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सच और झूठ के बीच कोई तीसरी चीज नहीं होती और मैं सच के साथ हूं : छत्रपति       www.poorasach.com      

Thursday, 20 February 2014

भड़की साम्प्रदायिक हिंसा

जमकर हुई पत्थरबाजी, दुकानों में तोडफ़ोड़
दोनों पक्षों के दर्जनों लोग घायल

सिरसा। रानियां रोड स्थित संत रविदास मंदिर के पोस्टर को फाडऩे से उपजे विवाद ने आज उग्र रूप धारण कर लिया। दो समुदायों के बीच आज खूब लाठी-भाटा जंग हुई। साम्प्रदायिक हिंसा के कारण आज दिनभर तनाव का माहौल रहा। मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है तथा शहर में धारा 144 के साथ रानियां रोड पर कफ्र्यू-सी स्थिति है। पुलिस ने दोनों पक्षों के कई लोगों को हिरासत में लिया है। किसी प्रकार की कार्रवाई के बारे में पुलिस अभी मौन है।

क्या है मामला :

रानियां रोड मोहल्ले के हिसाब से भागों में बंटा है। सड़क के एक ओर रविदास समाज से सम्बंधित लोगों का दबदबा है, तो दूसरी ओर शोरगर समुदाय का। संत रविदास जयंती को लेकर मंदिर के निकट होर्डिंग लगाए गए थे। बताया जा रहा है कि गत सायं करीब आठ बजे शोरगर समुदाय से सम्बंध रखने वाले चार-पांच युवकों ने एक होर्डिंग को फाड़ दिया। इसे लेकर दोनों पक्षों में तनाव की स्थिति बन गई। हल्की झड़प भी हुई लेकिन पुलिस ने जल्द ही स्थिति को काबू में कर लिया।

सुबह चिंगारी बनी शोला

आज सुबह शहर थाना प्रभारी दलीप सिंह ने दोनों पक्षों के पांच-पांच लोगों को समझौते के लिए शहर थाना में तलब किया था। दोनों समुदायों के लोग पुलिस वाहन में बैठे, लेकिन रात की चिंगारी अभी जेहन में सुलग रही थी। किसी ने इस दौरान संत रविदास से सम्बंधित अपशब्द कहे तो वह चिंगारी भड़क कर शोला बन गई। देखते ही देखते दोनों तरफ से पथराव होने लगा और लाठियां भांजी जाने लगीं। मौके पर पर्याप्त पुलिस बल न होने के कारण दोनों पक्षों ने जमकर इसका फायदा उठाया। रविदास मंदिर पर खूब पथराव हुआ। यहां स्थिति कई दुकानों को भी उपद्रवियों ने निशाना बनाया। करीब तीन घंटे रानियां रोड जंग का मैदान बना रहा। इस बीच शहर थाना प्रभारी, सदर थाना प्रभारी, सीआईए प्रभारी ने स्थिति को संभालने के प्रयास किए लेकिन नाकामी ही हाथ लगी।

एक घंटा बाद पहुंचा पर्याप्त पुलिस बल

करीब एक घंटा बीत जाने के बाद वरिष्ठ पुसिल अधीक्षक सौरभ सिंह ने अतिरिक्त बल मौके पर भेजा। पुलिस बल स्थिति संभालने की बजाय आगामी निर्देशों की इंतजार में खड़ा रहा। करीब तीन घंटे बाद स्वयं पुलिस अधीक्षक सौरभ सिंह मौके पर पहुंचे और पुलिस को निर्देश दिए। इसके बाद स्थिति कुछ नियंत्रण में आई। पुलिस बल ने गली-गली जाकर उपद्रवियों को खदेड़ा। इसके बाद जिलाधीश डा. जे. गणेशन मौके पर पहुंचे और स्थिति का अवलोकन कर धारा 144 लगा दी। दंगाइयों से सख्ती से निपटने के निर्देश जारी किए। रानियां रोड को दोनों ओर से नाकेबंदी कर आवागमन रोक दिया गया और लेागों को घरों में रहने के आदेश दिए। इसके बाद फ्लैग मार्च निकाला गया।

