पंजाब काऊंटर से गायब हुई राशि
पुलिस ने मामला दर्जकर शुरू की जांच
सिरसा। बस स्टेंड से शुक्रवार को दिनदहाड़े सवा लाख रुपए की चोरी का मामला सामने आया है। चोरों ने पंजाब काऊंटर पर वारदात को अंजाम दिया। पंजाब रोडवेज के कर्मचारी के बयान पर पुलिस ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्जकर जांच शुरू कर दी है।
जानकारी के अनुसार सिरसा बस स्टेंड पर पंजाब को जाने वाली बसों का काऊंटर बना हुआ है। इस काऊंटर से सरदूलगढ़, मानसा, मलोट, पटियाला, चंडीगढ़ को जाने के लिए बसें रवाना होती है। इन मार्गों पर चलने वाली पंजाब रोडवेज की बसों की अग्रिम बुकिंग की जाती है। पंजाब रोडवेज के बुकिंग काऊंटर पर पिछले नौ वर्षों से सरदूलगढ़ निवासी बलविंद्र सिंह पुत्र करनैल सिंह कार्यरत है।
पुलिस में दर्ज करवाए अपने बयान में पीआरटीसी के कर्मचारी बलविंद्र सिंह ने बताया कि आज सुबह लगभग साढ़े आठ बजे वह कैश काऊंटर को लॉक करके लघुशंका के लिए गया। उसने बताया कि काऊंटर में सवा लाख रुपए से अधिक की नकदी थी। उसने बताया कि पिछले तीन दिनों की बुकिंग की राशि खजाने में जमा नहीं करवाई थी। उसने बताया कि जब वह लघुशंका से लौटकर आया तो काऊंटर का लॉक खुला हुआ था और नकदी गायब थी। उसने इसकी सूचना तत्काल बस स्टेंड चौकी पुलिस को दी। पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्जकर जांच शुरू कर दी है।
सिरसा। आयुक्त निशक्तजन हरियाणा शशी भारतभूषण ने आज सिरसा में निशक्तजनों के शिक्षण व प्रशिक्षण के लिए चलाई जा रही दिशा, हेलन केलर, प्रयास व आर.के.जे. श्रवण एवं वाणी विकलांग संस्थाओं का औचक निरीक्षण किया।
इस संबंध में उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि निरीक्षण के दौरान सभी शिक्षण संस्थाओं में शिक्षण एवं प्रशिक्षण का कार्य ठीक पाया गया। उन्होंने बताया कि निरीक्षण के दौरान इन संस्थाओं के बच्चों से उनके स्वास्थ्य, खाने व ठहरने की व्यवस्थाओं के बारे में पूछताछ की गई। उन्होंने अध्यापकों से कहा कि शिक्षा के स्तर में और अधिक सुधार की जरूरत है क्योंकि विशेष निशक्तजन बच्चों की शिक्षा के लिए उपरोक्त संस्थाओं के इलावा कोई विकल्प नहीं है क्योंकि सामान्य स्कूलों में इस प्रकार की विशेष शिक्षण सुविधा नहीं है। उन्होंने बताया कि पूरे भारत वर्ष में निशक्त जनों की उच्च शिक्षा के प्रशिक्षण के लिए केवल दो ही विश्वविद्यालय हैं, जिनमें से एक चित्रकुट तथा दूसरा लखनऊ में है। उन्होंने बताया कि इनके अतिरिक्त 7 राष्ट्रीय संस्थान है जिनमें अलग अलग श्रेणियों के लिए शिक्षण-प्रशिक्षण व रिसर्च की शिक्षा दी जाती है, जबकि हरियाणा में निशक्तजनों के लिए राष्ट्रीय संस्थान नहीं है।
