दीपोत्सव गनाने को शहर तैयार
खूब हुई खरीदारी, अब जश्र की तैयारी
सिरसा। दीपोत्सव मनाने के लिए शहरवासी जोरशोर से तैयारियां कर रहे हैं। शहर के प्रत्येक बाजार और मुख्य मार्ग पर अच्छी-खासी भीड़ जुटी हुई है। लोग खरीदारियों में लगे हुए हैं। विशेष रूप से हलवाइयों की दुकानों पर लोगों का जमावड़ा लगा हुआ है। लोगों के चेहरे खिले हुए हैं। बाजार में खरीदारियां जोरों पर हो रही हैं।
दीपावली पर इस बार विशेष रूप से सभी लोगों ने घरों और दुकानों को बिजली की रंगबिरंगी लडिय़ों से सजा रखा है। शहर का नजारा देखने लायक है। बाजारों में चहल-पहल है। भीड़-भाड़ होने के चलते यातायात व्यवस्था थोड़ी गड़बड़ाई है। मुख्य चौराहों व बाजारों में पुलिस कर्मियों की तैनाती की गई है, जिससे लोगों ने राहत महसूस की है। धनतेरस पर बाजार में अच्छा व्यापार होने के रुझान मिले हैं। इसी दिन से दीपावली की वास्तविक रौनक शुरू होती है। इस बार दीपोत्सव पर शहर अलग अंदाज में सजा हुआ है। सुबह से ही लोगों में अपने परिचितों को दीपावली पर उपहार देने की होड़ मच गई। इसके लिए मिठाइयों, क्रोकरी, ड्राइफ्रूटस व ज्वैलरी की जमकर खरीददारी हुई है। इसी तरह वाहन, इलैक्ट्रोनिक्स सामान, सजावटी सामान व रेडीमेड गारमेंटस की खरीददारी भी खुलकर हुई। बाजारों में पांव रखने की भी जगह नहीं है।
पूरा सच की अपील
सिरसा। वातावरण प्रदूषण दिनों-दिन हमारे लिए एक बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। पेड़ कम हो रहे हैं लेकिन वाहनों व अन्य माध्यमों से प्रदूषण की स्थिति लगातार चिंताजनक बन रही है। ऐसे में 'पूरा सचÓ शहर के सभी प्रबुद्ध नागरिकों से अपील करता है कि दीपावली पर पटाखों का जहां तक संभव हो सके, कम से कम इस्तेमाल करें। पटाखे जहां कानफोड़ू आवाज़ उत्पन्न कर लोगों को बहरा तक बना सकते हैं, वहीं उनका धुआं कई दिनों के लिए हमारे साथ-साथ वातावरण का दम भी घोंट देता है। पिछले कुछ वर्षों से हालांकि इस स्थिति पर आप सभी लोगों की जागरुकता के चलते काफी काबू हुआ है लेकिन फिर भी कसर अभी बाकी है। सभ्य नागरिकों के ऐसे छोटे-छोटे प्रयासों से ही देश, राज्य व शहर की पहचान बनती है। एक बार फिर से स्वच्छता की ओर कदम बढ़ाने का संकल्प लेते हुए आप सभी को दीपावली की शुभकामनाएं।
दीपावली आज, गोवर्घन पूजा कल - घर-घर पूजी जाएंगी लक्ष्मी, होंगे दीपदान
खुशियों के पर्व दीपावली श्रद्धा और आस्था के साथ खरीददारी भी चरम पर होगी। घर-घर में माता लक्ष्मी की पूजा, अर्चना और दीपदान भी होगा। देवालयों में ठाकुरजी को विशेष पोशाक धारण करवाकर ऋतु पुष्पों से श्रृंगार किया जाएगा।
दीपावली के अगले दिन अन्नूकट महोत्सव पर ठाकुरजी को विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा। इस दौरान मंदिर आकर्षक रोशनी से जगमगाते नजर आएंगे। गोवर्धन पूजन का समयगोवर्धन पूजा प्रात 7.59 से 10.47 बजे तक लाभ अमृत व दोपहर 12.11 से 1.35 बजे तक शुभ के चौघडिए में पूजन कर रहेगा। शाम को 4.23 से 5.47 बजे तक चर के चौघडिए में भी पूजन की जा सकती है। इस दिन चिरस्थिर नक्षत्र स्वाति रहेगा। इसलिए खरीददारी करना शुभफलादयी रहेगा। गोवर्धन पर खरीददारी के मुहुर्त लाभ--प्रात 7.59 से 9.23 बजे----वाहन, ज्वैलरीअमृत- प्रात: 9.24 से 10.47 बजे--घरेलू वस्तुएं, स्वर्णाभूषणशुभ-- दोपहर 12.11 से 1.35 बजे तक-- घरेलू वस्तुएं, स्वर्णाभूषण आदि ।
