के जागरूकता कार्यक्रमों के आयोजन द्वारा निवेशकों के ज्ञान में वृद्धि तो होती ही है साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह वरदान सिद्ध होंगे।
कार्यक्रम में इंजीनियरिंग कॉलेज के मुख्य संयोजक व सलाहकार डा. एन.एस. भाल व डायरेक्टर प्रशिक्षण एवं निरीक्षण डा. राममूर्ति गोयल ने बतौर अतिथि शिरकत की। इस मौके पर आईबीएम कॉलेज के निदेशक डा. शशि कपूर, कॉलेज के छात्र व स्टाफ सदस्य उपस्थित थे।

Wednesday 23 November 2011

मेहनकश होते हैं कामयाब : भारद्वाज

सिरसा।  कुश्ती भारत के पारम्परिक खेलों में से एक है और ग्रामीण हरियाणा के अन्दर इस खेल को पसन्द भी अधिक किया जाता है और खेला भी अधिक जाता है यही कारण है कि इस प्रदेश के खिलाडिय़ों ने हाल ही में आयोजित कॉमनवैल्थ खेलों में अपना परचम फहराया था। ये विचार चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय के कुलपति डा. के.सी. भारद्वाज ने पुरूषों की अखिल भारतीय अंतरविश्वविद्यालय कुश्ती का विधिवत उद्घाटन करने के उपरान्त बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए व्यक्त किये। डा. भारद्वाज ने देश भर से आये हुए 70 टीमों के पहलवानों व उनके प्रशिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि कुश्ती एक ऐसा खेल है जिसमें व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक विकास, फुर्ती व आत्मविश्विस के अन्दर वृद्धि होती है। इस खेल के अन्दर ढांचागत सुविधाओं की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती। उन्होंने कहा कि पहलवानों को मेहनत करने की आदत पड़ जाती है और इस मेहनत करने की आदत की वजह से वे जीवन प्रत्येक क्षेत्र में सफल होते हैं। उन्होंने कहा कि कुश्ती एक काफी पुराना खेल है और महाभारत के अन्दर भी बलराम और भीम जैसे योद्धाओं केे किस्से पढऩे व सुनने को मिलते हैं। डा. भारद्वाज ने खिलाडिय़ों से आग्रह किया कि वे पहलवान उदयचन्द, मास्टर चंदगी राम आदि को अपना आदर्श मानते हुए जीवन में आगे बढ़ें। उन्होंने मंच के माध्यम से ऐसोसिएशन ऑफ  इंडियन युनिवर्सिटिज का भी धन्यवाद किया जिसकी वजह से चौधरी देवी लाल विश्विद्यालय सिरसा को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता की मेजबानी करने का मौका मिला। इस अवसर पर चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय सिरसा की खेल परिषद् के अध्यक्ष प्रो. शमशेर सिंह ने मुख्यअतिथि का स्वागत किया जबकि कम्पयूटर साइंस के प्रो. विक्रम सिंह ने आये हुए मेहमानों का धन्यवाद किया। इस अवसर पर प्रो. प्रवीन आगमकर, प्रो. असीम मिगलानी, डा. रविन्द्र पाल अहलावत, डा. दिलबाग सिंह, डा. मोनिका, डा. ईश्वर मलिक, डा. अशोक मलिक, डा. अशोक शर्मा, व अमित सांगवान सहित विभिन्न टीमों के कोंटीजेन्ट इंचार्ज उपस्थित थे।

पड़ोसियों ने किया पिता-पुत्र पर हमला



सिरसा। अखिल भारतीय अरोड़ा एकता परिवार के प्रधान व उनके पुत्र पर जानलेवा हमला किए जाने का मामला प्रकाश में आया है। घायलों को सामान्य अस्पताल में दाखिल करवाया गया है। प्रधान की हालत गंभीर बनी हुई है। मामले की जानकारी पुलिस को दे दी गई है।
मिली जानकारी के अनुसार अखिल भारतीय अरोड़ा एकता परिवार के प्रधान बलदेव दाबड़ा के पुत्र विनीत की गत रात्रि पड़ोसियों के साथ किसी बात को लेकर कहासुनी हो गई। मामला बिगड़ गया और पड़ोसियों ने विनीत को पीटना शुरू कर दिया। इसी दौरान बलदेव दाबड़ा भी वहां पहुंचे। उन्होंने बीच बचाव का प्रयास किया तो उक्त लोगों ने दोनों पर तेजधार हथियारों से हमला कर दिया। हमले में दोनों घायल हो गए। परिजनों ने उन्हें सामान्य अस्पताल पहुंचाया। मामले की जानकारी पुलिस को दे दी गई है। अरोड़ा एकता परिवार के सदस्यों ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन से आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।

हिटलर दीदी के मुन्नाभाई ने मांगे वोट

हिसार।  जी टीवी पर वर्तमान समय में चल रहे सबसे लोकप्रिय एवं चर्चित धारावाहिक हिटलर दीदी के मुन्नाभाई ने बुधवार को आदमपुर विधानसभा क्षेत्र के गांवों में घूमकर इनेलो प्रत्याशी के लिये वोट मांगे। मुन्नाभाई ने सदलपुर, भाणा, भोडिया, चबरवाल गांवों में घर-घर जाकर वोट की अपील की। हिटलर दीदी धारावाहिक में हिटलर दीदी के भाई बने मुन्नाभाई इनेलो प्रत्याशी रामसिंह बसवाना के छोटे बेटे संदीप बसवाना हैं जो छोटे पर्दे के नामी-गिरामी कलाकार हैं।
अब तक के सबसे कामयाब धारावाहिक में शामिल क्योंकि सास भी कभी बहू थी में साहिल का किरदार निभाने वाले संदीप ने अपने पिता श्री रामसिंह बसवाना को वोट देने की अपील करते हुए कहा कि अगर आदमपुर हलके की जनता ने उनके पिता पर विश्वास जताया तो आदमपुर हलके को विकास के मामले में पिछडऩे नहीं दिया जायेगा। स्टार प्लस के ही एक अन्य चर्चित धारावाहिक तुमसे प्रीत लगार्ई सजना में देश के सामने हरियाणवी संस्कृति की अमिट छाप छोडऩे वाले संदीप बसवाना का सदलपुर गांव में जोरदार स्वागत किया गया। गांव के युवाओं में संदीप के प्रति काफी उत्साह देखा गया। गांव की महिलाओं ने भी जब छोटे पर्दे के मंझे हुए कलाकार को अपने बीच देखा तो हतप्रभ रह गईं। गांव की महिलाओं ने उन्हें न केवल आशीर्वाद दिया बल्कि इनेलो प्रत्याशी को भारी मतों से विजयी बनाने का आश्वासन दिया। चबरवाल गांव में युवाओं के एक समूह को संबोधित करते हुए संदीप बसवाना ने कहा कि माया नगरी मुंबई में भी हरियाणा के युवाओं के लिये काफी विकल्प हैं।