उन्होंने कहा कि उनके अब तक के अनुभव के आधार पर यह महसूस किया गया है कि हरियाणा राज्य में निशक्तजनों की उच्च शिक्षा, डिग्री व डिप्लोमा के लिए विश्चविद्यालय या राज्य स्तरीय संस्थान होना चाहिए जिससे निशक्तजनों 'सम्मान अवसर, अधिकार व पूर्ण भागीदारीÓ अधिनियम 1995 का जो उदेश्य है वह पूरी तरह पूर्ण हो सके। उन्होंने कहा कि निशक्तजनों की शिक्षा के लिए विशेष शिक्षकों की जरूरत होती है, विश्वविद्यालय न होने से निशक्तजन विभिन्न विषयों में उच्च शिक्षा, डिग्री व डिप्लोमा पाने से वंचित रह जाते हैं। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि यदि निशक्तजनों के लिए शिक्षा संबंधी सभी सुविधाए उपलब्ध हो जाए तो निशक्त जन भी उच्च शिक्षा प्राप्त करके उच्च अधिकारी बन कर समाज व राष्ट्र के नव निर्माण में विशेष योगदान दे सकते हैं।
आयुक्त ने किया शिक्षण व प्रशिक्षण केन्द्रों का निरीक्षण
निशक्तजनों को मिल रही सुविधाओं की ली जानकारी
सिरसा। आयुक्त निशक्तजन हरियाणा शशी भारतभूषण ने आज सिरसा में निशक्तजनों के शिक्षण व प्रशिक्षण के लिए चलाई जा रही दिशा, हेलन केलर, प्रयास व आर.के.जे. श्रवण एवं वाणी विकलांग संस्थाओं का औचक निरीक्षण किया।इस संबंध में उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि निरीक्षण के दौरान सभी शिक्षण संस्थाओं में शिक्षण एवं प्रशिक्षण का कार्य ठीक पाया गया। उन्होंने बताया कि निरीक्षण के दौरान इन संस्थाओं के बच्चों से उनके स्वास्थ्य, खाने व ठहरने की व्यवस्थाओं के बारे में पूछताछ की गई। उन्होंने अध्यापकों से कहा कि शिक्षा के स्तर में और अधिक सुधार की जरूरत है क्योंकि विशेष निशक्तजन बच्चों की शिक्षा के लिए उपरोक्त संस्थाओं के इलावा कोई विकल्प नहीं है क्योंकि सामान्य स्कूलों में इस प्रकार की विशेष शिक्षण सुविधा नहीं है। उन्होंने बताया कि पूरे भारत वर्ष में निशक्त जनों की उच्च शिक्षा के प्रशिक्षण के लिए केवल दो ही विश्वविद्यालय हैं, जिनमें से एक चित्रकुट तथा दूसरा लखनऊ में है। उन्होंने बताया कि इनके अतिरिक्त 7 राष्ट्रीय संस्थान है जिनमें अलग अलग श्रेणियों के लिए शिक्षण-प्रशिक्षण व रिसर्च की शिक्षा दी जाती है, जबकि हरियाणा में निशक्तजनों के लिए राष्ट्रीय संस्थान नहीं है।
उन्होंने कहा कि उनके अब तक के अनुभव के आधार पर यह महसूस किया गया है कि हरियाणा राज्य में निशक्तजनों की उच्च शिक्षा, डिग्री व डिप्लोमा के लिए विश्चविद्यालय या राज्य स्तरीय संस्थान होना चाहिए जिससे निशक्तजनों 'सम्मान अवसर, अधिकार व पूर्ण भागीदारीÓ अधिनियम 1995 का जो उदेश्य है वह पूरी तरह पूर्ण हो सके। उन्होंने कहा कि निशक्तजनों की शिक्षा के लिए विशेष शिक्षकों की जरूरत होती है, विश्वविद्यालय न होने से निशक्तजन विभिन्न विषयों में उच्च शिक्षा, डिग्री व डिप्लोमा पाने से वंचित रह जाते हैं। उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि यदि निशक्तजनों के लिए शिक्षा संबंधी सभी सुविधाए उपलब्ध हो जाए तो निशक्त जन भी उच्च शिक्षा प्राप्त करके उच्च अधिकारी बन कर समाज व राष्ट्र के नव निर्माण में विशेष योगदान दे सकते हैं।
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