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Thursday, 15 January 2015

लेकिन डेरा प्रमुख के नहीं आए 'अच्छे दिन'

अपने 'अच्छे दिनों' की आस में भारतीय जनता पार्टी को हरियाणा में खुला समर्थन देने के बावजूद डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह की दाल गलने की बजाय जलने लगी है। जब से केंद्र व प्रदेश में भाजपा सत्तासीन हुई है, तब से डेरा प्रमुख की मुश्किलें घटने की बजाय बढ़ती ही जा रही हैं। एक ओर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की तिरछी नजर अब डेरा पर सीधी पडऩे लगी है, वहीं भाजपानीत सरकार ने भी उसे संकट में हाथ खड़े करके दिखा दिए हैं। हिसार के बरवाला स्थित रामपाल के सतलोक आश्रम से शुरू हुआ संकट अब डेरा सच्चा सौदा के गले की फांस बनता जा रहा है। एक ओर उच्च न्यायालय ने जहां डेरा प्रमुख के खिलाफ पहले से विचाराधीन मामलों पर नजर रखनी शुरू कर दी है, वहीं डेरा में नपुंसक बनाए गए 400 साधुओं के मामले में एक नई सीबीआई जांच  की तलवार भी डेरा प्रमुख के सिर पर लटका दी गई है। उधर, आर्मी इंटेलिजेंस की रिपोर्ट पर डेरा सच्चा सौदा की वीडियोग्राफी, और हाल ही में डेरा के ही एक पूर्व साधु द्वारा डेरा के कॉलेज के छात्रावास में लड़कियों की आत्महत्या के मामले में हाईकोर्ट द्वारा सरकार को नोटिस। बौखलाया डेरा प्रमुख अपनी फिल्म में मगरूर होने के बहाने 'ऑल इज़ वेल... ऑल इज़ वेल' की रट लगाने की कोशिश में जुटा था कि सेंसर बोर्ड ने यहां भी अड़ंगा खड़ा कर दिया। सेंसर बोर्ड से तो शायद फिल्म कुछ कोशिश के बाद पास करवा भी ली जाती लेकिन रही सही कसर उसी पार्टी की सरकार द्वारा गठित कमेटी ने पूरी कर दी जिसे हरियाणा में खुला समर्थन दिया था। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली द्वारा बनाई गई 9 सदस्यीय कमेटी ने फिल्म को प्रदर्शित न करने की सिफारिश कर डाली। पूरे घटनाक्रम को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह ने जिन 'अच्छे दिनों' की आस में भाजपा को समर्थन दिया (या जबरदस्ती लिया गया), वे अच्छे दिन आ फिलहाल डेरा प्रमुख को नजदीक दिखाई नहीं दे रहे।