अमरीकी निदेशक का जेसीडी विद्यापीठ में आगमन



सिरसा। जननायक चौधरी देवीलाल इंजीनियरिंग कॉलेज में 'अन्तर्राष्ट्रीय चयन व प्रवेश प्रक्रिया' विषय पर विस्तार भाषण का आयोजन किया गया, जिसमें वाशिंगटन अमेरिका से टाकोमा कम्युनिटी कॉलेज के कार्यक्रम निदेशक जेम्स न्यूमैन बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित हुए। उन्होंने सभी छात्रों एवं प्राध्यापकों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली प्रवेश व चयन प्रक्रिया से सम्बन्धित सभी समस्याओं पर विस्तारपूर्वक चर्चा की। जेम्स न्यूमैन ने बड़े ही सरल शब्दों में विदेशों में प्रवेश, रहने की व्यवस्था, कक्षा का वातावरण, पढ़ाई का माहौल, अंतर्राष्ट्रीय छात्र संस्थाएं, प्रवेश शुल्क इत्यादि छात्रों की समस्याओं की भी जानकारी प्रदान की। उन्होंने अपने संबोधन में विद्यार्थियों को टैकोमा कम्युनिटी कॉलेज के बारे में भी बताया। इस अवसर पर एक प्रश्रोतरी प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। उन्होंने विद्यार्थियों को दसवीं एवं बारहवीं कक्षाओं के पश्चात् विदेशों में प्रवेश प्राप्त करके अपना कैरियर बनाने की अनेकों जानकारियां प्रदान की। जेसीडी विद्यापीठ के वातावरण व प्रांगण की सहृदय से प्रशंसा करते हुए विदेशी मेहमान ने कहा कि यहां का माहौल शिक्षा के लिए सटीक है। उन्होंने विद्यापीठ की भूरि-भूरि प्रशंसा की।

विदेशी मेहमान को जेसीडी विद्यापीठ के प्रबन्ध निदेशक डा. शमीम शर्मा के द्वारा स्मृति चिह्न प्रदान करके सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उनके साथ महाविद्यालय के प्राचार्य डा. गुरचरण दास, मुख्य संयोजक व सलाहकार डा. एन.एस. भाल, डी.टी.पी.ओ. डा. राममूर्ति गोयल आदि भी उपस्थित थे। इस मौके पर अन्य महाविद्यालयों के प्राचार्य, इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र व स्टॉफ सदस्य उपस्थित थे।

इंडियन डांस रिसर्च सैंटर में 'क्षय-रोग उन्मूलन' पर कार्यशाला का आयोजन

हिसार। इंडियन डांस रिसर्च सैंटर हिसार के प्रांगण में आज 'क्षय-रोग उन्मूलन' के लिए एक कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता जिला टी.बी. अधिकारी डा. ओ.पी. वर्मा ने की। ममता हैल्थ इंस्टीट्यूट फोर मदर एंड चाईल्ड संगठन के तत्वावधान में आयोजित इस एक दिवसीय कार्यशाला में सिरसा, फतेहाबाद, हिसार एवं भिवानी जिले में कार्यरत टी.बी. उन्मूलन कार्यक्रम से जुड़े सभी संगठनों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
     जिला टी.बी. अधिकारी डा. ओ.पी. वर्मा ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में टी.बी. उन्मूलन कार्यकर्ताओं के प्रयासों की सराहना करते हुए उनके अधिकारों एवं जिम्मेदारियों की जानकारी भी दी। कार्यशाला में जहां एक ओर जमीनी स्तर पर आ रही कठिनाईयों पर चर्चा हुई वहीं इनके निवारण के उपाय भी सुझाए गए। डा. वर्मा ने कहा कि टी.बी. उन्मूलन कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत के बल पर ही आज भारतीय टी.बी. उन्मूलन कार्यक्रम ने अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त की है।
     इस अवसर पर ममता हैल्थ इंस्टीट्यूट ऑफ मदर एंड चाइल्ड की ओर से आए प्रतिनिधि सोमनाथ ने बड़े अच्छे ढंग से कार्यक्रम से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की। उनके साथ जिला कोर्डिनेटर मि. अश्वनी भी उपस्थित थे। यह कार्यक्रम टी.बी. उन्मूलन कार्यक्रम के साथ जुड़ी संस्था इंडियन डांस रिसर्च सैंटर के प्रांगण में आयोजित किया गया।

पंजाबी समुदाय का होगा अहम रोल : लक्ष्मण दास अरोड़ा

रतिया। कांग्रेस सरकार ने पंजाबियों को जो मान-सम्मान दिया है, वह मान-सम्मान ओर किसी पार्टी ने कभी नही दिया। रतिया क्षेत्र का एक-एक पंजाबी इस उपचुनाव को जीताने में अपना अहम रोल अदा करेगा। यह बात प्रदेश के पूर्व उद्योग, नगर निकाय एवं आबकारी मंत्री लक्षमण दास अरोड़ा ने कही। अरोड़ा कांग्रेस प्रत्याशी जरनैल सिंह को अपना आशीर्वाद देने विशेष रूप से रतिया आए थे। इस मौके पर पार्टी प्रत्याशी जरनैल सिंह ने अरोड़ा से जीत का आशीर्वाद लिया।

इस अवसर पर उनके साथ सिरसा के सांसद डा. अशोक तंवर, मुख्यमंत्री के पूर्व ओएसडी डा.केवी सिंह, पार्टी जिलाध्यक्ष रणधीर सिंह,पार्टी प्रत्याशी जरनैल सिंह, पूर्व मंत्री राम स्वरूप रामा, नगर परिषद सिरसा के पूर्व प्रधान पवन डिंगवाला, रामफल लोट, कृष्णा पूनिया, मनदीप कौर गिल,औम प्रकाश चुघ, हरियाणा ओढ सभा के अध्यक्ष श्याम सुन्दर मजोका सहित काफी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता व पदाधिकारी उपस्थित थे। श्री अरोड़ा ने कहा कि कांगे्रस पार्टी सदा से ही पंजाबी हितैषी रही है। इस पार्टी ने सदा पंजाबियों के हितों की रक्षा की है और राजनीति में इस बिरादरी का पूरा मान-सम्मान किया है। अरोड़ा ने क्षेत्र के गांव नागपूर, हांसपूर सहित अन्य गांवो का दौरा किया और पार्टी प्रत्याशी जरनैल सिंह के लिए वोटो की अपील की। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में आज प्रदेश प्रगति की राह पर है। पार्टी की जनकल्याणकारी नीतियों कारण ही प्रदेश में दूसरी बार कांग्रेस की सरकार बनी है। उन्होंने कहा कि रतिया से जरनैल सिंह भारी बहुमत से जीत दर्ज करेगा और विधानसभा में यहां के लोगों की मांग प्रमुखता से उठाएगा।

