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Thursday, 14 August 2014

फूंक-फूंक कर कदम रख रही कांग्रेस

उम्मीदवारों की घोषणा में सबसे मुश्किल राह कांग्रेस की।प्रदेशाध्यक्ष तंवर व मुख्यमंत्री हुड्डा के लिए चुनौती।

सिरसा। प्रदेश के विधानसभा चुनावों में उम्मीदवारों का चयन करते समय सबसे अधिक मुश्किलों का सामना कांग्रेस को करना पड़ सकता है। अभी तक पार्टी ने प्रदेश की किसी सीट के लिए उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है। हालांकि चुनाव लडऩे के इच्छुक लोगों के आवेदन लिए जा चुके हैं। कुल 1212 लोगों के प्रदेश भर से आवेदन मिलने की सूचना पार्टी अध्यक्ष अशोक तंवर द्वारा दी गई है। अब इन 1212 लोगों में से सिर्फ 90 लोगों का चुनाव पार्टी को करना है। इसलिए कांग्रेस अब हर एक कदम फूंक-फूंक कर रख रही है।
दो बार के प्लान में लगातार सत्तासीन रही कांग्रेस पार्टी  की राह इस बार आसान नहीं है। पार्टी में अंतर्विरोध बहुत अधिक है और इसके चलते कई बड़े नेता कांग्रेस को अलविदा भी कह चुके हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री हुड्डा के नेतृत्व पर प्रश्न चिन्ह लगा है और  नियुक्ति के साथ ही हार का स्वाद चख चुके कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष के लिए भी यह चुनौती भरा समय है। उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनावों से कुछ समय पूर्व ही कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष बदले गए और सिरसा के तत्कालीन सांसद डा. अशोक तंवर को काफी अटकलों के बाद कांग्रेस की कमान सौंपी गई। लोकसभा के चुनाव मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा और प्रदेशाध्यक्ष  अशोक तंवर के नेतृत्व में लड़े गए लेकिन मोदी लहर में कांग्रेस इस प्रकार उड़ी कि रोहतक को छोड़कर बाकी 9 सीटों पर जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा।
अब प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर के लिए विधानसभा चुनाव अपनी नेतृत्व क्षमता दिखाने का सबसे बड़ा मौका हैं। चूंकि लोकसभा चुनाव से कुछ ही दिनों पहले उनकी कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर नियुक्ति हुई और वे सिरसा से स्वयं चुनाव भी लड़ रहे थे, इसलिए उनका कहना यही रहा कि लोकसभा चुनावों के दौरान उन्हें पूरा वक्त नहीं मिल पाया।  लेकिन प्रदेशाध्यक्ष से बड़ी चुनौती मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के लिए भी है। हाल ही में कांग्रेस को अलविदा कहकर गए दिग्गज नेता बीरेन्द्र सिंह ने सरेआम मुख्यमंत्री पर लोकसभा चुनावों में रोहतक जिताने को लेकर 'डील' किए जाने का आरोप जड़ा था। उनका कहना था कि मुख्यमंत्री हुड्डा ने सिर्फ रोहतक की सीट बचाने का प्रयास किया। इसके लिए उन्होंने प्रदेश की बाकी 9 सीटों का सौदा कर दिया। बीरेन्द्र सिंह ही नहीं, प्रदेश कांग्रेस के कई बड़े नेता, विधायक व पूर्व सांसद भी ऐसे ही आरोप  लोकसभा चुनाव में हार के बाद मुख्यमंत्री पर लगा रहे हैं। कांग्रेस हाईकमान पर हालांकि कई बार मुख्यमंत्री को हटाने के लिए दबाव भी बनाया गया लेकिन हुड्डा टस से मस नहीं हुए। अब उनके लिए विधानसभा चुनाव अग्नि परीक्षा से कम नहीं हैं।
इसलिए कांग्रेस अब बहुत ही सोच-विचार कर उम्मीदवारों की घोषणा करना चाहती है। इसके लिए मुख्यमंत्री हुड्डा, प्रदेशाध्यक्ष तंवर व कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी शकील अहमद के बीच बैठकों के दौर जारी हैं। उम्मीद जताई जा रही है कि आचार संहिंता लगने के बाद कांग्रेस किसी भी दिन अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर सकती है। 

नवीन जिंदल होंगे सिरसा से उम्मीदवार!

