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सच और झूठ के बीच कोई तीसरी चीज नहीं होती और मैं सच के साथ हूं : छत्रपति       www.poorasach.com      

Tuesday, 22 November 2011

सदबुधि दे भगवान!

अनुपिन्द्र सिंह 'अनूप'

गुरबाणी का फरमान है, 'सच्चे मार्ग चलदेयां उसतत करे जहान' अर्थात् सच के मार्ग पर चलने वालों की स्तुति सारा संसार करता है। परंतु सच के मार्ग पर चलना बहुत कठिन है। यह रास्ता कांटों भरा है और यह भी सच है कि जिसका जमीर जाग जाए, वह सच के अलावा किसी दूसरे रास्ते पर चल ही नहीं सकता। लोगों की भीड़ में ऐसे ही एक शख्स थे पत्रकार रामचंद्र छत्रपति।  जिस देश में लोग धर्म पर विश्वास नहीं, अंधविश्वास करते हों, उस देश में किसी धर्म-समुदाय से जुड़े लोगों से लडऩा टेढ़ी खीर होता है। जहां लोग अपने बाबा के खिलाफ एक लफ्ज़ भी सुनने को राज़ी न हों, उस माहौल में कुछ कहना साहस का कार्य है। लेकिन यह कर दिखाया छत्रपति जी ने जिसकी कीमत उन्हें अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।

छत्रपति एक कामयाब पत्रकार थे। अगर वे चाहते तो आम पत्रकारों की तरह मौके का फायदा उठाते हुए धन-दौलत का अंबार लगा सकते थे। लेकिन जिसकी आत्मा जाग जाए, वह किसी लालच में नहीं आता। उसे अपने मार्ग से कोई नहीं हिला सकता। छत्रपति जी ने अपना फर्ज, अपना रोल अदा कर दिया, अब हमारी बारी। हमें अपना फजऱ् निभाना होगा।
लेकिन बहुत अफसोस की बात है कि आज 9 साल बीतने के बाद भी हम छत्रपति को इंसाफ नहीं दिला पाए। जिस सुस्त रफ्तार से अदालत की कार्रवाई चल रही है, उसे देखकर लगता है कि 90 साल तक भी लग सकते हैं। अगर इसी तरह से अदालतें इंसाफ करती रहीं तो बकौल सुरजीत पातर, यूं होगा :-
इस अदालत 'च बंदे बिरख हो गए,
फैसले सुणदेयां-सुणदेयां सुक गए
आखो इहना नूं उजड़े घरी जाण हुण,
इह कदों तक ऐथे खड़े रहंदे।
जिस तरह अन्ना हजारे के पीछे काफिला चल पड़ा, इसी तरह छत्रपति मामले में भी लोगों का समर्थन चाहिए ताकि सरकार पर दबाव बनाया जा सके और छत्रपति के हत्यारों को सजा मिल सके। भगवान लोगों को सदबुधि दें, ताकि वे गलत और सही में फर्क कर सकें।

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