सिरसा। वृद्धावस्था पेंशन में अधिकारियों की लापरवाही आज खुलकर उजागर हुई। वृद्ध विगत 8 महीने से पेंशन को तरस रहे हैं लेकिन उनकी सुनवाई भी नहीं हो पाई है। ग्राम सरपंच और अधिकारियों ने अनजाने में दो वृद्धों को जीते जी मार डाला। मामले का खुलासा आज तब हुआ जब पीडि़त समाज कल्याण विभाग पहुंचे और अपनी शिकायत दर्ज करवाई। प्रारंभिक जांच में आधिकारिक त्रुटि की बात सामने आई है।
मिली जानकारी के अनुसार गांव नटार निवासी लक्ष्मी बाई (65) पत्नी कालू राम व वसावा सिंह (84) पुत्र मोहन सिंह को विगत आठ माह से वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिल रही थी। पीडि़तों ने सबसे पहले ग्राम सरपंच रणजीत सिंह को इस बाबत शिकायत की। सरपंच ने निजी कंपनी द्वारा कार्य संभाले जाने के कारण पेंशन वितरण में देरी की बात कही। उन्होंने कहा कि आपकी पेंशन कुछ माह बाद आपको इक_ी दे दी जाएगी। लेकिन 8 माह बीत जाने के बाद भी जब दोनों को पेंशन नहीं मिली तो आज वे गांव के पंच बूटा राम, राकेश कुमार, ओमप्रकाश, महेंद्र सिंह व मदनलाल के साथ समाज कल्याण कार्यालय पहुंचे। यहां शिकायत की गई। विभागीय अधिकारियों ने जब रिकॉर्ड खंगाला तो उक्त दोनों मृत पाए गए। दोनों यह सुनकर भौचक्के रह गए। अधिकारियों ने बताया कि विभाग द्वारा समय-समय पर पेंशनधारकों की सूची का पुनर्निरीक्षण किया जाता है। विगत आठ माह पूर्व भी जब अधिकारी गांव नटार पहुंचे तो वहां लक्ष्मीबाई व वसावा सिंह को मृत बताकर इनके नाम सूची में से कटवा दिए गए। पीडि़त लक्ष्मीबाई का कहना है कि गांव में लक्ष्मीबाई पत्नी झंडाराम की मौत हो चुकी है। सरपंच की चूक के कारण वे पेंशन से वंचित हुए हैं। इसके अलावा वसावा सिंह का नाम तो बिना किसी कारण के ही काट दिया गया है।
पीडि़त इसके बाद उपायुक्त से मिले और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग उनसे की।
मिली जानकारी के अनुसार गांव नटार निवासी लक्ष्मी बाई (65) पत्नी कालू राम व वसावा सिंह (84) पुत्र मोहन सिंह को विगत आठ माह से वृद्धावस्था पेंशन नहीं मिल रही थी। पीडि़तों ने सबसे पहले ग्राम सरपंच रणजीत सिंह को इस बाबत शिकायत की। सरपंच ने निजी कंपनी द्वारा कार्य संभाले जाने के कारण पेंशन वितरण में देरी की बात कही। उन्होंने कहा कि आपकी पेंशन कुछ माह बाद आपको इक_ी दे दी जाएगी। लेकिन 8 माह बीत जाने के बाद भी जब दोनों को पेंशन नहीं मिली तो आज वे गांव के पंच बूटा राम, राकेश कुमार, ओमप्रकाश, महेंद्र सिंह व मदनलाल के साथ समाज कल्याण कार्यालय पहुंचे। यहां शिकायत की गई। विभागीय अधिकारियों ने जब रिकॉर्ड खंगाला तो उक्त दोनों मृत पाए गए। दोनों यह सुनकर भौचक्के रह गए। अधिकारियों ने बताया कि विभाग द्वारा समय-समय पर पेंशनधारकों की सूची का पुनर्निरीक्षण किया जाता है। विगत आठ माह पूर्व भी जब अधिकारी गांव नटार पहुंचे तो वहां लक्ष्मीबाई व वसावा सिंह को मृत बताकर इनके नाम सूची में से कटवा दिए गए। पीडि़त लक्ष्मीबाई का कहना है कि गांव में लक्ष्मीबाई पत्नी झंडाराम की मौत हो चुकी है। सरपंच की चूक के कारण वे पेंशन से वंचित हुए हैं। इसके अलावा वसावा सिंह का नाम तो बिना किसी कारण के ही काट दिया गया है।
पीडि़त इसके बाद उपायुक्त से मिले और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग उनसे की।
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