पीडि़तों ने की पत्रकारवार्ता, लगाए गंभीर आरोप
चंडीगढ़, 05 अक्तूबर। बलात्कार तथा हत्याओं के आरोपी डेरा सच्चा सौदा सिरसा के प्रमुख गुरमीत सिंह को बचाने के लिए सरकार ओछे हथकंडे अपना रही है। आगामी लोकसभा चुनावों को देखते हुए हरियाणा सरकार द्वारा बलात्कार के इस हाई प्रोफाइल मामले में अदालती कार्रवाई को प्रभावित करने के प्रयास निरंतर किए जा रहे हैं। उक्त आरोप इन मामलों में पीडि़त लोगों ने यहां प्रेस क्लब में पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए लगाए।
ज्ञातव्य हो कि अपनी साध्वियों से बलात्कार करने के आरोप में डेरा सच्चा सौदा सिरसा के प्रमुख गुरमीत सिंह पर सीबीआई जांच के बाद सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा आरोप तय किए गए थे। अब यह मामला पंचकूला स्थित सीबीआई की विशेष अदालत में निर्णायक दौर में है। इसके अलावा डेरा प्रमुख पर सिरसा के पत्रकार रामचन्द्र छत्रपति तथा अपने ही एक अनुयायी रणजीत सिंह की हत्या के मामले में इसी अदालत में चल रहे हैं।
बयानों के लिए बुलाया
शहीद पत्रकार रामचन्द्र छत्रपति के पुत्र अंशुल छत्रपति और रणजीत के पिता जोगेन्द्र सिंह ने कहा कि यौन शोषण मामले में अभियोजन पक्ष की गवाहियां पूरी हो चुकी हैं। इस मामले में अब आरोपी डेरा प्रमुख को 313 के बयानों के लिए व्यक्तिगत तौर पर पेश होने के लिए कहा गया है। 313 के तहत अपने बचाव में गवाही देनी होती है और उस पर आरोपी के हस्ताक्षर भी करवाए जाते हैं। इसलिए व्यक्तिगत रूप से पेश होना जरूरी है।
पेशी से ही क्यों परेशानी
राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए पीडि़तों ने कहा कि डेरा से मिलीभगत के कारण मुख्यमंत्री के निर्देश पर पंचकूला प्रशासन पंगु हो गया है। डेरा प्रमुख को माननीय न्यायालय ने पहले 17 सितंबर को व्यक्तिगत पेशी के आदेश दिए थे। तब पंचकूला प्रशासन ने अदालत में अर्जी देकर समय बढ़ाने की मांग की थी। अदालत ने उसके बाद 5 अक्तूबर की तिथि व्यक्तिगत पेशी के लिए निर्धारित की है। अब प्रशासन ने प्रबंध करने में नाकामी का हवाला देते हुए उच्च न्यायालय में फैसले के खिलाफ अपील की है। उन्होंने कहा कि सरकार के इशारे पर केवल मामले को लटकाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। डेरा प्रमुख अपने कार्यक्रमों को लेकर राज्य में जहां-तहां अनेक बार गया है और वहां भी डेरा द्वारा जमकर भीड़ एकत्रित की जाती है। डेरा प्रमुख की सुरक्षा को वहां भी खतरा हो सकता है, तो फिर पेशी के दौरान ही प्रशासन को परेशानी क्यों होती है?
