सिरसा। राष्ट्रीय मजदूर कल्याण मंच भारत (मुख्य इकाई) के प्रधान अनिल गर्ग ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में मांग की है कि किसानों की कर्जमाफी की तर्ज पर देशभर के अनुसूचित जातियों, पिछड़ों, महिलाओं व अन्य कमजोर वर्ग के सभी कर्ज माफ किये जावें। उन्होंने कहा कि देश के बहुसंख्य गरीब वर्ग की राष्ट्र निर्माण में महत्ती भूमिका है। मजदूर वर्ग विभिन्न श्रेणियों में जैसे खेतीहार मजदूर, भवन निर्माण मजदूर, रेहड़ी-ठेली वाला मजदूर, रिक्शा-ऑटो रिक्शा चालक, छोटे दुकानदार, मंझले उद्योग एवं दुकानों पर काम कर रहे कर्मचारी के रूप में विपरीत आर्थिक-सामाजिक परिस्थितियों में राष्ट्र निर्माण एवं राष्ट्र सेवा में जुटा हुआ है, लेकिन सरकार द्वारा मजदूरों की राष्ट्रीय भावना और राष्ट्र सेवा का मूल्यांकन नहीं किया जा रहा। मजदूर वर्ग भारी कर्जे तले दबा हुआ है और आए दिन देश भर में कर्जे के कारण सैकड़ों मजदूर मौत का ग्रास बन रहे हैं, जिससे मजदूर वर्ग का जिंदा रहने का संविधानिक अधिकार भी छिन रहा है। भारत के संविधान में प्रत्येक व्यक्ति को स्वतंत्र रूप से जिंदा रहने का अधिकार दिया है जो कि सरकार की शोषणकारी आर्थिक नीतियों के चलते पूरा मजदूर वर्ग आर्थिक-सामाजिक पीड़ा झेल रहा है। बड़ी संख्या में मजदूरों के पास दो वक्त की रोटी भी पूरी नहीं हो रही है, जिससे मजदूरों के बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। कुपोषण के चलते मजदूरों के बच्चों की शिक्षा पर भी विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। श्री गर्ग ने कहा कि भारत सरकार को चाहिए कि सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के सभी बैंकिंग प्रतिष्ठानों के दो लाख रुपये तक के सभी कर्जों की रिपोर्ट मंगवाकर एक वृहद् योजना के तहत सभी स्कीमों के कर्जे एक मुश्त बिना शर्त माफ किया जावे, ताकि बहुसंख्य मजदूर वर्ग राहत महसूस करे। श्री गर्ग ने कहा कि निकट भविष्य में राष्ट्रीय मजदूर कल्याण मंच सभी प्रदेशों में हस्ताक्षर अभियान चलाकार भारत सरकार को ज्ञापन प्रेषित करेगा और यदि भारत सरकार ने समय रहते कर्जे माफ ना किये तो आंदोलन शुरू किया जाएगा।
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