Tuesday 22 November 2011

देह से आगे की यात्रा पर रामचंद्र छत्रपति

वीरेन्द्र भाटिया

एक अखबार के दो ही मुख्य कार्य होते हैं। या यू कहें कि दो मुख्य उत्तरदायित्व हैं जिससे एक अखबार को मुकम्मल अखबार कहा जा सकता है।  एक है समाचार और सूचनाओं को शुद्धता और संपूर्णता के साथ अपने पाठकों तक पहुंचाना। और दूसरा है समाज के उन दोगले चरित्र लोगों का सच पाठकों के सामने लाना जो दुनिया में दोहरे चरित्र के कारण बरगलाने के काम में संलग्न हैं। अपने आस-पास के परिवेश में आप अमूमन किसी भी अखबार को इन दो मापदंडों पर खरा उतरता हुआ नहीं देखते। संभव भी प्रतीत नहीं होता। बहुत हद तक स्वयं को बहुत संयमित रखने की दरकार होती है। उदारीकरण के जमाने में संयम शब्द वैसे भी अर्थहीन मालूम पड़ता है आज की पीढ़ी को। स्वयं उन लोगों ने भी संयम शब्द से कोई नाता नहीं रखा जिनका काम संयम से शुरू होता है, जिनका काम है देह से रूह तक की यात्रा से लोगों को परिचित करवाना। वह आध्यात्मिक गुरू खुद देहभोग और देहसंहार की तारीखें भुगत रहा है तो संयम की उम्मीद आम आदमी और किसी अखबार के संपादक से क्यूं की जाए। कौन पत्रकार नहीं जानता कि अमुक व्यक्ति दोहरे चरित्र का खेल खेलता है। पत्रकार की पैनी नजर आज पहले से भी ज्यादा पैनी है। उसके पास पहले से ज्यादा तेज माध्यम हैं। लेकिन कर्तव्य के आगे सीमा रेखाएं और व्यावसायिक मजबूरियों की सूची डाल दी गई है। जिस  व्यक्ति का चरित्र उघाडऩे की जरूरत होती है उन्हीं व्यक्तियों के विज्ञापन अखबार के पहले पन्ने पर लग रहे होते हैं। ऐसे में यदि कोई अखबार इस संकल्प को लेकर शुरू किया जाए कि अखबार के मूल उत्तरदायित्वों से समझौता नहीं होगा तो वह अखबार रामचंद्र छत्रपति की 'पूरा सच' हो जाती है। एक अखबार जो 2000 में शुरू होती है और 2002 में ही राष्ट्रीय चर्चा में आ जाती है, उस अखबार की शुचिता और संकल्प का जज्बा देखा जा सकता है। 'पूरा सच' शुरू करने से पहले रामचन्द्र छत्रपति भी आम पत्रकारों की तरह भिन्न-भिन्न अखबारों में लिख रहे थे। सभी अखबारों ने छत्रपति को अपनी सीमाओं से अवगत करवा दिया था। उदारीकरण के युग में कर्तव्य के आगे सीमा रेखा डाल देने से ही भोग की सभी सीमाएं आपके लिए खोल दी जाती हैं। छत्रपति को यही चीज स्वीकार नहीं हुई और उन्होंने अपना खुद का समाचार पत्र शुरू किया। नैतिकता के बल पर लिखा पहला संपादकीय बतौर शपथ हर वक्त उनके साथ-साथ रहा। अन्यथा शपथ तो मंत्री भी लेते हैं लेकिन वह किसी और की लिखी हुई होती है। भीतर से जो शब्द छत्रपति के अंतस ने बाहर उड़ेले, वह थे 'मैं अपने अखबार 'पूरासच' के माध्यम से सच की सुगंध बिखेरने का वचन देता हूं।' पहला संपादकीय अक्सर अखबार के संपादक किसी मंजे हुए लेखक से लिखवाते हैं इस लिए वे शब्द कभी भी संपादक के इर्द-गिर्द नहीं रहते। शपथ पत्र के शब्द भी किसी और के लिखे होते हैं  इसलिए वे भी कभी मंत्री के इर्द-गिर्द नहीं रहते लेकिन छत्रपति ने अपने अंतस में पाल-पलोस कर कागज पर फैलाया था उनसे वह कैसे भाग सकता था। छत्रपति इसी एक नैतिकता के कारण छत्रपति बना। एक आम पत्रकार जो लगातार समाज के दोगले आचरण को देखता था, उस पर कलम चलाता था और अखबार अपनी सीमाओं का हवाला देकर उसे हतोत्साहित कर देते थे वे ही लोग बाद में 'पूरा सच' के तेवर देखकर हैरान थे। वे ही लोग आज छत्रपति का नाम लेकर स्वयं का परिचय देते हैं कि वह हमारे अखबार का संवाददाता था, वह हमारे अखबार का कॉलम लिखता था, वह हमारा साथी था, वह हमारा सखा था, वगैरह-वगैरह।

आज 2011 में छत्रपति को अपनी देह से अलग हुए 9 बरस हो गए हैं। छत्रपति का सदेह रहते हुए जो अंतिम कार्य था, वह था देह से रूह की ओर ले जाने वाले गुरू के चेहरे पर से नकाब खींच लेने का कार्य। छत्रपति ने उस बाबा का नकाब खींचा जो स्वयं को भगवान श्री कृष्ण की तरह साध्वियों के समक्ष पेश करता और 16 कलाओं के रहस्यमर्मी की आड़ में देहलीला का खेल खेलता रहा। जिसके व्यापार (धर्म व्यापार) की मूल शर्त ही संयम है, वह ही संयम खो बैठे तो अखबार चुप कैसे बैठ सकते हैं। सभी खामोश अखबारों के बीच छत्रपति मुखर हुआ। आगे बढ़कर गुरू का नकाब खींच लिया। प्राणों से हाथ धोना पड़ा। लेकिन देह की अहमियत और देह के गौण होने का फर्क समझा गए। उस गुरू को भी, जो खुद कभी इस मर्म को समझे बिना लोगों को देह और रूह का अंतर बताता रहा। लेकिन देह के भंवर में भीतर तक फंसा वह धर्म गुरू फिर-फिर बेनकाब होता रहा। छत्रपति ने जिस नकाब को तार-तार कर डाला था बाबा ने उस नकाब पर हर तरह से पैबंद लगाने की कोशिश की। हर तरह से फिर वही नकाब ओढऩे का प्रयास किया। लेकिन नकाब  पर पैबंद लगाने से वे पैबंद चेहरे पर साफ नजर आते हंै। नकाब लगाने वाले इस सच को जानते हैं। बाबा के नकाब में से उसका असली चेहरा दीखता रहा। और आज आलम यह है कि छत्रपति की ही तरह हर अखबार को बाबा के नकाब के नीचे का असली चेहरा एक्स-रे की तरह साफ  नजर आता है। कुछ, जो व्यावसायिक पत्रकार हैं, उन्होंने इसे व्यावसायिक दृष्टिकोण से देखा और कुछ जो थोड़ा बहुत पत्रकारिता के अपने धर्म के प्रति जवाबदेह हैं, उन्होंने छत्रपति के काम को आगे बढ़ाने का काम किया है। आज छत्रपति देह के बाद की यात्रा पर हैं जो सिर्फ  शहीदों की किस्मत में होती है। छत्रपति देह से आगे शब्द की यात्रा पर लगातार गतिमान हैं और बाबा शब्द की यात्रा के पहले पड़ाव पर देह में ही उलझा है। छत्रपति के आगे बाबा बहुत बौना नजर आता है आज। सिद्धांतों, कर्तव्यों और अपने काम के साथ ईमानदारी और बेईमानी का यही फल है और यही हश्र भी।

सदबुधि दे भगवान!

अनुपिन्द्र सिंह 'अनूप'

गुरबाणी का फरमान है, 'सच्चे मार्ग चलदेयां उसतत करे जहान' अर्थात् सच के मार्ग पर चलने वालों की स्तुति सारा संसार करता है। परंतु सच के मार्ग पर चलना बहुत कठिन है। यह रास्ता कांटों भरा है और यह भी सच है कि जिसका जमीर जाग जाए, वह सच के अलावा किसी दूसरे रास्ते पर चल ही नहीं सकता। लोगों की भीड़ में ऐसे ही एक शख्स थे पत्रकार रामचंद्र छत्रपति।  जिस देश में लोग धर्म पर विश्वास नहीं, अंधविश्वास करते हों, उस देश में किसी धर्म-समुदाय से जुड़े लोगों से लडऩा टेढ़ी खीर होता है। जहां लोग अपने बाबा के खिलाफ एक लफ्ज़ भी सुनने को राज़ी न हों, उस माहौल में कुछ कहना साहस का कार्य है। लेकिन यह कर दिखाया छत्रपति जी ने जिसकी कीमत उन्हें अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।

