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Tuesday, 23 December 2014

डेरा पर चला कोर्ट का डंडा

हाईकोर्ट ने नपुंसक मामले की जांच सीबीआई को सौंपी

सिरसा। डेरा सच्चा सौदा में साधुओं को नपुंसक बनाने के मामले की भी जांच अब सीबीआई के हवाले कर दी गई है। आज पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपते हुए दो माह में रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं। इससे पूर्व प्रदेश सरकार की जांच एजेंसी को हाईकोर्ट ने जांच के आदेश दिए थे लेकिन सरकार द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट से उच्च न्यायालय नाखुश नजर आया। विगत 17 दिसम्बर को अदालत ने सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रखा था। आज अदालत ने यह अहम फैसला सुनाते हुए याचिकाकर्ता को बड़ी राहत दी है, वहीं डेरा सच्चा सौदा और डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह की मुश्किलें इससे बढ़ गई हैं। एक ओर उच्च न्यायालय के आदेश पर जहां सभी डेरों की जांच करने की कड़ी में आज प्रशासनिक टीम ने डेरा सच्चा सौदा में दबिश दी तो वहीं सुबह सवेरे आए इस फैसले से डेरा में हड़कंप-सा माहौल रहा।
यह है मामला
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख  गुरमीत सिंह द्वारा अपने परिवार व साध्वियों की सुरक्षा के लिए अच्छे-भले लोगों के अंडकोष निकलवाकर नपुंसक बना दिया गया। इस बात का खुलासा डेरा के ही एक पूर्व साधु ने किया। साधु हंसराज चौहान का दावा है कि उसे भी डेरा के ही अस्पताल में ऑप्रेशन करके नपुंसक बना दिया गया जिससे उसके हार्मोन में परिवर्तन आने लगा और उसमें शारीरिक बदलाव आ गया। हंसराज चौहान का कहना है डेरा प्रमुख द्वारा उन जैसे करीब 400 युवाओं को 'भगवान के दर्शनÓ के नाम पर नपुंसक बनाया गया है।  उन्होंने 166 लोगों की नाम सहित सूची भी सार्वजनिक की है। चौहान ने इस मामले की जांच के लिए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में जुलाई 2012 में याचिका दायर की। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट के आदेश पर शिकायतकर्ता हंसराज का चिकित्सीय परीक्षण भी हो चुका है जिसमें उसके अंडकोष ऑप्रेशन द्वारा निकाले जाने की पुष्टि हुई थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के जस्टिस के. कानन ने प्रदेश सरकार को जांच के आदेश दिए थे। सरकार को जांच के लिए एक माह का समय दिया गया था। सरकार ने जांच के संबंध में जानकारी देते हुए न्यायाधीश को बताया कि याचिकाकर्ता के अनुसार करीब 400 युवाओं को नपुंसक बनाया गया है। जांच एजेंसी इन सभी लोगों को बुलाकर पूछताछ कर रही है। एजेंसी ने कहा कि वह इन सभी लोगों की काउंसलिंग करना चाहती है। काउंसलिंग के तहत पता लगाया जाएगा कि नपुंसक बनाए गए लोगों ने अपनी मर्जी से यह कदम उठाया है या किसी के दबाव में। नपुंसक बनने के कारणों के बारे में इन लोगों से पूछताछ की जाएगी। इसके लिए जांच एजेंसी को काफी समय की जरूरत है। सरकार की ओर से अदालत में पेश हुए अधिवक्ता ने और समय की मांग की। जांच अधिकारियों की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता ने कहा कि उन्होंने कुछ नपुंसक बनाए गए लोगों से पूछताछ की है जिन्होंने अपनी मर्जी से नपुंसक बनने की बात स्वीकार की है। सरकार के जवाब से असंतुष्ट न्यायाधीश ने कड़ी फटकार लगाते हुए तल्ख टिप्पणियां कीं। इस दौरान याचिकाकर्ता हंसराज चौहान ने सीबीआई जांच की मांग की थी। 
दो माह में जांच पूरी करने के आदेश
अदालत करेगी निगरानी
17 दिसम्बर को हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस के. कानन ने सरकार के जवाब से असंतुष्ट होने के कारण फैसला सुरक्षित रख लिया।  न्यायाधीश के तल्ख तेवर देखते हुए इस मामले में कड़े फैसले की उम्मीद की जा रही थी। आज जस्टिस के. कानन ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए मामले की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया। सीबीआई को दो माह में जांच करने के आदेश दिए गए हैं। इसी के साथ अदालत स्वयं इस मामले की निगरानी करेगी।
सीबीआई से डेरा का पुराना सरोकार
यह कोई पहला मामला नहीं है जिसमें डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह को सीबीआई जांच का सामना करना पड़ा हो। इससे पहले पत्रकार रामचंद्र छत्रपति तथा रणजीत हत्याकांड और साध्वियों के साथ यौन शोषण  के मामले में सीबीआई जांच हो चुकी है। यह तीनों मामले अब सीबीआई अदालत में विचाराधीन हैं और अपने निर्णायक मोड़ पर हैं। यही नहीं, डेरा के ही एक पूर्व मैनेजर फकीरचंद की गुमशुदगी के मामले की जांच भी सीबीआई कर चुकी है। डेरा के ही एक पूर्व साधु राम कुमार ने फकीरचंद के गुमशुदा होने के कारण उच्च न्यायालय के समक्ष मामले की जांच की मांग उठाई थी। राम कुमार का आरोप था कि फकीरचंद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख के सभी राज़ जानता था। इसी के चलते डेरा प्रमुख द्वारा उसकी हत्या करवा दी गई। वह डेरा के मौजूदा गद्दीनशीन गुरमीत सिंह के गद्दी संभालने के कुछ समय बाद ही लापता हो गया था।

