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सच और झूठ के बीच कोई तीसरी चीज नहीं होती और मैं सच के साथ हूं : छत्रपति       www.poorasach.com      

Monday, 29 December 2014

जांच से इतना क्यों डरता है डेरा?

सिरसा। डेरा सच्चा सौदा में हाईकोर्ट के आदेश पर जांच का सिलसिला चल रहा है। आज तीसरी बार जिला प्रशासन की जांच टीम ने डेरा सच्चा सौदा में दबिश दी और वहां की गतिविधियों की रिपोर्ट तैयार की। डेरा सच्चा सौदा का नाम सामाजिक गतिविधियों की बजाय अनैतिक गतिविधियों के कारण कुख्यात-सा हो चुका है। जब से डेरा के वर्तमान गद्दीनशीन गुरमीत सिंह ने गद्दी संभाली है, तब से डेरा की रिपोर्ट ठीक नहीं रही। डेरा द्वारा समाज की भलाई के लिए कार्य करने के बेशक लाख दावे किए जा रहे हों लेकिन यह भी सच है कि समाज भलाई के कार्य करके अनैतिक धंधे करने का लाइसेंस नहीं मिल जाता। किसी संगठन पर इतनी उंगलियां यूं ही नहीं उठतीं। साध्वियों से बलात्कार, पत्रकार रामचंद्र छत्रपति तथा डेरा की कमेटी के सदस्य रणजीत सिंह की हत्या मामलों की जांच सीबीआई कर चुकी है और खास बात यह है कि इन मामलों में सीबीआई ने जो रिपोर्ट अदालत के समक्ष रखी है, उसमें डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह को मुख्य आरोपी बनाया गया है। यानी बात साफ है कि सीबीआई की नजर में गुरमीत सिंह की शह पर ही यह कार्य हुए हैं। इसके अलावा डेरा के एक साधु फकीर चंद की गुमशुदगी के मामले की जांच भी सीबीआई कर चुकी है। डेरा में हथियारों की ट्रेनिंग की रिपोर्ट सेना इंटेलीजेंस द्वारा दी गई और सैनिकों को डेरा से दूरी बनाने के आदेश हुए। और हाल ही में सीबीआई के जिम्मे डेरा सच्चा सौदा की एक और जांच सौंपी गई है। डेरा में करीब 400 लोगों को नपुंसक बनाए जाने की जांच। इसमें एक बड़ी बात यह भी है कि डेरा सच्चा सौदा भी नपुंसक बनाए जाने के आरोप को नकारता नहीं है। नपुंसक बनाए गए लोग कहते हैं कि वे अपनी मर्जी से नपुंसक बने हैं। जाहिर है जो लोग नपुंसक बनाए गए हैं, वे डेरा में रहते हैं और डेरा यदि अपना दबाव सरकारों पर चला सकता है तो वहां रहने वाले तो उसके बंदी हैं। उन्हें भी अपनी जान प्यारी है। यदि थोड़ा गंभीरता से सोचा जाए तो यह देश के कुछ सबसे अधिक घिनौने अपराधों में शुमार है लेकिन डेरा की मैनेजमेंट के कारण अभी तक इसके विरुद्ध बड़ा अभियान मीडिया द्वारा नहीं चलाया गया है। एक ऐसा ही नपुंसक बनाया गया युवक, जिसके हार्मोन परिवर्तित हो गए हैं, वह डेरा से किसी तरह आजाद होता है और डेरा के इस कुकृत्य को समाज व कानून के समक्ष नंगा करता है। अदालत ने इस मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। यदि निष्पक्ष जांच हुई तो इस मामले में डेरा प्रमुख के गिरेबान तक सीबीआई को हाथ डालने से कोई नहीं रोक सकता।