छत्रपति एक कामयाब पत्रकार थे। अगर वे चाहते तो आम पत्रकारों की तरह मौके का फायदा उठाते हुए धन-दौलत का अंबार लगा सकते थे। लेकिन जिसकी आत्मा जाग जाए, वह किसी लालच में नहीं आता। उसे अपने मार्ग से कोई नहीं हिला सकता। छत्रपति जी ने अपना फर्ज, अपना रोल अदा कर दिया, अब हमारी बारी। हमें अपना फजऱ् निभाना होगा।
लेकिन बहुत अफसोस की बात है कि आज 9 साल बीतने के बाद भी हम छत्रपति को इंसाफ नहीं दिला पाए। जिस सुस्त रफ्तार से अदालत की कार्रवाई चल रही है, उसे देखकर लगता है कि 90 साल तक भी लग सकते हैं। अगर इसी तरह से अदालतें इंसाफ करती रहीं तो बकौल सुरजीत पातर, यूं होगा :-
इस अदालत 'च बंदे बिरख हो गए,
फैसले सुणदेयां-सुणदेयां सुक गए
आखो इहना नूं उजड़े घरी जाण हुण,
इह कदों तक ऐथे खड़े रहंदे।
जिस तरह अन्ना हजारे के पीछे काफिला चल पड़ा, इसी तरह छत्रपति मामले में भी लोगों का समर्थन चाहिए ताकि सरकार पर दबाव बनाया जा सके और छत्रपति के हत्यारों को सजा मिल सके। भगवान लोगों को सदबुधि दें, ताकि वे गलत और सही में फर्क कर सकें।

कौन बनेगा जस्टिस सिन्हा?

लेखराज ढोट
जी बहुत चाहता है सच बोलें,
क्या करें हौसला नहीं होता।
नामवर गज़लगो बशीर बद्र का यह शे'र सच को प्रभाषित करता है। दूसरा सच हम रोजाना हिंदुस्तानी अदालतों में हजारों-लाखों बार दोहराते हैं, 'जो कहूंगा, धर्म से सच कहूंगा, सच के सिवाय कुछ नहीं कहूंगा'।  अदालती ढांचे में सच के इस आयद (कसम) में ही खो जाती है आम भारतीय को सच मिलने की उम्मीद। और वह अदालतों से ही जूते घिसता-घिसता सीधा कब्र की राह हो लेता है। और तीसरा सच है शहीद छत्रपति का सच। 'सच और झूठ के बीच कोई तीसरी चीज़ नहीं होती और मैं सच के साथ हूं।' छत्रपति को दैहिक रूप से हमारे बीच से गए आज पूरे 9 बरस हो गए। लेकिन छत्रपति के शब्द न मरे थे, न मरेंगे क्योंकि विचार कभी मरता नहीं। अगर सच या विचार की मौत होती तो आज न तो कोई मन्सूर और उसके जहर प्याले को जान पाता और न ही धरती के गोल होने और सूरज के गिर्द घूमने वाला गैलीलियो का सच हमारे सामने होता। भगत सिंह का यह विचार 'आदमी और आदमी में से ईश्वर की दीवार हटा दो तो आदमी-आदमी ही रहेगा' आज भी जिंदा है। लिहाजा फिर शहीद छत्रपति का विचार क्यों न जिंदा रहे। छत्रपति आज छत्रपतिवाद बनकर जिंदा है।
छत्रपति की शहादत के मौके पर इस बात पर विचार करना जरूरी है कि भारतीय न्यायालयों का सच क्या है? चूंकि छत्रपति के कातिलों को अभी सजा मिलना बाकी है। अभी छत्रपति के मुख्य कातिल, इस षड्यंत्र के सूत्रधार की गर्दन तक पहुंचना है कानूनी शिकंजे को। सबसे अहम प्रश्न, करीब-करीब हमेशा की तरह अब तक इस मामले में भी कानून का जो प्रदर्शन रहा है, उसने न केवल इस केस के पीडि़तों को ही निराश किया है, बल्कि करोड़ों भारतीयों के विश्वास को भी ठेस पहुंचाई है। आखिर कोई न्याय प्रणाली पर विश्वास करे भी तो कैसे? जुर्म इतने संगीन लेकिन फिर भी मुख्य अभियुक्त डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह को नियमित जमानत? 9 साल का लंबा समय और केस अभी भी गवाहियों के पचड़े से नहीं निकला! अग्रिम जमानत के वक्त पंजाब एवं हरियाणा के तत्कालीन चीफ जस्टिस साहब ने अपने साथियों को ऑफ दॅ रिकॉर्ड कहा कि हमारी मजबूरी थी डेरा प्रमुख को जमानत देना! आखिर क्या थी मजबूरी? क्यों एक गुनहगार बड़ा साबित हुआ? क्यों बौनी रह गई कानूनी धाराएं? पैसा, धर्मान्धता और राजनीतिक दखल, क्या यही रहे कारण?
धर्म जब धंधा हो जाता है और धंधे का कोई धर्म नहीं होता, तब छत्रपति जैसे लोगों की शहादत कोई ज्यादा हैरानी वाली बात नहीं। लेकिन जब धर्म के इस धंधे की भागीदार शासन व प्रशासन की मशीनरी बन जाए तब आम व्यक्ति के लिए संविधान के अनुच्छेद 14, जीने के अधिकार के कोई मायने नहीं रहते।
न्यायाधीश एस.एन. धींगड़ा ने कहा था, 'दो तरह का न्याय है भारतीय न्यायालयों में। अमीर के लिए अलग। गरीब को हांकने वाला डण्डा अलग'। फिल्म अंधा कानून में कहा गया है, 'कानून अंधा होता है। अंधेपन के कारण कुछ देख नहीं पाता।' लेकिन व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई कहते हैं, 'कानून अंधा नहीं बल्कि भैंगा होता है, गरीब को लगता है कि तेरी तरफ देख रहा है लेकिन वह देख रहा होता है सामथ्र्यवान की तरफ।'
इनमें से न्यायाधीश एस.एन. धींगड़ा व व्यंग्यकार परसाई की पीड़ा एक जैसी लगती है। 'पूरा सच' के पाठक, जो किसी भी तरह से कानून की जानकारी रखते हैं, उन्हें मैं बता दूं कि छत्रपति के केस में डेरा प्रमुख को अग्रिम जमानत देते वक्त उच्च न्यायालय के जस्टिस एल.एन. मित्तल ने लिखा कि 'केस को गुण-दोष के आधार पर अंबाला की सीबीआई कोर्ट देखेगी।' नियमित जमानत के वक्त इस चीज को देखा जाना था, ऐसा कानून कहता है। लेकिन अंबाला कोर्ट के उस वक्त के जज आर.के. सैनी ने अपने आदेश में मात्र इतना भर लिखा कि 'गुण-दोष तो पहले ही उच्च न्यायालय देख चुका है।' मुझे नहीं लगता कि आज तक नियमित जमानत के समय भी दोषी की हाजिरी अदालत में न लगी हो। पर डेरा प्रमुख की नियमित जमानत पर तीन दिन तक सुनवाई चली लेकिन तब गुरमीत सिंह का हाजिर रहना जरूरी नहीं समझा गया। और अब भी अगर कोई जज ये कहे कि मुझ पर बहुत ज्यादा दबाव है, कोई आने वाला ही देखेगा तो अनुमान लगाइए कि आखिर कोई विश्वास करे भी किस पर। आखिर यूं ही तो नहीं बन जाता कोई जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा (इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द करने वाले)।
कहते हैं वक्त की हर शै गुलाम है। वक्त हिसाब मांगता है। जिनके हाथों भगवान (अगर कहीं है तो) ने कलम से न्याय करने जैसी अहम ताकत दी है, अगर वे आज महज मोम के पुतले ही साबित होते हैं तो उन पर ये इल्जाम हमेशा रहेगा कि उन्होंने क्यों आखिर तिरंगे झंडे की शक्ल कापे या कुल्हाड़े जैसी बना दी। आज जिन हाथों में न्याय की कलम है, उन्हें यह भी जान लेना चाहिए कि यही कलम समाज को न केवल दर्पण ही दिखाती है बल्कि हथौड़े की शक्ल अख्तियार करके इसी दर्पण की छाती भी तोडऩा जानती है। जब हमें कलम से न्याय नहीं मिलता तो हम भारतीय आखिरी सहारे के रूप में कहते हैं, 'चलो भगवान तो देखता है, इसे भगवान सजा देगा।' लेकिन याद रहे, इसी भगवान के बारे में बाबा नानक ने यह कहा, ' ऐती मार पए कुरलाणे तैं की दर्द न आया'। यानी तू कैसा भगवान है जो चुपचाप इतने जुल्म देख लेता है।
''सुनिश्चित हो न्याय धरती पर ही मिल जाए।"

