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Wednesday, 18 March 2015

अब गायों के लिए आधार

हरियाणा सरकार शुरू करेगी योजना

चंडीगढ़। गोमांस और गौ हत्या पर बैन लगाने के बाद हरियाणा की खट्टर सरकार अब राज्य में गायों को 'आधार' नंबर जारी करने की तैयारी में है। यूआईडीएआई की तर्ज पर अब प्रदेश में गाय की देसी नस्ल को 'विशेष पहचान टैग' लगाया जाएगा। बताया जाता है कि इस टैग में आधार नंबर की तर्ज पर ही यूनिक नंबर होंगे जो हर गाय के लिए उनकी पहचान का काम करेंगे। इस टैग के जरिए सरकार गायों को मेडिकल स्कीम जैसी सुविधाओं से जोडऩा चाहती है। अंग्रेजी अखबार 'द इंडियन एक्सप्रेस' की खबर के मुताबिक, हर टैग में 12 अंकों का एक यूनिक नंबर होगा और इस आईडी कार्ड को गाय के गले में टांगा जाएगा। गाय के मालिक को इसके साथ एक बुकलेट भी दिया जाएगा, जिसमें उन्हें गाय के बारे में हर दिन आंकड़े भरने होंगे। हरियाणा पशुपालन विभाग के प्रधान सचिव महावीर सिंह बताते हैं, 'इस योजना का मकसद गायों को उनकी पहचान देना है. उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य पर नजर रखना और सुविधा मुहैया करवाना है। इन विशेष टैग में गाय की तस्वीर, नस्ल, रंग और शारीरिक बनावट के साथ ही उम्र की जानकारी होगी। इसे नेशनल डेयरी प्रोग्राम के तहत जारी किया जाएगा।

रिश्वतखोर अधिवक्ता न्यायिक हिरासत में

सिरसा। अदालत से बरी करवाने की एवज में आरोपियों से रिश्वत मांगने के आरोपी सरकारी वकील को आज सुबह सीजेएम कोर्ट में पेश किया। विजिलेंस विभाग ने गत दिवस सीजेएम कोर्ट में तैनात सरकारी वकील महेंद्र अग्रवाल को घूस लेते हुए रंगे हाथों दबोचा था। कोर्ट ने आरोपी वकील को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
जानकारी के अनुसार पुरानी हाउसिंग बोर्ड कालोनी निवासी रमन मोंगा, विक्रम व एक युवती को शहर थाना पुलिस ने अप्रैल 2011 में प्रेमनगर से आपत्तिजनक हालत में पकड़ा था। यह केस एसीजेएम पवन कुमार की अदालत में चल रहा है। सीजेएम कोर्ट में तैनात सरकारी वकील महेंद्र अग्रवाल ने रमन मोंगा और अन्य आरोपियों को अदालत से बरी करवाने की एवज में सात-सात हजार रुपए मांगे। रमन मोंगा ने इसकी शिकायत विजिलेंस ब्यूरो से की। विजिलेंस विभाग ने ड्यूटी मैजिस्ट्रेट एसडीएम परमजीत चहल के नेतृत्व में कल दोपहर वकील महेंद्र अग्रवाल को रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ लिया। आरोपी के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत केस दर्ज करके आज सुबह जिला एवं सत्र न्यायालय में पेश किया। अदालत ने आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।

3500 भट्ठे होंगे बंद, एक लाख का छिनेगा रोजगार
भट्टा मालिकों ने सौंपा डीसी को ज्ञापन

सिरसा। हरियाणा सरकार ने नई ईंटें बनाने पर रोक लगा दी है। नेशनल ग्रीन टिब्यूनल के एक आदेश में सरकार ने भी सभी उपायुक्तों को इस सिलसिले में आदेश जारी कर दिए हैं। साथ ही जिला स्तर पर विशेष टास्क फोर्स उपायुक्त की अध्यक्षता में बनाई गई है ताकि ईंट भट्ठों पर निगरानी रखी जा सके। इस फैसले से ईंट भट्ठा मालिक भी परेशानी में आ गए हैं। प्रदेश में करीब 3500 ईंट भट्ठे सरकार के इस फैसले से बंद हो जाएंगे और करीब एक लाख लोगों की रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो जाएगा। 
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने गत नौ मार्च को हरियाणा सरकार की ओर से वर्ष 2013 में मिट्टी की माइनिंग को लेकर किए गए एक संशोधन को रद्द कर दिया और सरकार को आदेश दिए कि ईंट-भट्ठा का कार्य भी माइनर माइनिंग से जुड़ा है। क्योंकि सभी ईंट-भट्ठों पर मिट्टी की माइनिंग की जाती है। ऐसे में भट्ठा मालिकों को भी पर्यावरण प्रदूषण संबंधी प्रमाण पत्र लेना जरूरी है। सरकार ने इस आदेश के बाद आनन-फानन में सभी ईंट-भट्ठों पर ईंटों के निर्माण पर रोक लगाने के आदेश जारी कर दिए। राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव और खनन विभाग के निदेशक की ओर से इस सिलसिले में आदेश जारी कर ईंट-भट्ठों को भी पर्यावरण प्रदूषण का प्रमाण पत्र लेने और तब तक ईंट निर्माण पर रोक लगाने के आदेश जारी किए गए।
उपायुक्त को सौंपा ज्ञापन: सरकार के इस फैसले से नाखुश ईंट-भट्ठा एसोसिएशनों ने संयुक्त रूप से आंदोलन चलाने का निर्णय लिया है। ईंट-भट्ठा एसोसिएशन की ओर से बुधवार को उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा।  जिसमें गत 9 मार्च को जारी किए गए आदेशों को रद्द करने और पर्यावरण प्रदूषण से संबंधित प्रमाण पत्र देने के नियमों में सरलीकरण करने की मांग की गई।
एक लाख लोग होंगे प्रभावित: ईंट भट्ठा एसोसिएशन के प्रधान भीम झूंथरा ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि पूरे प्रदेश में करीब 3500 ईंट-भट्ठे हैं जिनसे करीब एक लाख लोगों का रोजगार जुड़ा है। सरकार के फैसले से उनकी आजीविका पर संकट आ गया है। साथ ही ईंट-भट्ठों पर कार्य करने वाले मजदूरों के भविष्य पर भी प्रश्र-चिह्न लग गया है। उनका कहना है कि सरकार इस बारे में तत्काल निर्णय लेते हुए पूर्व में दिए गए आदेश पर रोक लगाए। भीम झूंथरा ने जोड़ा ने ईंट-भट्ठा एसोसिएशन ने नेशनल ग्र्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की है जो कि उच्चतम न्यायालय ने स्वीकार कर ली हे। 
उधर भट्ठा मजदूरों का कहना है कि हजारों की संख्या में मजदूर भट्ठों पर काम करते हैं। यदि भट्ठों पर ईंटें नहीं बनेंगी तो वे बेरोजगार हो जाएंगे और उनका पूरे परिवार का लालन-पालन मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में सरकार को चाहिए कि ईंटों के निर्माण पर रोक न लगाए।

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