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Friday 21 March 2014

भ्रष्टाचारियों को सबक सिखाएगी जनता : कुलदीप

सिरसा में इंदौरा का नामांकन करवाने चन्द्रमोहन सहित पहुंचे कुलदीप

सिरसा। हरियाणा जनहित कांग्रेस के प्रमुख कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि इस बार चुनाव में जनता भ्रष्टाचारी पार्टियों को सबक सिखा देगी। उन्होंने कहा कि हिसार में चौटाला परिवार हारेगा और सिरसा में चौटाला की पार्टी हारेगी। उन्होंने कहा कि देश और प्रदेश में मोदी की लहर चल रही है। हरियाणा में हजकां-भाजपा गठबंधन 10 की 10 सीटें जीतेगा। बिश्नोई ने यह भी कहा कि कांग्रेस के चिराग बुझ चुके हैं और भ्रष्टाचार मामले में चौटाला पिता-पुत्र जेल में हैं। कुलदीप बिश्नोई अपने बड़े भाई चन्द्रमोहन के साथ आज यहां हजकां उम्मीदवार डा. सुशील इंदौरा का नामांकन पत्र दाखिल करवाने सिरसा आए थे। उन्होंने कहा कि इस समय जनता ने हजकां-भाजपा गठबंधन को जीत दिलवाने का मन बना लिया है। उन्होंने कहा कि सुखबीर बादल का हिसार आना सही नहीं है। उन्हें मर्यादा में रहना चाहिए। हजकां सुप्रीमो ने कहा कि सिरसा और करनाल सीटों में फेरबदल का निर्णय एकाएक नहीं हुआ। हिसार के अलावा उनके पैनल में सिरसा सीट भी शामिल थी। सुखबीर बादल के मामले में उन्होंने कहा कि वे इस बारे में राजनाथ सिंह को शिकायत कर चुके हैं। उन्होंने इंदौरा के हजकां में शामिल होने के सवाल पर कहा कि हजकां में शामिल होकर इंदौरा ने किसी से कोई धोखा नहीं किया है, वे जनहित की लड़ाई में शामिल होने के लिए हजकां में आए हैं और पार्टी बदलना कोई धोखा देना नहीं होता।
इस अवसर पर हजकां उम्मीदवार डा. सुशील इंदौरा ने कहा कि वे अपने क्षेत्र के हितों की आवाज प्रमुखता से संसद में उठाएंगे। उन्हें इनेलो और कांग्रेस में मान-सम्मान नहीं मिला। यही वजह रही कि वे कांग्रेस को छोड़कर हजकां में आए। उन्होंने सांसद और विधायक रहते हुए अपने क्षेत्रवासियों की आवाज को बुलंद किया है और आगे भी ऐसा ही करेंगे।

पांच ने दाखिल किया पर्चा

सिरसा। आज लोकसभा चुनाव के लिए पांच  उम्मीदवारों ने अपने नामांकन दाखिल किए। आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार पूनम चंद रत्ती, हजकां-भाजपा गठबंधन के प्रत्याशी डा. सुशील इंदौरा व तीन अन्य उम्मीदवारों ने आज दोपहर जिला निर्वाचन कार्यालय पहुंचकर नामांकन पत्र दाखिल किया।
हजकां प्रत्याशी सुशील इंदौरा दोपहर दो बजे नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए निर्वाचन कार्यालय पहुंचे लेकिन हजकां सुप्रीमों कुलदीप बिश्रोई का करीब पौने तीन बजे तक इंतजार करते रहे। कुलदीप बिश्रोई के पहुंचने के बाद इंदौरा ने अपना नामांकन दाखिल किया। इसके बाद आप प्रत्याशी पूनम चंद रती ने नामांकन दाखिल किया।

गैस चढऩे से दो मजदूरों की मौत

सिरसा। गांव नटार में स्थित डिस्पोजल प्लांट पर पाइपों की सफाई करने के दौरान दो कर्मचारियों की मौत हो गई। दोनों कर्मचारी शहीदांवाली निवासी कालाराम  व गांव मंगाला निवासी संदीप कुमार सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में पाइपों की सफाई का कार्य कर रहे थे। इस दौरान सीवरेज पानी से निकलने वाली जहरीली गैस चढऩे से दोनों बेसुध हो गए। दोनों को सिरसा के सामान्य अस्पताल में लाया गया जहां उनकी मौत हो गई। गांव के लोगों में इस घटना को लेकर रोष व्याप्त है। ग्रामीणों का कहना है कि यह हादसा प्रशासन की लापरवाही से हुआ है। अगर पाइपों में सफाई के दौरान गंदे पानी को रोका गया होता तो यह हादसा नहीं होता। फिलहाल शव पोस्टमार्टम हेतु सामान्य अस्पताल लाए गए हैं।
प्रत्यक्षदर्शी सुखदेव ने बताया कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में जेई की मौजूदगी में दोनों कर्मचारी काम कर रहे थे। पाइपों में दोनों घुसे हुए थे। इस दौरान गंदा पानी तेजी बहा और दोनों इस पानी की गैस चढऩे से बेसुध हो गए थे।

रहस्यमयी बीमारी की चपेट में दुधारू पशु
200 पशु बने काल का ग्रास

सिरसा। नाथुसरी चौपटा क्षेत्र के गांव कैरांवाली में दुधारू पशुओं पर अज्ञात बीमारी ने कहर बरपा रखा है। पिछले एक पखवाड़े में  गांव में 200 से अधिक दुधारू पशओं की मौत हो चुकी है। जबकि 50 से अधिक पशु दम तोडऩे के कगार पर है। वहीं 100 से अधिक पशु बीमारी की वजह से तडफ़ रहे है। पशुपालन विभाग ने बिगड़े हालात पर काबू पाने के लिए हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार से विशेषज्ञों को बुलाया है। 
जानकारी के अनुसार गांव कैरांवाली में दूध देने वाली भैंसों पर अज्ञात बीमारी ने कहर बरपा रखा है। बीते एक पखवाड़े में 200 से अधिक पशु अकाल मौत का ग्रास बन चुके है। जबकि अन्य पशुओं की हालत भी ठीक नहीं है। गांव में एक के बाद एक दुधारू पशु बीमार पड़ रहे है। जिला के पशु चिकित्सक उपचार करना तो दूर बीमारी का भी पता नहीं लगा सकें है। पशु पालक सतीश सिद्धू ने बताया कि दुधारू पशुओं के मुंह और पैरों में छाले हो रहे है और सांस रूकने लगती है। पशु एक-दो दिन ही बीमार रहता है और उसकी मौत हो जाती है। उन्होंने बताया कि अपने पशुओं को मौत के मुंह में जाता देखकर भी वे बेबस है क्योंकि पशु चिकित्सक बीमारी का ही पता नहीं लगा सकें है। 
एक के बाद एक पशुओं की मौत की वजह से पशुपालकों को आर्थिक रूप से चोट लग रही है। गांव में अधिकांश पशुपालकों द्वारा अपने पशुओं का बीमा नहीं करवाया गया है।

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