बुझ नहीं पाते ऐसी मंजि़लों के चराग

डा. राजकुमार निजात

पत्रकारिता का जन्म इस चुनौती के साथ हुआ था कि लोगों तक वह सच्चाई नहीं पहुंच पा रही है जो घटी है और जिसे जानने का उनका अधिकार है। जब लोग राजनीति से बेखबर हो जते हैं तो राजनीति निरंकुश होने लगती है। राजनीति के खिलाड़ी अपनी मनमानी करने लगते हैं और सच्चाई की  इन घटनाओं का लोगों तक पहुंचना बेहद जरूरी होता है। पत्रकारिता इसी चुनौती का नाम है। अपने आरंभ से लेकर वर्तमान तक सदियों की इस यात्रा के बाद भी पत्रकारिता में आज भी वही चुनौती कायम है। रामचन्द्र छत्रपति ने पत्रकारिता को अपनाया था। जो मुखर और शिखर के पत्रकार हैं, उनका जीवन इस प्रकार की चुनौतियों से भरा पड़ा है। छत्रपति ने अपने युवा जीवन को पत्रकारिता के लिए इसलिए समर्पित कर दिया था क्योंकि वह पत्रकारिता के माध्यम से समाज और लोगों के बीच में एक कड़ी की भूमिका निभाना चाहता था। वह चाहता था कि लोग निर्भीकता से प्रेरित होकर पत्रकारिता को एक मिशन समझकर इसमें आएं और इसकी सेवा करें।

इस उद्देश्य को पाने के लिए छत्रपति किसी भी संघर्ष के रास्ते पर चलने के लिए तैयार था। उन्होंने यह तय कर लिया था कि चुनौती की यह कठिन राह वे हौसलों के साथ तय करेंगे। उन्होंने इसकी बगारीकियों को समझने के लिए स्थानीय अखबारों को अपना गुरू बनाया। लोकल अखबारों के भीतरी जीवन में उतरकर उन्होंने पत्रकारिता की आवश्यकताओं को जानने का प्रयास भी किया और इसे समझा भी। अपनी जिज्ञासा को पूरा करने के लिए उन्होंने इस मिशन के एक बहुत ही साधारण कार्यकर्ता के रूप में कार्य शुरू किया। जब वे इनकी विशेषताओं, वास्तविकताओं, आवश्यकताओं और संभावनाओं से परिचित हो गए तो उन्होंने इसे सच का प्रतीक मानते हुए यह निर्णय लिया कि वे इस मिशन को अकेले ही चलाएंगे। और इस प्रकार 'पूरा सच' का श्रीगणेश उन्होंने कर ही डाला। अखबार के इसी नाम के अनुरूप उनकी कार्यशैली और इसकी कार्यप्रणाली थी। उस समय जब बहुत से सांध्य दैनिक लम्बे समय से अभी चलना ही सीख रहे थे, 'पूरा सच' ने बहुत ही अल्प समय में पत्रकारिता को बड़ी मजबूत पारदर्शिता के साथ स्थापित कर लिया था।
पत्रकारिता और अखबार के प्रति छत्रपति का यह समर्पण भाव ही था कि इस क्षेत्र में पहली बार एक छोटे-से स्थानीय अखबार ने समस्त लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। आकार में, क्लेवर और प्रकाशन में बेशक यह छोटा था लेकिन सच की कलम इसके साथ थी, जिसे इसने बड़ा बना दिया। छत्रपति ने मुझ पर, मेरी कलम पर विश्वास करते हुए मुझे एक जिम्मेदारी सौंपते हुए कहा था कि 'निजात मुझे आपसे खरा सहयोग चाहिए।' तब चुनाव के समय में एक व्यंग्यात्मक स्तंभ ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। यह संभवत: छत्रपति का ही प्रभाव था कि मैं जैसे भी हो, उस व्यंग्यात्मक स्तंभ के लिए मैटर चंडीगढ़ से उन्हें उपलब्ध करवाता था। साहित्य और पत्रकारिता के प्रति उनका समर्पण भाव कमाल का था।
'पूरा सच' ने 'देखन में छोटे लगे और घाव करे गंभीर' वाली कहावत को बखूबी चरितार्थ किया। देखते ही देखते अपनी सच्चाई और खरी निर्भीकता के कारण यह अखबार छा गया। लोग इसका बड़ी बेसब्री से प्रतीक्षा करते थे। स्टाल पर एक सांध्य दैनिक के रूप में राष्ट्रीय समाचार पत्रों की तरह बिकने वाला यह एक लोकप्रिय अखबार हो गया। इसकी कड़वी सच्चाई ने कुछ लोगों को अपना प्रतिवादी बना लिया। सच्चाई जब ज्यादा मुखर हुई तो सहनशीलता को भेद गई। और एक दिन पत्रकारिता के इतिहास में इस सच्चाई ने, इस निर्भीक और महान पत्रकार का जीवन मांग लिया।
रामचंद्र छत्रपति ने सच्चाई और मूल्यों के साथ कभी समझौता नहीं किया। संभवत: वे इसका परिणाम जानते भी थे। वे मानते थे कि मुझे मारा जा सकता है, लेकिन सच्चाई को दबाया नहीं जा सकता। 21 नवम्बर 2002 का वह दिन बहुत मनहूस दिन था जब पत्रकारिता के इस महाबली को अपना मिशन अधूरा छोड़कर हमसे शारीरिक रूप से अलग होना पड़ा। वे चले गए लेकिन सच्चाई का एक निरंतर कारवां खड़ा करके गए जो आज भी उसी भावना  व रफ्तार के साथ जारी है। उनका बलिदान सारे विश्व में, सारे पत्रकारिता जगत में आज भी सच्ची और निर्भीक पत्रकारिता की एक अनूठी मिसाल है। उनका बलिदान आज भी उन ताकतों के लिए सबक है जो पत्रकारिता को अपने हितों की खातिर प्रयोग करना चाहते हैं। वे ताकतें दुनिया में कहीं भी हों, कभी सच्ची पत्रकारिता को दबा पाने में सफल नहीं हो सकतीं। छत्रपति को शत्-शत् नमन्।
दास्तां तेरी तेरे हौसले बताते हैं,
आज भी लोग तेरा नाम गुनगुनाते हैं।
बुझ नहीं पाते कभी ऐसी मंजि़लों के चराग
लोग जो बाती अपने खून से जलाते हैं।।  