तीसरी बार दी डेरा में दबिश

सिरसा। हाईकोर्ट के आदेश पर जिला प्रशासन द्वारा गठित जांच टीम आज तीसरी बार डेरा सच्चा सौदा पहुंची। जांच टीम में सिरसा के एसडीएम के इलावा सिटी मजिस्ट्रेट व डीएसपी मुख्यालय को शामिल किया गया है। इससे पूर्व दो बार जांच टीम डेरा परिसर में पहुंच कर डेरा की गतिविधियों की जांच कर चुकी है। टीम द्वारा अपनी पहली जांच रिपोर्ट वीडियोग्राफी सहित सात जनवरी तक सौंप दी जाएगी। जबकि हाई कोर्ट के निर्देशानुसार पहली रिपोर्ट 14 जनवरी तक सौंपी जानी है।
हम आपको बता दें कि सतलोक आश्रम के रामपाल महाराज मामले के बाद हाईकोर्ट ने सरकार को प्रदेश में स्थित सभी डेरों की जांच के आदेश दिए थे। आदेश में कहा गया था कि सभी डेरों में संचालित होने वाली गतिविधियां और उनमें उपलब्ध असले इत्यादि की मुक्कल जांच रिपोर्ट तैयार की जाए। हाईकोर्ट के आदेशों को अमली जामा पहनाते हुए उपायुक्त निखिल गजराज ने एसडीएम परमजीत चहल के नेतृत्व में जांच टीम गठित की। इस तीन सदस्यीय टीम में एसडीएम के अलावा सीटी मैजिस्ट्रेट व डीएसपी मुख्यालय को शामिल किया गया।
आज जांच टीम दल-बल के साथ डेरा सच्चा सौदा पहुंची। टीम ने डेरा के मुख्य सेवादारों से पूछताछ की और डेरा सच्चा सौदा में संचालित की जा रही गतिविधियों का ब्योरा जुटाया। विशेष रूप से जांच टीम की ओर से डेरा की गतिविधियों की वीडियोग्राफी भी करवाई जा रही है।
जांच टीम का नेतृत्व कर रहे एसडीएम परमजीत चहल ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेशानुसार जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम आज एक बार फिर डेरा सच्चा सौदा पहुंची है। उन्होंने बताया कि पहले भी जांच की जा चुकी है और पूरा डेरा परिसर की वीडियोग्राफी करवाई जा रही है। वीडियोग्राफी सहित प्रथम जांच रिपोर्ट सात जनवरी तक पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय को सौंप दी जाएगी। उन्होंने बताया की डेरे की जांच  के निर्देश हाईकोर्ट ने दिए हैं उसके मुताबिक ही  जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि यह एक लगातार चलने वाली जांच है और समय-समय पर आगे भी जांच जारी रहेगी। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट द्वारा प्रथम जांच रिपोर्ट 14 जनवरी तक सौंपे जाने के निर्देश दिए गए है।

जांच से घबराहट क्यों?

खैर, यह तो थे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह के कच्चे चि_े, जो खुल तो चुके लेकिन उन पर अदालत की मुहर लगनी बाकी है। लेकिन एक सवाल जो सबके दिमाग में जरूर आता है कि यदि डेरा पाक-साफ है तो जांच का विरोध क्यों किया जाता है? डेरा अपने श्रद्धालुओं के बीच तरह-तरह के बेतुके तर्क पेश कर हर जांच का विरोध करता है। जैसा कि रामपाल ने किया था, वैसे ही श्रद्धालुओं को ढाल बनाकर हर बार डेरा प्रमुख के गिरेबां तक जांच एजेंसियों के हाथ पहुंचने से रोके जाते हैं। कई बार तो डेरा की प्रतिक्रिया इतनी हिंसक रही है कि कोई समाज व देश विरोधी संगठन भी उस तरह की योजनाबद्ध तरीके से अराजकता फैलाने का प्रयास नहीं कर पाता। खास बात यह है कि अदालतों के निर्णय पर भी हर बार डेरा की जांच हुई है। ऐसे में डेरा हर बार जांच के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देता रहा है और नपुंसक मामले में भी सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही है। ऊपरी अदालत में जाना उनका अधिकार है, वे जाएं, लेकिन यदि डेरा प्रमुख या डेरा सच्चा सौदा किसी अनैतिक कार्य में लीन नहीं है तो जांच का स्वागत क्यों नहीं किया जाता? जांच एजेंसियां अपना काम करें, डेरा अपने समाजसेवा के कार्य करे। यदि डेरा पाक-साफ है तो डर क्यों? यहां पेश हैं समय-समय पर डेरा द्वारा विभिन्न प्रकार की जांच के विरोध का विवरण : 
-दिसम्बर 2003 में जब उच्च न्यायालय ने पत्रकार छत्रपति हत्याकांड की जांच सीबीआई को सौंपी तो डेरा सच्चा सौदा ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। आखिर नवंबर 2004 में डेरा की याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी सीबीआई जांच को हरी झंडी दे दी।
-इसके बाद सीबीआई द्वारा डेरा प्रमुख को जांच के घेरे में लिए जाने पर सीबीआई अधिकारियों के विरोध में डेरा सच्चा सौदा के हजारों श्रद्धालु चंडीगढ़ पहुंचे और सड़कों पर जमकर प्रदर्शन किया। 
-जब डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह पर गुरु गोबिंद सिंह की नकल करने के मामले में बठिंडा अदालत ने 18 जून 2007 को गैर जमानती वारंट जारी किए तो डेरा प्रेमियों ने पंजाब में हिंसक प्रदर्शन किए। कई जगह सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया।
-31 जुलाई 2007 को सीबीआई ने हत्या मामलों व साध्वी यौन शोषण मामले में जांच पूरी कर चालान न्यायालय में दाखिल कर दिया। सीबीआई ने तीनों मामलों में डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह को मुख्य आरोपी बनाया। न्यायालय ने डेरा प्रमुख को 31 अगस्त 2007 तक अदालत में पेश होने के आदेश जारी कर दिया। डेरा ने सीबीआई के विशेष जज को भी धमकी भरा पत्र भेजा जिसके चलते जज को भी सुरक्षा मांगनी पड़ी। मामला अभी तक न्यायालय में विचाराधीन है।
-इसके बाद वर्ष 2010 में डेरा के ही साधु फकीर चंद की गुमशुदगी को लेकर उच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच के आदेश दिए। बौखलाए डेरा प्रेमियों ने हरियाणा, पंजाब व राजस्थान में एक साथ सरकारी सम्पति को नुकसान पहुंचाया और बसों में आगजनी की गई।

