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Saturday, 14 September 2013

फिजूल खर्च से कंगाल हुई पंजाब सरकार!

चंडीगढ़। पंजाब सरकार की फिजूल खर्च ने सरकार की माली हालत इस कदर खराब कर दी है कि उनके आर्थिक हालात बुरी तरह से बिगड़ गए हैं। अर्थिक संकट झेल रही पंजाब सरकार के पास हजारों कर्मचारियों की सैलेरी चुकाने तक के पैसे नहीं हैं। यह हाल तो तब है जब बादल मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पांचवां कार्यकाल निभा रहे हैं। इसके पीछे बड़ा कारण यह माना जा रहा है कि सरकार ने सबसे ज्यादा खर्चा अपने सलाहकारों पर किया है।
बी-स्कूल स्नातक सुधारेंगे आर्थिक स्थिति 
           पंजाब सरकार पर हर माह कर्मचारियों की सेलेरी के रूप में 1260 करोड़ रूपए का भार पड़ता है। खस्ता हालात को सुधारने और राज्य के व्यवसायिक रूझान को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कुछ दिनों पहले आईआईएम-बेंगलूरू और आईआईएम कोझिकोडे जैसे बी(बिजनेस)-स्कूलों से ग्रेजुएट्स को नियुक्त किया था। इन ग्रेजुएट्स को सरकार 1.25 लाख रूपए की मासिक सैलेरी दे रही है। सरकार पर "डिसमल इनवेस्टमेंट क्लाइमेट" का आरोप लगाने वाले विपक्ष ने शिरोमणी अकाली दल सरकार से श्वेत पत्र भी मांग चुका है।
7 सलाहकार, 20 संसदीय सचिव
         मुख्यमंत्री प्रकाशसिंह बादल और उपमुख्यमंत्री सुखबीरसिंह बादल के पास 7 सलाहकार और 20 मुख्य संसदीय सचिव हैं। सलाहकारों को कैबिनेट मंत्री का रैंक मिला हुआ है तो संसदीय सचिव सहायक सलाहकार हैं। इन सबको रहने के लिए घर, गाड़ी के अलावा सलाहकारों को 65000 प्रति माह और सहायक सलाहकारों को 56000 प्रति माह सैलेरी दी जाती है। सीनियर बादल के सलाहकारों में कमल ओसवाल (औद्योगिक मामलात), तिक्षन सूद (राजनीतिक मामलात), एच एच बैंस (राष्ट्रीय मुद्दों पर मीडिया सलाहकार), बी एस धलीवाल (तकनीकी मामलात) और विनीत जोशी(सहायक मीडिया सलाहकार) शामिल हैं।
सलाहकारों के पास काम नहीं
            रोचक बात यह है कि जहां शिरोमणी अकाली दल की इस सरकार के पास सलाहकारों की भरमार है, वहीं इन अधिकारियों के पास करने के लिए कोई खास काम नहीं है। पिछले दिनों मुख्य संसदीय सचिव(स्वास्थ) डॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने यह शिकायत की थी कि उन्हें डिपार्टमेंट की किसी भी मीटिंग में नहीं बुलाया जाता और कोई भी अहम निर्णय उनकी जानकारी के बिना ही ले लिया जाता है।
1000 लोग और भी
             सलाहकारों और संसदीय सचिवों के अलावा भी कम से कम 1000 लोग ऎसे हैं जिन्हें अलग-अलग बोर्ड, कॉर्पोरेशन और अन्य सरकारी दफ्तरों में लगाया गया है और उनके पास काम की कमी है। सलाहकारों और अन्य नियुक्तियों को कोर्ट में चुनौती देने वाले पांजाब के वकील दिनेश चड्ढा ने कहा, "सरकार ने 1000 लोगों को बिना कोई पब्लिक एडवर्टीजमेंट जारी किए संविधान के आर्टिकल 14 और 16 का उल्लंघन करते हुए नियुक्त किया है।"

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