एमडीयू ओवरऑल चैंपियन


सिरसा। चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय सिरसा में चल रही अखिल भारतीय अंतरविश्वविद्यालय महिला कुश्ती प्रतियोगिता में महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक ने  24 अंकों के साथ ओवर ऑल ट्रॉफी जीती। जबकि चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ 19 अंकों के साथ दूसरे स्थान पर और कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र 11 अंकों के साथ तीसरे स्थान पर रहा।  प्रतियोगिता 59 किलोग्राम भार वर्ग के अन्दर महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक की गीता व कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र की पूजा ढांडा के बीच कांटे की टक्कर में कॉमनवैल्थ खेलों की स्वर्णपदक विजेता गीता ने बाजी मारी और पहला स्थान हासिल किया। पूजा ढांडा ने  दूसरा और इंदौर विश्वविद्यालय की कमलेश व चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ की गर्गी यादव को तीसरा स्थान पर रहकर संतोष करना पड़ा। 67 किलोग्राम भार वर्ग में भी महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक की निक्की पहले स्थान पर उतरांचल संस्कृत विश्वविद्यालय की किर्तिशना आर्य दूसरे स्थान पर कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र की किरण और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ की मनु तौमर तीसरे स्थान पर रही। इसी प्रकार 51 किलोग्राम भार वर्ग में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ की अर्चना ने स्वर्ण पदक राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर की शीतल तौमर ने रजत पदक व बोम्बे विश्वविद्यालय की कौशल्या व कोटा विश्वविद्यालय की रेखा राठोड को कांस्य पदक मिला।

खेल में रोजगार की अपार संभावना : जाखड़
खेल के क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं। खिलाडिय़ों को सभी चीजें छोड़कर अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए और इस लक्ष्य प्राप्ति के लिए जी तोड़ मेहनत करनी चाहिए। यह बात चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय में चल रही अखिल भारतीय अंतरविश्वविद्यालय  महिला कुश्ती प्रतियोगिता के समापन्न समारोह के अवसर पर अर्जुन अवार्डी गीतिका जाखड़ ने  उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने महिला खिलाडिय़ों से आग्रह किया कि वे अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित करें और निरन्तर आगे बढऩे के लिए दिन रात मेहनत करें। उन्होंने कहा कि खेलों को खेल की भावना से खेला जाना चाहिए हार जीत खेलों में ज्यादा मायने नहीं रखती। इस अवसर पर चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय की खेल परिषद् के अध्यक्ष प्रो. शमशेर सिंह ने मुख्यअतिथि का स्वागत किया। महाविद्यालयों के अधिष्ठाता प्रो. सुरेश गहलावत ने देश भर से आये हुए खिलाडिय़ों व उनके प्रशिक्षकों का धन्यवाद किया। इस अवसर पर खेल परिषद् के सचिव डा. रविन्द्रपाल अहलावत, डा. ईश्वर मलिक, डा. मोनिका वर्मा, डा. अशोक मलिक, डा. अशोक शर्मा, डा. दिलबाग सिंह, अमित सांगवान, सतीश विज सहित अनेक लोग उपस्थित थे।

राष्ट्र निर्माण में महिला वर्ग की अहम भूमिका : अमीचंद


सिरसा। नारी सशक्त होगी तो समाज भी सशक्त होगा। राष्ट्र और समाज के निर्माण में महिलाओं की अहम भूमिका होती है। इनकी रचनात्मक भूमिका के बगैर समाज के विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती। यह शाश्वत सत्य है कि उसी समाज ने तरक्की की है जिसने महिलाओं को उचित सम्मान दिया है।  उक्त विचार जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी अमीचंद सिहाग ने आज स्थानीय सीएमके नेशनल कॉलेज  में आयोजित एक दिवसीय जिला स्तरीय पंचायती महिला एवं युवा शक्ति सम्मेलन में बतौर मुख्यातिथि व्यक्त किए। सम्मेलन में विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने संबंधित योजनाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। जिला स्तरीय सम्मेलन में 1500 से भी अधिक महिलाओं ने भाग लिया। सिहाग ने कहा कि अगर महिलाएं सशक्त होंगी तो उन्हें आरक्षण की जरूरत महसूस नहीं होगी। उन्होंने कहा कि महिलाएं अपने आपमें एक ऐसा आत्मविश्वास पैदा करे कि वे समाज में अपने को मजबूत बना सके। उन्होंने कहा कि महिला हो या चाहे पुरूष किसी भी कार्य में दिखावा न करके वास्तविकता अपनानी चाहिए।


इस अवसर पर सिरसा के खंड विकास एवं पंचायत अधिकारी सुखदेव शर्मा, सहायक सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी आत्माराम, आरजीएसआईपीआर एंड सीडी नीलोखेड़ी की फैकल्टी मैम्बर डा. सोनिका भट्टी, रोजी कटारिया आदि ने भी पंचायत महिला एवं युवा शक्ति अभियान के बारे में जानकारी दी।

मनचलों की हुई छित्तर परेड

सिरसा। शहर में शराब के अवैध अहाते, अतिक्रमण हटाओ तथा यातायात व्यवस्था के अभियान में जुटी पुलिस की नजर आज मनचलों पर पड़ी। पुलिस ने मोहता मार्किट स्थित कन्या विद्यालय के निकट तीन युवकों को काबू किया। तीनों की जमकर छित्तर परेड की गई। यही नहीं पुलिस ने उक्त तीनों आरोपियों के मोटरसाइकिलों के चालान भी काटे।
मिली जानकारी के अनुसार पुलिस अधीक्षक देवेन्द्र यादव द्वारा जारी किए गए निर्देशों के आधार पर जिला पुलिस सतर्क हो गई है। इसी संदर्भ में आज शहर थाना प्रभारी सुरेश पाल क्षेत्र में गश्त पर थे। शहर थाना से बाहर निकलते ही वे पुलिस टीम सहित मोहता मार्केट स्थित कन्या विद्यालय के निकट पहुंचे। यहां उन्होंने विद्यालय के आस-पास बाइक सवार युवकों को दबोचना शुरू किया। पुलिस ने मौके पर तीन युवकों को काबू किया। पुलिस टीम को देख युवक हड़बड़ा गए। कड़ी पूछताछ में उन्होंने विद्यालय के निकट आवारागर्दी करने की बात स्वीकार की। थाना अधिकारी ने युक्त युवकों की धुनाई की और दस्तावेज पूरे न होने के कारण बाइक का चालान कर दिया। जब इस संदर्भ में पुलिस अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि बाइक सवारों पर विशेष नजर रखी जाएगी। अधिकतर युवक आवारागर्दी के साथ-साथ आपराधिक वारदातों को भी अंजाम देते हैं। ऐसे में समय रहते पुलिस सतर्क रहेगी तो घटनाओं पर अंकुश लगेगा।