पुलिस कर रही अदालत की अवमानना
अंशुल छत्रपति ने कहा कि विगत 17 सितंबर को पुलिस की याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई अदालत ने पुलिस को पांच अक्तूबर तक हर हाल में प्रबंध करने के निर्देश दिए थे। अपने निर्देशों में अदालत ने कठोर शब्दों में कहा था कि पुलिस प्रशासन अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती करने का प्रबंध करे लेकिन आरोपी का हर हाल में व्यक्तिगत रूप से पेश होना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अदालत के इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देकर सरकार व पुलिस प्रशासन माननीय अदालत की अवमानना कर रहे हैं। इस बात का भी उच्च न्यायालय को कड़ा संज्ञान लेना चाहिए।
बेहूदा दलीलों का बनाया पुलिंदा
पीडि़तों ने पत्रकारों के समक्ष पुलिस द्वारा अदालत में दी गई दलीलों का भी खुलासा किया। उन्होंने बताया कि पुलिस ने सर्वप्रथम 17 सितंबर को निचली अदालत में डेरा प्रमुख को खतरा बताया था। यहां गौरतलब है कि डेरा प्रमुख ने कई बार प्रदेश बार में अपने कार्यक्रमों के चलते दौरा किया है लेकिन वहां उसे खतरा क्यों नहीं होता? पुलिस की दलील थी कि 2007 में कनाडा के वैंकूवर से डेरा प्रमुख को मारने के लिए तीन आतंकवादी रवाना हुए हैं। इसके अलावा दलील दी गई थी कि दिल्ली पुलिस द्वारा गुरमीत सिंह को खतरा बताया गया है। उल्लेखनीय है कि विगत 10 सितंबर 2013 को डेरा प्रमुख ने दिल्ली में सफाई अभियान चलाया था। यदि दिल्ली में गुरमीत सिंह को खतरा होने के बावजूद पुलिस सुरक्षा के प्रबंध करने में सक्षम है तो पंचकूला पुलिस को क्यों परेशानी हो रही है?
अशुंल छत्रपति ने कहा कि इसके अलावा भी पुलिस द्वारा कई बेहूदा व हास्यास्पद दलीलें अपनी याचिका में दी गई हैं। यही नहीं उच्च अदालत में लगाई गई याचिका में पंचकूला पुलिस नवरात्र के कारण बंदोबस्त न कर पाने का बहाना बना रही है।
अशुंल छत्रपति ने कहा कि इसके अलावा भी पुलिस द्वारा कई बेहूदा व हास्यास्पद दलीलें अपनी याचिका में दी गई हैं। यही नहीं उच्च अदालत में लगाई गई याचिका में पंचकूला पुलिस नवरात्र के कारण बंदोबस्त न कर पाने का बहाना बना रही है।
गिरफ्तारी की नहीं आशंका
व्यक्तिगत पेशी के दौरान गिरफ्तारी की संभावना के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में अंशुल छत्रपति ने कहा कि कानूनी जानकारों के अनुसार गुरमीत सिंह की गिरफ्तारी की कोई आशंका नहीं है। व्यक्तिगत तौर पर बुलाने का मकसद केवल इतना ही है कि आरोपी के हस्ताक्षर उसकी गवाही पर होने हैं और यह प्रक्रिया वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संभव नहीं है। डेरा के लोग स्वयं गिरफ्तारी की अफवाहें फैला रहे हैं, ताकि अधिक से अधिक भीड़ एकत्र की जा सके।
कठोर फैसलें लें अदालतें
पीडि़त परिवारों ने कहा कि उन्हें अदालत से ही उम्मीद है। उन्होंने कहा कि देश की अदालतें बलात्कार के मामलों में कड़े व सराहनीय फैसले ले रही हैं। पीडि़त लड़कियों के लिए यह मामले पहाड़ से टकराने के समान हैं। सरकारों के साथ आरोपी की मिलीभगत शुरू से ही रही है, लेकिन अब पीडि़त लड़कियां पूरी तरह अदालत पर ही निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि अदालत द्वारा सरकार की अपील पर 22 अक्तूबर की तारीख मुकर्रर की गई है। इन मामलों में अर्जियों पर तुरंत सुनवाई होनी चाहिए।
मामले दिल्ली स्थानांतरित करवाने की कोशिश
अंशुल छत्रपति व जोगेन्द्र सिंह ने कहा कि वे डेरा सच्चा सौदा गुरमीत सिंह से सम्बंधित मामलों को दिल्ली स्थानांतरित किए जाने के लिए न्यायालय का द्वार खटखटाएंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें हालांकि यह कदम काफी पहले उठा लेना चाहिए था लेकिन अब डेरा सच्चा सौदा इन मामलों में अदालती प्रक्रिया को भी पूरी तरह से प्रभावित करने की कोशिश में है। इसके अलावा हरियाणा में डेरा की दबाव की रणनीति भी अत्याधिक कारगर साबित हो रही है। इसलिए यहां न्यायिक प्रक्रिया में सबकुछ पीडि़तों के पक्ष में होते हुए भी निष्पक्ष फैसले की उम्मीद कम हो रही है।
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