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सच और झूठ के बीच कोई तीसरी चीज नहीं होती और मैं सच के साथ हूं : छत्रपति       www.poorasach.com      

Tuesday 9 December 2014

'बिकाऊ माल' है मीडिया : डेरा प्रमुख

डेरा के खिलाफ खबरें आने पर गुरमीत सिंह ने खोया आपा
डेरा के पूर्व साधु ने दी खुली बहस की चुनौती
कहा-तथ्यों के साथ डेरा प्रमुख के हर सवाल का देंगे जवाब

सिरसा। (हस) हाईकोर्ट द्वारा डेरा सच्चा सौदा की जांच के आदेश देने संबंधी खबरें छापने वाला मीडिया 'बिकाऊ माल' है! जी हां, ऐसा डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह का कहना है। गुरमीत सिंह ने हाल ही में अपने एक कार्यक्रम के दौरान प्रायोजित प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि डेरा में सैनिक ट्रेनिंग नहीं दी जाती। धमकी भरे लहजे में बोलते हुए डेरा प्रमुख का कहना है कि 'वे लिखते क्या हैं, सामने आएं न?' इस संबंध में एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ है। इस वीडियो में डेरा प्रमुख पूरी तरह बौखलाया दिखाई दे रहा है।
यह है वीडियो
समाचार पत्रों में छपी खबरों से संबंधित एक सवाल डेरा प्रमुख से पूछा जाता है। इसके जवाब में डेरा प्रमुख का कहना है कि वह कभी अखबारें नहीं पढ़ता। उसे पिछले दिनों किसी ने पर्ची दी और इस संबंध में पूछा। गुरमीत सिंह मीडिया को निशाना बनाते हुए कहता है कि डेरा के भलाई कार्यों के बारे में मीडिया क्यों नहीं लिखता?

बाबा जी अखबार ही देख लिया करो!
गुरमीत सिंह द्वारा सवाल का जवाब देने से पहले सबसे पहले इस बात पर जोर दिया जाता है कि वह दुनिया का कोई अखबार नहीं पढ़ता। यहां गौर लायक बात यह है कि अगर गुरमीत सिंह अखबार नहीं पढ़ता तो उसे डेरा के पक्ष में छपने वाले समाचारों के बारे में जानकारी कैसे हो? यहां उल्लेखनीय यह भी है कि डेरा के सत्संग से लेकर डेरा की ओर से जारी हर प्रेस विज्ञप्ति अखबारों की सुखियां बनती है। यदि डेरा प्रमुख अखबार नहीं पढ़ता तो ऐसे में डेरा प्रमुख किस बिनाह पर यह झूठ बोल रहा है कि उनके कार्यों को समाचार पत्रों में नहीं छापा जाता?  दूसरे, यदि समाचार लिखने वाले बिकाऊ माल हैं तो फिर डेरा की ये विज्ञप्ति भी कुछ ऐसे ही तो नहीं छपती?
हाईकोर्ट को चुनौती!
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख द्वारा यह बयान उन समाचारों के संबंध में दिया गया जो विगत दिनों हाईकोर्ट के आदेश के संबंध में प्रकाशित हुए। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने रामपाल मामला सामने आने के बाद एमिकस क्यूरी द्वारा पेश किए गए उन दस्तावेजों पर स्वत: संज्ञान लिया था जिनमें सेना इंटेलिजेंस द्वारा डेरा सच्चा सौदा में हथियारों के प्रशिक्षण की बात कही गई थी। हाईकोर्ट ने इसे गंभीर मानते हुए डेरा की जांच के आदेश राज्य सरकार को दिए थे। इसी संबंध में सभी प्रमुख समाचार पत्रों में समाचार को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था। इससे बौखलाए डेरा प्रमुख ने अपने भक्तों के समक्ष अपनी सफाई पेश करने के जरिए मीडिया पर भड़ास निकाल दी। लेकिन वह इस बात को भूल गया कि मीडिया ने यह खबर हाईकोर्ट के आदेश देने के बाद प्रकाशित की थी।
पूर्व साधु ने दी चुनौती
डेरा के पूर्व साधु गुरदास सिंह तूर ने डेरा प्रमुख के इस बयान के बाद किसी मीडिया चैनल पर आकर आमने-सामने बहस की खुली चुनौती डेरा प्रमुख को दे दी है। गुरदास सिंह तूर का कहना है कि वह 1996 से 2002 तक डेरा सच्चा सौदा में बतौर साधु रहा है और यहां के कार्यकलापों से भली-भांति वाकिफ है। गुरदास तूर ने डेरा प्रमुख को तथ्यों और तर्कों के आधार पर बहस की चुनौती दी है।  तूर का कहना है कि वह डेरा प्रमुख की सिर-सिर की शर्त को स्वीकार करता है। कोई भी मीडिया चैनल डेरा प्रमुख को उसके समक्ष खुली बहस के लिए पेश कर दे। गुरदास ने कहा कि यदि डेरा प्रमुख उनकी चुनौती को स्वीकार नहीं करता है तो यह माना जाना चाहिए कि डेरा प्रमुख पर लगे सभी आरोप बिल्कुल सही हैं। 

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