आर-पार की लड़ाई के मूड में अध्यापक

सिरसा। हरियाणा राजकीय अध्यापक संघ द्वारा आज अपनी मांगों को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के समक्ष धरना-प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शन का नेतृत्व जिला प्रधान फूल सिंह लोहानी ने किया। उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए लोहानी ने कहा कि राज्य सरकार कर्मचारी विरोधी नीतियां अपनाए हुए है। समय पर कर्मचारियों को वेतन नहीं मिल रहा, जिसके कारण उन्हें आर्थिक परेशानियों से जूझना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अध्यापक वर्ग के साथ भी यही घट रहा है। समाज के मार्गदर्शक होने के नाते अध्यापक राष्ट्र निर्माता भी हैं। सरकार इस वर्ग के साथ अन्यायपूर्ण रवैया अपनाए हुए है।
उन्होंने कहा कि एलटीसी का भुगतान नहीं हो रहा, वहीं भविष्य की योजनाओं में बजट के आधार पर अध्यापक वर्ग को शामिल नहीं किया जा रहा। उन्होंने कहा कि वर्ष 2004 में जो अध्यापक जेबीटी के आधार पर भर्ती हुए थे अभी तक उन्हें पदोन्नति नहीं मिल पाई है। उन्होंने कहा कि सरकार को चाहिए कि अध्यापक वर्ग की सभी मांगों को माने और उन्हें न्याय दे। अध्यापकों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगे नहीं मानी गईं तो वे आर-पास की लड़ाई लडऩे को मजबूर होंगे। इस अवसर पर गुरमीत सिंह, सुतंतर भारती, मुलख सिंह, रोहताश कुमार, भारत भूषण, दिनेश मलिक, सर्वकर्मचारी संघ के राज्य उपप्रधान धर्मेन्द्र ढांडा सहित अनेक अध्यापक मौजूद थे।

एसपी ने दिलवाई शपथ

सिरसा। पुलिस लाईन स्थित सामुदायिक केन्द्र में आज जिला पुलिस की तरफ से कौमी एकता व सद्भावना दिवस मनाया गया।  इस अवसर पर पुलिस अधीक्षक देवेन्द्र यादव समेत डीएसपी डिटेक्टिव पूर्णचंद पंवार व जिला पुलिस अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित थे। इस अवसर पर उपस्थितजनों को कौमी एकता व सद्भावना दिवस पर देश की एकता व अखण्डता को कायम रखने की शपथ दिलाई गई। जिला पुलिस अधीक्षक देवेन्द्र यादव ने कहा कि हमें धर्म, भाषा, जात-पात व क्षेत्रवाद से ऊपर उठकर देश की एकता व अखण्डता के लिए कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई भी धर्म व मजहब, भाषा व संस्कृति आपस में वैर रखना नहीं सिखाता। उन्होंने कहा कि भगवान ने सबको एक बनाया है और अगर हम जाति बंधनों में बंधेगें तो हमारी सोच छोटी हो जाएगी। इसलिए हम सब भारतीय हैं और हमें देश के उज्जवल भविष्य के निर्माण में काम करना चाहिए।

Monday 21 November 2011

दमखम बहुत, तकनीक में तरक्की की दरकार : भीम सिंह



खिलाडिय़ों के बीच कुश्ती शुरू करवाते भीम सिंह       छाया : सुनीत सरदाना
कुश्ती लड़तीं प्रतिभागी  

सिरसा। भारत के खिलाडिय़ों को तकनीकी रूप से प्रशिक्षित करने के लिए अधिक से अधिक खेल विद्यालयों, महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों की स्थापना करनी होगी। खिलाडिय़ों की सफलता में तकनीक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। भारत के खिलाडिय़ों में दमखम की कोई कमी नहीं लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हमारे खिलाड़ी तकनीक के मामले पिछड़ जाते हैं। इस कमी को दूर करने के लिए केन्द्र व राज्य सरकारों को अच्छी खेल नीति तैयार करके खिलाडिय़ों को बेहतर से बेहतर खेल सुविधायें व प्रशिक्षक प्रदान करने चाहिए। 


यह जानकारी अर्जुन अवार्डी व ऑलम्पियन भीमसिंह ने आज चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय की खेल परिषद् द्वारा आयोजित अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय महिला कुश्ती प्रतियोगिता का विधिवत उद्घाटन करने के उपरान्त खिलाडिय़ों को संबोधित करते हुए दी। मुख्य अतिथि ने खिलाडिय़ों को संबोधित करते हुए कहा कि खेल को हमेशा खेल की भावना से खेला जाना चाहिए। खेलों से सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास होता है। कुश्ती जैसे परम्परागत खेलों को बढ़ावा देने में मीडिया को भी साकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत का कुश्ती में 1952 के ओलम्पीकस में पहली बार ब्रोंज मैडल आया था और उसके 23 साल उपरान्त वर्ष 2008 में पहलवान सुशील कुमार ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की पहचान कायम की। मुख्यअतिथि ने कहा कि खिलाडिय़ों को सुव्यवस्थित आहार लेना चाहिए। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव  डा. मनोज सिवाच, चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय सिरसा की खेल परिषद् के अध्यक्ष प्रो. शमशेर सिंह, सचिव डा. रविन्द्र पाल अहलावत, डा. मोनिका, डा. ईश्वर मलिक, डा. अशोक मलिक, डा. अशोक शर्मा, डा. प्रियंका सिवाच, डा. जे.एस. जाखड़ संहित चालिस टीमों के कोंटीजेन्ट इंचार्ज उपस्थित थे। 

प्रतियोगिता में पहले दिन 48 किलोग्राम भार वर्ग में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ की प्रियंका ने स्वर्णपदक, महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय रोहतक की रितु ने कास्य पदक, शिवाजी विश्वविद्यालय कोलहापुर की घर्ल एम0जी0 व राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर की रूबी चौधरी को रजत पदक मिला। इसी प्रकार 55 किलोग्राम भार वर्ग में महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय रोहतक की बबीता ने सोना झटका और अवध विश्वविद्यालय की अपूर्वा त्यागी को कांस्य पदक और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ की नीतू राणा और कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र की सोनू ने कांस्य पदक जीता। 63 किलोग्राम भार वर्ग में भी महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय रोहतक की साक्षी मलिक पहले स्थान पर कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र की सील्पी सोराण दूसरे स्थान पर और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ की रजनी और राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर की ऊषा चौधरी तीसरे स्थान पर रही। महिला वर्ग के 72 किलाग्राम वाले वर्ग में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की अंशु तौमर पहले स्थान पर कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय कुरूक्षेत्र की एकता दूसरे स्थान पर और महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय रोहतक की राखी और पंजाव विश्वविद्यालय चण्डीगढ़ की मनदीप कौर तीसरे स्थान पर रही।  
उल्लेखनीय है कि चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय सिरसा की खेल परिषद् द्वारा 21 नवम्बर से 25 नवम्बर तक अखिल भारतीय अंतरविश्वविद्यालय पुरूष व महिला कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन करवाया जा रहा है। 22 नवम्बर को महिला चैम्पियन के समापन समारोह पर अजुनअवार्डी गीतिका जाखड़ मुख्य अतिथि होंगी।