अदालत का निर्णय स्वागत योग्य : अंशुल छत्रपति

सिरसा। डेरा सच्चा सौदा में नपुंसकों की फौज तैयार करने के मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने के अदालत के फैसले का पत्रकार रामचंद्र छत्रपति के पुत्र अंशुल छत्रपति ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि अदालत का निर्णय सराहनीय है। यह निर्णय इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में प्रदेश में डेरा और भाजपा की मिलीभगत स्पष्ट हो चुकी है। ऐसे में प्रदेश सरकार की कोई भी एजेंसी इस मामले की जांच निष्पक्ष रूप से नहीं कर पाती। उन्होंने कहा कि सीबीआई जांच का भी अदालत की निगरानी के तहत होना निष्पक्ष जांच के प्रति अधिक आश्वस्त करता है। उन्होंने कहा कि  हाल ही में देश-प्रदेश में धार्मिकता की आड़ में गौरखधंधा करने वाले लोग बेनकाब हुए हैं। डेरा सच्चा सौदा तो अपने नाजायज क्रियाकलापों के कारण अधिक चर्चा में रहा है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दल तो ऐसे डेरों को केवल वोट बैंक के चलते शह देते हैं। अवैध धंधों में लिप्त होकर लोगों का आर्थिक व मानसिक शोषण करने वालों के खिलाफ अदालतों को ही निर्णय लेने होंगे। उन्होंने कहा कि सदैव समाज भलाई का ढिंढोरा पीटने वाले डेरा सच्चा सौदा प्रमुख को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। यूं ही किसी पर उंगली नहीं उठाई जाती। विभिन्न मामलों में उच्च न्यायालय के आदेश पर सीबीआई जांच डेरा में हो रहे नाजायज कार्यों की ओर इशारा करती है। उन्होंने कहा कि कुछ समाज भलाई के काम करने से अवैध धंधों का लाइसेंस नहीं मिल जाता।

प्रशासनिक टीम का डेरे में डेरा

सिरसा। एक ओर पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने साधुओं को नपुंसक बनाने के मामले की जांच सीबीआई से करवाने के आदेश दिए हैं, वहीं हाईकोर्ट के आदेश पर ही जिला प्रशासन द्वारा गठित जांच टीम आज डेरा सच्चा सौदा पहुंची। सतलोक आश्रम के रामपाल मामले के बाद हाईकोर्ट ने सरकार ने हरियाणा में स्थित सभी डेरों की जांच के आदेश दिए थे। आदेश में कहा गया था कि सभी डेरों में संचालित होने वाली गतिविधियों और उनमें उपलब्ध असले इत्यादि की मुकम्मल जांच रिपोर्ट तैयार की जाए। हाईकोर्ट के आदेशों को अमली जामा पहनाते हुए उपायुक्त निखिल गजराज ने एसडीएम परमजीत चहल के नेतृत्व में जांच टीम गठित की। इस तीन सदस्यीय टीम में एसडीएम के अलावा सिटी मैजिस्ट्रेट व डीएसपी मुख्यालय को शामिल किया गया।
जांच टीम दल-बल के साथ डेरा सच्चा सौदा पहुंची। टीम ने डेरा के मुख्य सेवादारों से पूछताछ की और डेरा सच्चा सौदा में संचालित की जा रही गतिविधियों का ब्यौरा जुटाया। विशेष रूप से जांच टीम की ओर से डेरा की गतिविधियों की वीडियोग्राफी भी करवाई जा रही है।
जांच टीम का नेतृत्व कर रहे एसडीएम परमजीत चहल ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेशानुसार जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम डेरा सच्चा सौदा पहुंची है। जैसे निर्देश हाईकोर्ट ने दिए हैं उसके मुताबिक जांच की जाएगी और इस दौरान वीडियोग्राफी भी करवाई जाएगी।
जांच टीम में शामिल डीएसपी मुख्यालय जगदीश काजला ने बताया कि जांच के लिए आज टीम पहुंची है। जांच के बाद ही इस बारे में कुछ कहा जा सकेगा। फिलहाल तथ्य जुटाए जा रहे हैं।

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