सिरसा। कुश्ती भारत के पारम्परिक खेलों में से एक है और ग्रामीण हरियाणा के अन्दर इस खेल को पसन्द भी अधिक किया जाता है और खेला भी अधिक जाता है यही कारण है कि इस प्रदेश के खिलाडिय़ों ने हाल ही में आयोजित कॉमनवैल्थ खेलों में अपना परचम फहराया था। ये विचार चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय के कुलपति डा. के.सी. भारद्वाज ने पुरूषों की अखिल भारतीय अंतरविश्वविद्यालय कुश्ती का विधिवत उद्घाटन करने के उपरान्त बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए व्यक्त किये। डा. भारद्वाज ने देश भर से आये हुए 70 टीमों के पहलवानों व उनके प्रशिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि कुश्ती एक ऐसा खेल है जिसमें व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक विकास, फुर्ती व आत्मविश्विस के अन्दर वृद्धि होती है। इस खेल के अन्दर ढांचागत सुविधाओं की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती। उन्होंने कहा कि पहलवानों को मेहनत करने की आदत पड़ जाती है और इस मेहनत करने की आदत की वजह से वे जीवन प्रत्येक क्षेत्र में सफल होते हैं। उन्होंने कहा कि कुश्ती एक काफी पुराना खेल है और महाभारत के अन्दर भी बलराम और भीम जैसे योद्धाओं केे किस्से पढऩे व सुनने को मिलते हैं। डा. भारद्वाज ने खिलाडिय़ों से आग्रह किया कि वे पहलवान उदयचन्द, मास्टर चंदगी राम आदि को अपना आदर्श मानते हुए जीवन में आगे बढ़ें। उन्होंने मंच के माध्यम से ऐसोसिएशन ऑफ इंडियन युनिवर्सिटिज का भी धन्यवाद किया जिसकी वजह से चौधरी देवी लाल विश्विद्यालय सिरसा को राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता की मेजबानी करने का मौका मिला। इस अवसर पर चौधरी देवी लाल विश्वविद्यालय सिरसा की खेल परिषद् के अध्यक्ष प्रो. शमशेर सिंह ने मुख्यअतिथि का स्वागत किया जबकि कम्पयूटर साइंस के प्रो. विक्रम सिंह ने आये हुए मेहमानों का धन्यवाद किया। इस अवसर पर प्रो. प्रवीन आगमकर, प्रो. असीम मिगलानी, डा. रविन्द्र पाल अहलावत, डा. दिलबाग सिंह, डा. मोनिका, डा. ईश्वर मलिक, डा. अशोक मलिक, डा. अशोक शर्मा, व अमित सांगवान सहित विभिन्न टीमों के कोंटीजेन्ट इंचार्ज उपस्थित थे।
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