डेरा की छात्राओं की हुई हत्या! सरकार को नोटिस

चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में फिर एक हत्या के केस में सिरसा के डेरा सच्चा सौदा का नाम उछला है। डेरा सच्चा सौदा में हथियार प्रशिक्षण पर आर्मी इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने बुधवार को एक और गंभीर शिकायत पर हरियाणा सरकार से जवाब मांगा है। 
डेरे के पूर्व श्रद्धालु राम कुमार बिश्नोई की ओर से डेरे में एक बीएड छात्रा की मौत को कत्ल बताते हुए सीबीआई जांच की मांग को लेकर हाईकोर्ट को पत्र लिखा गया था, इसी पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर नोटिस जारी किया है।
बिश्नोई ने पत्र में आरोप लगाया कि डेरे में साध्वियों से कथित दुराचार के मामले में अदालत तक में लिखित बयान आ चुका है कि डेरे के हॉस्टल से लड़कियां गुफा में ले जाई जाती थीं। हवाला दिया कि पिछले दिनों डेरे के गल्र्स हॉस्टल में बीएड छात्रा सौम्या त्यागी की मौत हो गई थी। इसे आत्महत्या बताया जा रहा है। शिकायत में कहा गया है कि असल में यह कत्ल है और हरियाणा पुलिस डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के प्रभाव के कारण ऐसे मामलों की जांच नहीं कर रही। लिहाजा, सीबीआई जांच होनी चाहिए।
आरोप लगाया गया है कि यह कत्ल कथित तौर पर डेरा प्रमुख और सहयोगियों की ओर से किया गया। यह तथ्य भी पेश किया गया कि जिस हॉस्टल में सौम्या त्यागी की मौत हुई, वह हॉस्टल गुफा के उसी दरवाजे के पास है। कहा गया कि इस तरह का आरोप साध्वियों ने दुराचार मामले के ट्रायल के दौरान अपने बयान में दर्ज कराया था। हाईकोर्ट में इस पत्र की सुनवाई डेरे में हथियार प्रशिक्षण के मामले की सुनवाई के साथ हुई। जस्टिस एसके मित्तल की डिवीजन बेंच ने हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर मामले में जवाब मांग लिया है। सुनवाई 10 फरवरी को होगी। 
हथियार प्रशिक्षण के मामले में हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था और हरियाणा समेत पंजाब व यूटी से जवाब मांगा था। पूछा गया था कि कितने ऐसे डेरे हैं, जहां ऐसी गतिविधियां चल रही हैं। 
दोनों राज्यों की सरकारों ने इस मामले में जवाब देने के लिए और समय मांगा है। उल्लेखनीय है कि सतलोक आश्रम प्रमुख रामपाल केस में एमिकस क्यूरी एडवोकेट अनुपम गुप्ता ने हाईकोर्ट को अवगत कराया था कि डेरा सिरसा में हथियार प्रशिक्षण दिया जाता है। इस संबंध में 23 दिसंबर 2010 को आर्मी हेडक्र्वाटर से जारी एडवायजरी का हवाला दिया गया था।

सीबीआई ने फिर की याचिकाकर्ता से पूछताछ

नई दिल्ली। 400 साधुओं को नपुंसक बनाए जाने के मामले में जांच कर रही सीबीआई ने गत दिवस एक बार फिर मामले के याचिकाकर्ता हंसराज चौहान को बुलाकर पूछताछ की है। इससे पूर्व सीबीआई ने विगत 9 जनवरी को हंसराज चौहान से लंबे समय तक पूछताछ की थी। बताया जा रहा है कि सीबीआई द्वारा इस दौरान उसके बयान भी दर्ज किए गए हैं।
सूत्र के मुताबिक चौहान के बाद सीबीआई मामले के छह अन्य पीडि़तों को नोटिस भेजकर बयान देने के लिए बुला सकती है। इस मामले में उन डाक्टरों को भी समन किया जा सकता है, जिनके नाम अब तक की जांच में सामने आए हैं। 
सूत्रों की माने तो सीबीआई इस मामले में फिलहाल डेरा प्रमुख को समन करने की जल्दबाजी में नहीं है। भविष्य में यदि जरूरत पड़ी तो डेरा प्रमुख से भी पूछताछ हो सकती है। मामले में सीबीआई दिल्ली की स्पेशल क्राइम ब्रांच ने सात जनवरी को केस दर्ज किया था। यह केस सीबीआई ने हरियाणा पुलिस की अब तक की जांच के कागजात प्राप्त करने के बाद किया था। 
इस मामले में सीबीआई ने चौहान द्वारा हाईकोर्ट में दायर याचिका को ही शिकायत मानते हुए कार्रवाई की है। चौहान ने आरोप लगाया था कि उसके साथ करीब 400 साधुओं को डेरा प्रमुख के आदेशों पर नपुंसक बनाया गया है। हाईकोर्ट की बेंच के सामने चौहान ने यह दावा किया था कि नपुंसक बनाने की यह प्रक्रिया डेरे में मौजूद चिकित्सकों के माध्यम से की गई थी।

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