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सच और झूठ के बीच कोई तीसरी चीज नहीं होती और मैं सच के साथ हूं : छत्रपति       www.poorasach.com      

Thursday 24 November 2011

वो और कोई नहीं, थी लक्ष्मी बाई


सिरसा। जिला में कौमी एकता सप्ताह मनाए जाने की कड़ी में आज स्थानीय सी.एम.के. नेशनल गल्र्ज कॉलेज के सभागार में महिला दिवस का आयोजन किया गया जिसमें उपायुक्त की धर्मपत्नी श्रीमती नीलम सरो ने मुख्यातिथि के रूप में शिरकत की और महाविद्यालय की छात्राओं को सशक्तिकरण का संदेश दिया। इस मौके पर महाविद्यालय की छात्राओं ने विभिन्न विधाओं कविता पाठन, लघु नाटिका व भाषण संबोधन के माध्यम से महिला सशक्तिकरण का व्याख्यान किया।
मुख्यातिथि के रूप में श्रीमती सरो ने कार्यक्रम में छात्राओं का आह्वान किया कि वे अपनी शक्ति को पहचान कर जीवन में आगे बढऩे का संकल्प लें और दूसरों को भी आगे बढ़ाने के लिए सहायता करें, तभी वास्तविक रूप में देश व समाज में महिला सशक्तिकरण का सपना पूरा होगा। उन्होंने कहा कि महिलाओं को चाहिए कि वे समाज में अपने अस्तित्व व पहचान के लिए महिलाओं का सम्मान करें और बेटियों को आगे बढऩे का अवसर प्रदान करें। बेटी को बचाने के लिए भी सभी महिलाओं को यह सोचना होगा कि वे स्वयं एक बेटी है। उन्होंने कहा कि छात्राओं को चाहिए कि वे समाज में किसी भी पुरूष व महिलाओं को प्रेरणास्रोत मानकर उनके गुणों को महसूस करें जिससे वे सामाजिक उद्देश्य के लिए मुतासिर होगी। उन्होंने महिला सशक्तिकरण में अपने संबोधन में अपने ही द्वारा रचित 'सांझे पल' नामक किताब से 'औरत' नामक कविता की पंक्तियां दोहराई। उनकी 'औरत' नामक कविता की पंक्तियां इस प्रकार है-
औरत तू सृजन है
नए जन्म का 
नई दिशाएं दिखाने का
अपनों को अपनों से मिलाने का
प्यार का दस्तूर निभाने का
अंदर की ताकत को
बाहर सच कर दिखाने का
इस कार्यक्रम में महाविद्यालय की छात्राओं द्वारा महिला सशक्तिकरण पर 'दिशागत' नामक लघुनाटिका का प्रस्तुतिकरण किया गया। इस लघु नाटिका में नारी ने बलिया नामक राज्य की रक्षा के लिए किस प्रकार से महिलाओं ने अपनी महत्ती भूमिका निभाई थी का चित्रण कर ऐतिहासिक तथ्यों को प्रस्तुत किया और आधुनिक नारी को भी इस इतिहास से आगे बढऩे के लिए प्रेरणा दी। इस लघु नाटिका में जुगनी का रोल ज्योति नामक छात्रा ने, चमकी का रोल रेखा ने, छमिया का रोल अनिता ने, दुर्गा का रूप ललिता ने, भावी का रोल कविता ने, महारानी का रोल निशा ने और बरखा का रोल लक्ष्मी नामक छात्रा ने बखूबी निभाया। यह लघुनाटिकों दर्शकों के दिलो जहन में नारी सशक्तिकरण की अमिट छाप छोडऩे में कामयाब रही।
इसी प्रकार से महाविद्यालय की एक अन्य सोफिया नामक छात्रा ने कविता के माध्यम से संदेश दिया। कर्मजीत नामक छात्रा ने भी अपनी कविता पढ़कर नारी सशक्तिकरण को इंगित किया। इनकी कविता की लाइनें इस प्रकार थी-
एक दिन मन में ख्याल आया
भगवान ने हमें लड़की
और उन्हें लड़का क्यों बनाया
शादी के बाद हो जाती है पराई
फिर मन में ख्याल आया
यह सोचकर मैं मुस्कुराई
जो संकट के समय शत्रुओं पर छाई
वो और कोई नहीं थी लक्ष्मी बाई
इसी तरह से कुलविंद्र नामक छात्रा ने अपनी कविता के माध्यम से महिला सशक्तिकरण को राष्ट्र के सशक्तिकरण से जोड़ा। सुनीता रानी ने भी अपनी कविता में औरत की व्यथा सुनाई। इसी कार्यक्रम में शिखा और लवली ने भी कविताओं और भाषणों के माध्यम से नारी सशक्तिकरण के अध्याय को आगे बढ़ाने की कोशिश की। समारोह में नगराधीश श्रीमती कमल प्रीत कौर ने छात्राओं का आह्वान किया कि वे जीवन में आगे बढऩे के लिए शिक्षा ग्रहण करें जिससे उन्हें स्वयं में शक्ति का अहसास होगा। उन्होंने छात्राओं को प्रेरित करते हुए कहा कि जब-जब भी औरत ने किसी कार्य को करने का प्रण किया है या निश्चय लिया है तो उन्होंने शत-प्रतिशत सफलता पाई है इसलिए सभी महिलाओं को चाहिए कि वे जीवन में सफलता का लक्ष्य स्थापित कर कार्य करें। इस मौके पर कॉलेज की प्राचार्या श्रीमती विजया तौमर ने मुख्यातिथि का स्वागत किया और महिला सशक्तिकरण के बारे में महाविद्यालय द्वारा की जा रही गतिविधियों पर प्रकाश डाला।

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