सिरसा। कांग्रेस द्वारा अभी तक प्रदेश में किसी सीट पर उम्मीदवार की घोषणा नहीं की गई है। लेकिन कांग्रेस नेतृत्व की सोच इस बार काफी अलग प्रयोग करने की दिखाई दे रही है। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के उम्मीदवारों की सूची घोषित होने पर बड़े झटके लग सकते हैं। ऐसा ही झटका सिरसा के कांग्रेसियों के लिए भी तैयार है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कांग्रेस सिरसा में इस बार किसी भी क्षेत्रीय उम्मीदवार को उतारने के मूड में नहीं है। यहां से किसी बाहरी नेता का नाम सामने आ रहा है। और यह नाम है कांग्रेस के पूर्व सांसद नवीन जिंदल। सूत्रों की मानें तो जिंदल को सिरसा से उम्मीदवार बनाया जा सकता है। इसके पीछे 'एक तीर, कई निशाने' का उद्देश्य है। उल्लेखनीय है कि नवीन जिंदल इससे पूर्व कुरुक्षेत्र से सांसद रहे हैं। जिंदल इस बार लोकसभा चुनावों में भी कुरुक्षेत्र से उम्मीदवार थे लेकिन उन्हें करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। 
अब पार्टी उन्हें विधानसभा चुनावों में सिरसा से उम्मीदवार के रूप में उतारने पर विचार कर रही है। जिंदल को सिरसा से उम्मीदवार बनाने के पीछे  सबसे बड़ा उद्देश्य हलोपा अध्यक्ष कांडा व इनेलो उम्मीदवार सिंगला को घेरना है। एक बड़ा कारण यह भी है कि पार्टी चाहती है कि चुनावों में 'खूब पैसा' लगाने वाला उम्मीदवार सिरसा में हो ताकि कांडा व सिंगला को टक्कर दी जा सके। ऐसे में जिंदल उन्हें उपयुक्त दिखाई दे रहे हैं। इसी के साथ कांग्रेस की आपसी खींचतान को भी खत्म करने की कोशिश इस सोच में समायोजित है। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष डा. अशोक तंवर खुद पर आजमाए गए दांव को अब विधानसभा में आजमाने के प्रयास में दिख रहे हैं। जब पिछले लोकसभा चुनावों में अशोक तंवर को मैदान में उतारा गया था तो इससे कांग्रेस की क्षेत्रीय खींचतान और विरोध पर लगाम लगी थी। आखिरकार सभी नेताओं को एक होकर तंवर के साथ आना पड़ा और वे विजयी होकर निकले। अब विधानसभा में भी यही खेल खेलने की कोशिश पार्टी कर रही है। या तो कांडा और सिंगला को 'धनबल' की टक्कर दो या फिर बाहरी को स्वीकार करो की नीति पर कांग्रेस मंथन कर रही है।