सामाजिक सरोकारों के प्रति जिम्मेदारी बढ़ी : औलख

सिरसा। छत्रपति सम्मान-2011 से सम्मानित होकर जहां मैं अपने आपको गौरान्वित महसूस कर रहा हूं वहीं इस सम्मान के मिलने से सामाजिक सरोकारों के प्रति मेरी जिम्मेदारीऔर अधिक बढ़ गई है। यह सम्मान मुझे समाज के प्रति मेरी जिम्मेदारियों के बारे में भी सचेत करता रहेगा। यह विचार अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त नाटककार एवं रंगकर्मी प्रो. अजमेर सिंह औलख ने  छत्रपति सम्मान प्राप्त करने के उपरान्त अपने उद्बोधन में व्यक्त किए। 'संवाद' की ओर से युवक साहित्य सदन में आयोजित सम्मान एवं पुस्तक लोकार्पण समारोह में छत्रपति की शहादत के प्रति नतमस्तक होते हुए कहा कि वह इस सम्मान से सदैव प्रेरित होते रहेंगे। उन्होंने संवाद संस्था का भी इस सम्मान के प्रति विशेष आभार व्यक्त किया। प्रो. औलख को यह सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित पद्मश्री प्रो. गुरदयाल सिंह ने प्रदान किया। समारोह की शुरूआत तरन्नुम भारती द्वारा एक क्रांतिकारी गीत की प्रस्तुति से हुई। संस्था के वरिष्ठ उपाध्यक्ष परमानन्द शास्त्री ने प्रो. गुरदयाल सिंह, प्रो. अजमेर सिंह औलख के साथ-साथ कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. मधुसूदन पाटिल व अन्य आमंत्रितजनों का परिचय देते हुए सभी का स्वागत किया। इस अवसर पर प्रो. अजमेर सिंह औलख को प्रदान किए गए प्रशस्ति पत्र को अंशुल छत्रपति ने पढ़कर सुनाया और अधिवक्ता लेखराज ढोट ने छत्रपति के जीवन वृतांत के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी दी।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में कुमार साइल के गजल संग्रह 'हवाएं खिलाफ थीं' व डा. हरविन्दर सिंह की समीक्षा पुस्तकें 'प्रगतिवादी काव चिंतन' व 'आधुनिक पंजाबी कविता' का लोकार्पण किया गया। गजल संग्रह व समीक्षा पुस्तकों पर क्रमश: डा. मीत व का. स्वर्ण सिंह विर्क ने शोध-पत्र प्रस्तुत किए। 'हवाएं खिलाफ थीं' पर समीक्षा करते हुए डा. मीत ने कहा कि इस संग्रह की गजलों में इन्सानी अहसास, तुजुर्बे और सोच-फिक्र के रंग झलकते हैं। ल$फ्ज़ों के करघे पर कुमार साइल ने मोहब्बत, सियासत, जोरो-जुल्म, जाति व फलसफाना के ख्यालों के धागों से पेचीदा परन्तु दिलकश तस्वीर बुनी है। 'प्रगतिवादी काव चिंतन' और 'आधुनिक पंजाबी कविता' पर समीक्षा प्रस्तुत करते हुए का. स्वर्ण सिंह विर्क ने कहा कि प्रगतिवादी एवं आधुनिक पंजाबी काव्य क्षेत्र में  इन समीक्षा पुस्तकों ने एक विशेष पहचान अर्जित की है। इन पुस्तकों से प्रबुद्ध पाठकों के साथ-साथ शोधार्थी भी विशेष लाभ उठा पाएंगे।


अपने उद्बोधन में प्रो. गुरदयाल सिंह ने शहीद पत्रकार रामचन्द्र छत्रपति की शहादत को बेमिसाल करार देते हुए उनके प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त की। प्रो. अजमेर सिंह औलख के इस सम्मान के लिए चुनाव को उन्होंने यथायोग्य ठहराते हुए कहा कि प्रो. औलख ही उन जैसी बुलंदियों को छूने में सक्षम हैं। उन्होंने तीनों पुस्तकों के सम्बन्ध में भी सारगर्भित टिप्पणियां कीं। साहित्य एवं समाज के सम्बन्ध में विचार व्यक्त करते प्रो. गुरदयाल ने कहा कि सामाजिक सरोकारों के प्रतिबद्ध साहित्य ही अपनी पहचान बनाए रखने में सक्षम रह पाएगा। उन्होंने 'संवाद सिरसा' के इस प्रयास को भी बेहद सराहनीय ठहराते हुए इस कार्यक्रम की निरन्तरता को बनाए रखने का आह्वान किया। अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में डा. मधुसूदन पाटिल ने कहा कि वह इस कार्यक्रम में शिरकत कर अपने आपको अभिभूत महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब धर्म धंधा हो गया है और धंधे का कोई धर्म नहीं होता। आज सियासत भी एक धंधा बन कर रह गई है। उन्होंने तमाम रूढिय़ों, पाखंडों एवं कर्मकांडों के त्याग का आह्वान करते हुए वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाए जाने पर विशेष बल दिया। समारोह में प्रो. हरभगवान चावला, सुतंतर भारती, राजीव गोदारा, पूर्ण मुद्गिल, जसमेल कौर, डा. शील कौशिक, राजकुमार निजात, तेजेन्द्र लोहिया, हरीश सेठी, अविनाश कम्बोज, जगरूप सिंह, रामस्वरूप, दयानन्द शर्मा, सुरेन्द्र भाटिया, राजेन्द्र ढाका, चिरंजी लाल, राजेन्द्र प्रसाद, भूपिन्द्र पन्नीवालिया, प्रभुदयाल, डा. रामजी जयमल, वीरेन्द्र सिंह चौहान, डा. जी.डी. चौधरी, प्रो. रूप देवगुण, डा. दर्शन सिंह, मा. सुरेन्द्रपाल सहित अन्य वरिष्ठ व्यक्ति उपस्थित थे। संस्था के सचिव वीरेन्द्र भाटिया ने सभी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए भविष्य में भी इसी प्रकार की सक्रिय सहभागिता की उम्मीद जताई। अंत में संस्था द्वारा सभी आमंत्रित अतिथियों को स्नेह प्रतीक भेंट किए गए।

कुझ किहा तां हनेरा जरेगा किवें...



सिरसा। साहित्य एवं सामाजिक सरोकारों को समर्पित संस्था संवाद द्वारा गत रात्रि अमर शहीद पत्रकार रामचन्द्र छत्रपति के शहीदी दिवस पर नेहरू पार्क में नाटक संध्या का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में अंतर्राष्ट्रीय नाटककार अजमेर सिंह औलख के निर्देशन में लोक कला मानसा द्वारा नाटक का मंचन किया गया। अवेसले युद्धां की नायिका व आपणा-आपणा हिस्सा नाटक प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम का शुभारंभ ओढां स्कूल के छात्रों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करके किया गया। तरन्नुम भारती ने कुझ केहा तां हनेरा जरेगा किवें, चुप रेहा तां क्षमादान की कहणगे, गीत दी मौत इस रात जे हो गई, मेरा जीवन मेरे यार किंज सहणगे मुखड़े पर आधारित गीत प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के  मुख्यअतिथि पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के अधिवक्ता अश्वनी बख्शी ने कहा कि पत्रकार छत्रपति ने सच की खातिर अपना बलिदान दिया लेकिन उन्होंने कलम के सिपाहियों को एक प्रेरणा भी दी। उन्होंने कहा कि छत्रपति की याद में ऐसे कार्यक्रम होते रहने चाहिएं। इन्हीं कार्यक्रमों की बदौलत शहीदों की यादगार बनी रहेगी। इस अवसर पर मा. कुलदीप, अबोहर से चिंतक एवं साहित्यकार मक्खन लाल, अध्यापक मुख्तयार सिंह, मक्खन लाल गोयल, दर्शन मेहता, संस्था के अध्यक्ष हरभगवान चावला, वरिष्ठ उपाध्यक्ष परमानन्द शाी, सचिव वीरेन्द्र भाटिया, का. स्वर्ण सिंह विर्क, अवतार ङ्क्षसह, डा. हरविन्द्र सिंह, आरके शर्मा साहिल, गुरबख्श मोंगा, अंशुल छत्रपति, बलबीर कौर गांधी, उर्मिल मोंगा, राजेन्द्र अहलावत, जेपी पांडे, भारत भूषण, माया देवी, डा. रामजी जयमल, पुरुषोत्तम शाी, फूल सिंह लोहानी, मा. बूटा सिंह, चिरंजी लाल, भूपेन्द्र पन्नीवालिया, सुतंतर भारती, लेखराज ढोट एडवोकेट, टोनी सागू, रोशन सुचान आदि उपस्थितथे।