जांच टीम की हो रही जांच

सिरसा। हाल ही में हिसार स्थित बरवाला में रामपाल के आश्रम में हुए घटनाक्रम में जब ऐसे डेरों की जांच की मांग उठी तो डेरा सच्चा सौदा का नाम सबसे पहले लाया गया। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने इस मामले में एमिक्स क्यूरी अनुपम गुप्ता द्वारा पेश की गई सेना इंटेलिजेंस की रिपोर्ट को गंभीर मानते हुए स्वत: संज्ञान लिया और प्रदेश के चुनिंदा डेरों की जांच के आदेश दिए। उल्लेखनीय है कि सेना इंटेलिजेंस ने सन् 2010 में एक रिपोर्ट अपने उच्चाधिकारियों को सौंपी थी जिसमें कहा गया था कि डेरा सच्चा सौदा में पूर्व सैनिकों द्वारा हथियारों की ट्रेनिंग दी जा रही है। इस रिपोर्ट पर सेना की ओर से सभी मुख्यालयों को पत्र जारी कर मौजूदा व पूर्व सैनिकों को डेरा से दूरी बनाए रखने की हिदायत दी गई थी।
अदालत ने इसे देश के लिए बड़ा खतरा मानते हुए प्रदेश सरकार को जांच के आदेश दिए। उच्च न्यायालय के आदेश के बाद जिला स्तरीय टीम जब डेरा पहुंची तो फिर से विरोध का सामना करना पड़ा। डेरा प्रबंधक अपनी मर्जी के अनुसार टीम को जांच करने देना चाहते थे। वे चाहते थे कि टीम वीडियोग्राफी न करे। यहां तक एसडीएम, डीएसपी तथा सीटीएम जैसे अधिकारियों के साथ आए गनमैन को हथियार डेरा के परिसर में भी ले जाने से मना कर दिया गया। मीडिया को तो बिना इजाजत के डेरा में प्रवेश पहले ही नहीं दिया जाता।
लेकिन सूत्रों की माने तो सबसे हास्यास्पद बात यह रही कि डेरा गई टीम खुद को असुरक्षित महसूस करती रही क्योंकि उनके हथियार तो बाहर रखवा दिए गए और डेरा के गुर्गे हथियारबंद होकर उनके चारों ओर घेरा बनाकर चलते रहे। यही नहीं, वीडियोग्राफी से मना करने वाले डेरा के प्रबंधकों ने टीम की अपने स्तर पर वीडियोग्राफी जरूर करवाई। आखिर जब तीन सदस्यीय प्रशासनिक टीम ऐसी जांच से आजिज आ गई तो उच्च न्यायालय में डेरा की यही रिपोर्ट पेश करने की चेतावनी दी गई। तब जाकर डेरा के डौल कुछ ढीले हुए और टीम को जांच करने दिया गया। आज तीसरी बार टीम डेरा पहुंची लेकिन टीम की रिपोर्ट क्या होगी, यह देखने वाली बात रहेगी।

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