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Sunday, 7 December 2014

डेरोंं, मठों में पारदर्शिता के पक्ष में देशभर में जागरूकता यात्रा

चंडीगढ़ राजकीय कालेज का प्रो. निकला है साइकिल यात्रा पर

कर्नाटक का रहने वाला है प्रो. पंडित राव

डेरे, मठ या आश्रम की गतिविधियों बारे आम आदमी को जानने का हक

निजी सम्पत्ति के रूप में इस्तेमाल हो रहे डेरे

सिरसा। डेरों, मठों व आश्रमों में पारदर्शिता का समर्थन करते हुए लोगों को इस बारे में जागरुक करने के उद्देश्य से चंडीगढ़ राजकीय कॉलेज के प्रोफेसर साईकिल यात्रा पर निकले हैं। कर्नाटक के रहने वाले प्रो. पंडित राव का कहना है कि उनका संदेश डेरों, मठों व आश्रमों की पुरातन परंपराओं को बरकरार रखने का है लेकिन अब डेरावाद स्वार्थ की ओर बढ़ रहा है जो कि समाज व देश के लिए सही नहीं है।
साईकिल यात्रा पर निकले पंडित राव रविवार को सिरसा पहुंचे। यहां टाउन पार्क में पत्रकारों से रूबरू होते हुए उन्होंने कहा कि कि इस दौर में धार्मिक स्थलों का निजी रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है। आम आदमी के साथ-साथ पत्रकारों को भी बिना जांच के व अनुमति के डेरों, मठों व आश्रमों में जाने की इजाजत नहीं है जोकि कानून, समाज व धर्म विरोधी है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब संसद की कार्रवाई को आम आदमी देख सकता है तो डेरों, मठों व आश्रमों में चलने वाली गतिविधयों को आम आदमी क्यों नहीं जान सकता। उन्होंने बताया कि वे हिसार के सतलोक आश्रम में जा चुके हैं और अब सिरसा पहुंचे हैं। यहां से वे नूरमहल (जालंधर) भी जाएंगे। 
उन्होंने कहा कि पुरातन ग्रंथ अटल हैं और देश-विदेश में डेरों, मठों व आश्रमों की स्थापना मूल रूप से इन्हीं ग्रंथों की शिक्षाओं को लोगों तक पहुंचाने के लिए हुई थी। लेकिन इस दौर में डेरे धार्मिक ग्रंथों के प्रचार-प्रसार को रोककर अपने निजी हित साधने में लगे हैं जो कि देश के लिए बड़ा खतरा है। 
डेरा सच्चा सौदा में हथियारों की ट्रेनिंग संबंधी हाईकोर्ट की टिप्पणी का हवाला देते हुए पंडित राव ने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय कभी भी बिना तर्क या तथ्यों के कोई टिप्पणी नहीं करता। हाईकोर्ट की टिप्पणी को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। यदि हाईकोर्ट ने डेरों में गैर कानूनी कार्य होने की बात कही है तो इस पर सख्त कदम उठाने की जरूरत है। 
उन्होंने कहा कि होईकोर्ट की टिप्पणी के बाद वे सिरसा के डेरा सच्चा सौदा में आए हैं और यह देखना चाहते हैं कि डेरा में किस तरह की शिक्षाएं दी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि डेरा के ज्यादातर श्रद्धालु पंजाब के हैं लेकिन डेरा में उन्हें पंजाबी से दूर किया जा रहा है। डेरा सच्चा सौदा में पंजाबी भाषा नहीं सिखाई जा रही। उन्होंने कहा कि इस तरह से डेरा के श्रद्धालु गुरुग्रंथ साहिब से दूर हो रहे हैं इसलिए यहां पंजाबी भाषा सिखाई जानी चाहिए। उन्होंने हाईकोर्ट के डेरों में राष्ट्रविरोधी गतिविधियां चलाए जाने वाली टिप्पणी का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि डेरों, मठों व आश्रमों की पवित्रता को बरकरार रखना जरूरी है। स्वार्थ पूर्ति की ओर बढ़ रहे डेरा कांसप्ट को रोकना होगा। 
उन्होंने कहा कि पुरातन ग्रंथ ही अटल हैं लेकिन कुछ धार्मिक गुुरु निजी स्वार्थों की पूर्ति के लिए लोगों को पौराणिक गं्रथों से दूर कर रहे हैं। इसलिए डेरों की इन गतिविधियों को रोकने की जरूरत है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भिवानी के श्रीकृष्ण परनामी डेरा में समलैंगिक विवाह करवाए जाने का जो आरोप साध्वी ने लगाया है उसकी भी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए।

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