सिरसा। पंचायत भवन में उपायुक्त डा. युद्धबीर सिंह ख्यालिया की अध्यक्षता में प्रोफैशनल एक्सीलेंस विषय पर बैठक का आयोजन किया गया जिसमें उन्होंने अध्यापकों में होने वाले उत्तम गुणों के बारे मेें भी विस्तार से जानकारी दी। इस अवसर पर जिले के राजकीय विद्यालयों के अध्यापक व प्राध्यापक ने भी अपने विचार सांझे किए।
उपायुक्त डा. युद्धबीर सिंह ख्यालिया ने अध्यापकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि एक अध्यापक ही विद्यार्थी का भविष्य बनाता है इसलिए उसे पहले अपने शरीर में उस ऊर्जा को पैदा करना है जिससे वो अपने विद्यार्थियों में ऊर्जा का संचार करे। उन्होंने कहा कि अध्यापक को चाहिए कि बच्चों को इस तरीके से पढ़ाए कि वे आनंद लेकर पढ़े, साथ ही उनसे मित्रतापूर्ण व्यवहार करें तथा उन्हें आई कांटेक्ट, अपनी बात कैसे कहे तथा किताबी ज्ञान के साथ-साथ अन्य विषयों पर भी बच्चों के साथ चर्चा करें। उन्होंने कहा कि उत्तम शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को अच्छे संस्कार भी दें। उन्होंने कहा कि अच्छे संस्कार व उत्तम शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थी समाज व राष्ट्र का नवनिर्माण करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि अध्यापक अपनी शिक्षा को एक जनून के रूप में लें। बच्चों को इतिहास या अन्य विषयों को इस तरीके से समझाएं कि वे उन्हें रोचक लगे। एक समय सारिणी के अनुरूप कार्य करें। उन्होंने कहा कि किसी भी ज्ञान को बांटना एक शिक्षा है तथा अच्छा गुण है। उन्होंने कहा कि ज्ञान बांटने से घटता नहीं बल्कि बढ़ता है। उन्होंने कहा कि अध्यापक अपनी कला व शिक्षा को व्यापार न समझकर एक मानवता के नाते बच्चों को अच्छी शिक्षा दें। उन्होंने कहा कि किस तरह पेंटर अपनी पेंटिंग में इतना खोया रहता है कि उसे बाहर क्या हो रहा कुछ नहीं पता और संगीतकार को स्टेज मिले न मिले उसने अपना गीत तो गाना है।
उपायुक्त डा. युद्धबीर सिंह ख्यालिया ने अध्यापकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि एक अध्यापक ही विद्यार्थी का भविष्य बनाता है इसलिए उसे पहले अपने शरीर में उस ऊर्जा को पैदा करना है जिससे वो अपने विद्यार्थियों में ऊर्जा का संचार करे। उन्होंने कहा कि अध्यापक को चाहिए कि बच्चों को इस तरीके से पढ़ाए कि वे आनंद लेकर पढ़े, साथ ही उनसे मित्रतापूर्ण व्यवहार करें तथा उन्हें आई कांटेक्ट, अपनी बात कैसे कहे तथा किताबी ज्ञान के साथ-साथ अन्य विषयों पर भी बच्चों के साथ चर्चा करें। उन्होंने कहा कि उत्तम शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को अच्छे संस्कार भी दें। उन्होंने कहा कि अच्छे संस्कार व उत्तम शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थी समाज व राष्ट्र का नवनिर्माण करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि अध्यापक अपनी शिक्षा को एक जनून के रूप में लें। बच्चों को इतिहास या अन्य विषयों को इस तरीके से समझाएं कि वे उन्हें रोचक लगे। एक समय सारिणी के अनुरूप कार्य करें। उन्होंने कहा कि किसी भी ज्ञान को बांटना एक शिक्षा है तथा अच्छा गुण है। उन्होंने कहा कि ज्ञान बांटने से घटता नहीं बल्कि बढ़ता है। उन्होंने कहा कि अध्यापक अपनी कला व शिक्षा को व्यापार न समझकर एक मानवता के नाते बच्चों को अच्छी शिक्षा दें। उन्होंने कहा कि किस तरह पेंटर अपनी पेंटिंग में इतना खोया रहता है कि उसे बाहर क्या हो रहा कुछ नहीं पता और संगीतकार को स्टेज मिले न मिले उसने अपना गीत तो गाना है।
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