अस्पताल से लिए हिरासत में

हिंसा में सैंकड़ों लोग घायल हुए लेकिन उपचार के लिए अस्पताल जाने की जहमत गंभीर घायलों ने ही उठाई। यहां पुलिस ने उनको प्राथमिक उपचार के बाद हिरासत में ले लिया। मिली जानकारी के अनुसार पुलिस ने यहां से दोनों पक्षों के 15 लोगों को हिरासत में लिया, जिनमें संत रविदास समुदाय से जुड़े  राजकुमार पुत्र प्रभु दयाल, हंसराज पुत्र नत्थू, अरुण पुत्र फकीर, अमन, विजय पुत्र फूलचंद व विजेन्द्र पुत्र महावीर तथा शोरगर समाज के 17 वर्षीय इकबाल, ताराचंद, विनोद, प्रदीप, अनिल, जयसिंह, रवि व मुरारीलाल शामिल हैं। पुलिस ने दोनों पक्षों के हिरासत में लिए गए लोगों को शहर व सदर थाना में अलग-अलग रखा है।

पुलिस की नाकामी

सिरसा। शहर में आज हुई इस साम्प्रदायिक हिंसा को यदि पुलिस-प्रशासन की नाकामी माना जाए तो गलत न होगा। कल रात मामला एक बारगी शांत हो गया। लेकिन पुलिस ने इतने संवेदनशील मुद्दे पर तनाव के बावजूद सुबह तक मौके से पूरा पुलिस बल हटा लिया। सुबह जब पुलिस का वाहन दोनों पक्षों के लोगों को लेने पहुंचा तो वहां सिर्फ 10-12 पुलिस कर्मी तैनात थे, जिन्हें इस प्रकार के हालातों से निपटने के लिए कतई पर्याप्त नहीं माना जा सकता। यह गलती तो हुई सो हुई। लेकिन पुलिस का खुफिया तंत्र भी यहां पूरी तरह नाकाम दिखाई दिया। जिस तरह सुबह पुलिस मौजूदगी में एकाएक हिंसा भड़की उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह घटना सुनियोजित तरीके से घटी थी। असामाजिक तत्व हमेशा से संवेदनशील मुद्दों पर अशांति फैलाने की ताक में रहते हैं, यह हर कोई भली-भांति जानता है। संत रविदास के संबंध में अपशब्द कहे जाते हैं और पलभर में ही करीब एक किलोमीटर का दायरा जंग का मैदान बन जाता है। क्या खुफिया तंत्र को इस बात की जरा भी भनक नहीं थी? इसके बाद पुलिस की सबसे बड़ी नाकामी रही हालात को संभालने में देरी करना। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सौरभ सिंह न जाने किस इंतजार में थे। इतना बड़ा हादसा होने के बावजूद भी वे मौके पर करीब तीन घंटे बाद पहुंचते हैं, जबकि यह सर्वविदित है कि ऐसे मामलों में तत्पर कार्रवाई की जरूरत होती है। कुल मिलाकर यदि इस हिंसा के लिए पुलिस प्रशासन के गैर जिम्मेदाराना रवैये को दोष दिया जाए तो अनुचित न होगा। 

युवक ने लगाई फांसी

सिरसा। गांव सुचान में गत रात्रि एक युवक ने चुन्नी से फंदा बनाकर फांसी लगा ली। मृतक दिहाड़ी मजदूरी करता था। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए सामान्य अस्पताल में भिजवाया।
जानकारी के अनुसार गांव सुचान निवासी अशोक कुमार (17)पुत्र गोपी राम ने गत रात्रि घर के कमरे में लगी खूंटी से चुन्नी का फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। घटना के समय मृतक के परिजन पड़ोस में रहने वाले चाचा कर्मचंद की पुत्रियों के विवाह समारोह में शामिल होने गए हुए थे। मृतक अशोक की दो चचेरी बहनों की आज बारात आनी है। गौरतलब है कि करीब डेढ़ साल पूर्व मृतक के बड़े भाई नरेश कुमार ने कोटली स्कूल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। डिंग थाना पुलिस ने मृतक के पिता कर्मचंद के बयान पर सीआरपीसी की धारा 174 के तहत कार्रवाई करते हुए बृहस्पतिवार को शव का सामान्य अस्पताल में पोस्टमार्टम करवाकर परिजनों को सौंप दिया।

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