चुनाव नजदीक आते ही गांव शहरों में जब भी दो-लोग इक_ा होते हैं तो चुनावी चर्चा शुरू हो ही जाती है। जब गांव की चौपाल पर विभिन्न दलों से संबंधित लोग अपने-अपने विचार रखते हैं तो बहस भी काफी रोचक होती है। ऐसे ही कुछ आम लोगों के विचारों को पाठकों के सामने आम बोलचाल की भाषा में ही रखने का प्रयास है 'चौपाल की चुनावी चटर-पटर'। इस धारावाहिक की दूसरी कड़ी....
इनेलो इबकै सवाया सै
गांव की चौपाल पर आज शाम इनेलो भक्त ताऊ मूला राम की कांग्रेस समर्थक दूधिए कालू के साथ बहस छिड़ गई...
ताऊ मूला- लोग कहण लाग रे के कांडा पीसा फेंकण लाग रहा है। अर तो इनेलो कुण सी कम सै। इबकै तो इनेलो आलां नै बी धूड़ पाड़ राखी सै। सवाया ई चालण लाग रहा है इबके वा।
कालू- ताऊ आप देखना, अब की बारी बिल्लियों की लड़ाई में तीसरा ही मौका मार जाएगा, कांग्रेस जीतेगी।
मूला- अरै कांग्रस आलां की तो आपकी लड़ाई कोणी खतम होणी इलैक्शन ताईं। वा के दूसरां की लड़ाई का फायदा उठावैंगे। देख लिए टिकट मिलतै ए भागा दौड़ी अर टांग खिंचाई शुरू हो ज्यागी।
कालू- वो टाइम गया ताऊ अब। तंवर साहब बड़ा सोच समझ के चल रहे हैं। ऐसी चाल चलेंगे, सब सैट हो जाएंगे।
मूला- हां! दिखण लाग रे तेरे तंवर साब के डोल भी। आज पूरा सच नै खबर दे राखी है के इबकै बाहर तैं जिंदल नै लड़ावैंगे! जिंदल तो भाई बाद मैं लड़ैगा.. पहलां ओड़े के कांग्रेसी लड़-लड़ मर ज्यांगा! (जोर का ठहाका लगाता है)
कालू- ताऊ, पहली बात तो ऐसा होगा नहीं। अगर होता भी है तो यही तो तंवर भाई साहब की दूर की सोच है। लोकल बंदा खड़ा करेंगे तो टांग खिंचाई तो होगी.. ये तो मानना पड़ेगा। लेकिन अगर बाहर से बड़ा नेता आया तो सब एक हो जाएंगे। तंवर भाई साहब भी तो बाहर से आए थे। तब भी तो यही रोला था। सब सैट हो गया ना?
मूला- अरै छोरे! आपां नै तो फायदा इनेलो का ई सै। 10 साल हो गया, थारी कांग्रस नै सिरसा का तो बेड़ा ई गर्क कर दिया। ओ मेरी ढाणी ताईं पक्की सड़क जाया करदी। ईब दिखै सन् 47 म्हैं जीण लाग रह्यां.. सड़क पै झोटा रेहड़ी ले जांता बी डर लागै। अर सुणया है के तू बी घणा ए टाइम नौकरी खातर भाजया? फिरै है डांगर चराता!
कालू- ताऊ, ये भैंसा आला काम भी सरकारी पैसे से ही शुरू करा है कांग्रेस राज में।
मूला- (खीझ कर) जा फेर भाज जा.. तेरी भैंसा रोवण लाग री हैं। यो कांग्रेस आलां का 'हाथÓ तो दूध दुहण के काम ही आवैगा!
और ताऊ की बात सुनकर चौपाल पर दोनों की बहस को चुपचाप सुन रहे लोगों ने जोर का ठहाका लगाया और घरों की ओर चल दिए।

ग्रामीणों ने की स्कूल में तालाबंदी

सिरसा। स्कूल अपग्रेड करने की मांग को लेकर गांव नेजिया के लोगों ने आज स्कूल के मुख्य द्वार को ताला जड़ दिया। ग्रामीणों ने रोष प्रदर्शन किया और आगामी विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करने का ऐलान कर दिया।
ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव में राजकीय प्राथमिक पाठशाला है जिसके चलते उनके बच्चों को आठवीं के बाद शिक्षा ग्रहण करने के लिए दूर-दराज के गांवों में जाना पड़ता है। वे विगत लंबे समय से स्कूल अपग्रेड करने की मांग को लेकर आंदोलनरत हैं।  उल्लेखनीय है कि पिछले लोकसभा चुनावों में भी नेजिया गांव के लोगों ने इसी मांग को लेकर चुनावों का बहिष्कार किया था और गांव का कोई भी व्यक्ति मतदान करने नहीं गया। ग्रामीणों का कहना है कि उसके बाद कई नेताओं ने उनकी मांग पूर्ण करवाने का आश्वासन दिया था लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस संबंध में वे गत दिवस उपायुक्त से भी मिले थे और उन्हें तालाबंदी की सूचना भी दी थी लेकिन उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। ग्रामीणों ने आज सुबह स्कूल के मुख्य द्वार को ताला जड़ दिया और गेट के समक्ष ही रोष प्रदर्शन करने लगे। ग्रामीणों ने ऐलान किया कि यदि उनकी मांग अब भी नहीं मानी जाती तो वे विधानसभा चुनावों का भी बहिष्कार करेंगे।

सांगवान व गिल्लाखेड़ा नहीं सावित्री जिंदल करेंगी ध्वजारोहण

सिरसा। स्वतंत्रता दिवस समारोह स्थानीय शहीद भगत सिंह स्टेडियम में बड़े हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाएगा। ध्वजारोहण को लेकर बार-बार स्थिति बदल रही है। पहले सिरसा में ध्वजारोहण सहकारिता मंत्री सतपाल सांगवान द्वारा किए जाने का कार्यक्रम था जिसे बाद में बदल दिया गया। ध्वजारोहण की जिम्मेवारी  संसदीय सचिव हरियाणा प्रहलाद सिंह गिल्लाखेड़ा को दी गई। कुछ ही घंटों में कार्यक्रम में फिर तबदीली की गई। अब सरकारी प्रवक्ता का कहना है कि सिरसा में ध्वजारोहण प्रदेश की स्थानीय निकाय मंत्री सावित्री जिंदल करेंगी।

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