यम द्वितीया यानी भाई दूजदीपोत्सव के पांचवे दिन यम द्वितीया यानी भाईदूज मनाई जाएगी। इस दिन यमुना स्नान का विशेष महत्व होता है। यमुना के साथ-साथ चित्रगुप्त का भी पूजन किया जाएगा। सौभाग्यवती çस्त्रयां भाईदूज की पूजन कर भाई के तिलक लगाकर उसकी दीर्घायु की कामना करेंगी। पूजन का समय : प्रात 8.00 से 9.24 बजे तक शुभ के चौघडिए तथा दोपहर में 1.35 से शाम 4.23 बजे तक तथा सुबह 11.48 से दोपहर 12.33 बजे तक अभिजीत मुहुर्त में पूजन किया जा सकता है। खरीददारी के लिए शुभ भैया दूज के साथ त्रिपुष्कर योग का विशेष संयोग रहेगा। इसके साथ ही गुरू का नक्षत्र विशाखा रहेगा। यह दिन खरीददारी के लिए विशेष होगा। चौघडिया---समय---यह खरीदें शुभ--प्रात 8.00 से 9.24 बजे तक---मकान, दुकानलाभ--दोपहर 1.35 से 300 बजे तक-- घरेलू वस्तुएं, इलेक्ट्रोनिक वस्तुएं अमृत--दोपहर 3.00 से 4.23 बजे तक- इलेक्ट्रोनिक वस्तुएं, स्वर्णाभूषण ।
दीपावली पर इस मुहूर्त में कीजिए पूजा, लक्ष्मी का होगा अखंड वास
इस बार दीवाली पर अमावस्या अन्तरात्रि 3.27 तक रहेगी उसके बाद प्रतिपदा शुक्ल पक्ष की प्रारम्भ हो जाएगी। अमावस्या व शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा में समस्त शुभ व मांगलिक कार्य शुभ नहीं कहे गए। वैसे दिवाली का पर्व महालक्ष्मी का पर्व है। अत: सभी शुभापेक्षित कार्य शुभ व सफल सिद्ध होंगे।
दीपावली व लक्ष्मी पूजन का मुहूर्त
सभी धर्मग्रंथों व मुहूर्त ग्रंथों में कार्तिक कृष्ण अमावस्या को प्रदोष व रात्रि में ही दीपावली पर लक्ष्मी पूजन का श्रेष्ठ समय बतलाया गया है। अत: कल लक्ष्मी पूजन प्रदोषयुक्त अमावस्या को स्थिर लग्न व स्थिर नवांश में किया जाना सर्वश्रेष्ठ है। फिर लोग अपनी सुविधाओं को ध्यान में रखकर श्रेष्ठ चौघडिया मुहूर्तो का भी उपयोग कर लेते हैं। सभी दृष्टि से इस वर्ष लक्ष्मीपूजन का समय निम्नानुसार रहेगा।
पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय
पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय सायं 7.19 से 7.32 तक है। इसके अतिरिक्त प्रदोषकाल में सायं 5.48 से रात्रि 8.21 तक. वृष लग्न- रात्रि 7.07 से 9.04 तक, सिंह लग्न- मध्यरात्रि बाद 1.37 से रात्रि 3.53 तक के समय में भी मां महालक्ष्मी की पूजा की जा सकती है।
चौघडिया मुहूर्त निम्न प्रकार रहेंगे
अमृत व चर के चौघडिए सायं 5.48 से रात्रि 9.00 तक, लाभ का- मध्यरात्रि 12.11 से रात्रि 1.47 तक तथा शुभ व अमृत के- अन्तरात्रि 3.23 से अगले दिन सूर्योदय पूर्व तक।
विशेष- कुछ व्यापारी अपने उद्योग धन्धे-व्यवसाय आदि में दिवाली पूजन में दिवा मुहूर्तो को भी महत्व देने लगे हैं। ऎसी स्थिति में धनु लग्न को श्रेष्ठ मानते हैं क्योंकि धनु लग्न का स्वामी शुभग्रह गुरू ही तो है। इस दिन धनु लग्न प्रात: 10.45 से 12.49 तक रहेगी। यहां चर का चौघडिया भी विद्यमान रहेगा। जो पूजा कार्य में श्रेष्ठ रहेगा। मकर लग्न दोपहर 12.49 से दोपहर बाद 2.33 तक यद्यपि श्रेष्ठ हैं क्योंकि लग्न पर उच्च के गुरू की शुभ दृष्टि है और लग्नेश अपनी उच्चराशि तुला में दशम केन्द्र स्थान पर होगा, जिसमें लाभ व अमृत के चौघडिए भी रहेंगे, पर इसमें राहुकाल वेला शुभ नहीं रहेगी। तदन्तर राहुकाल वेला को टालते हुए अपराह्न 3.00 से सायं 4.03 तक कुम्भ लग्न व इसके बाद 4.03 से सूर्यास्त तक मीन लग्न व शुभ का चौघडिया भी श्रेष्ठ रहेगा। मीन लग्न पर उच्च के गुरू तथा भाग्येश की दृष्टि अति उत्तम मानी जाएगी। पूजा करने और कराने वाले दोनों को अत्यन्त लाभ होगा। व्यापार में प्रचुर लाभ व वृद्धि के साथ परिवार में नवीन खुशी का योग बनेगा।
इस दीवाली पर इन कार्यो को करना रहेगा शुभ
गुरूवार को समस्त धार्मिक व मांगलिक कार्य, पूजा, पाठ, प्रतिष्ठा, यज्ञ, हवन, विद्यारम्भ, नवीन वस्त्राभूषण धारण, नवीन वाहन घर में लाना और औषध संग्रह आदि कार्य शुभ रहते हैं।
इस तरह करें दीपावली पर पूजा, घर आएगी साक्षात लक्ष्मी
दीपावली पर मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने से घर में धन के भंडार भरते हैं तथा हर तरह की सुख, समृदि्ध और शांति आती है। आइए देखें कि इस दिन किस तरह से पूजा करनी चाहिए।
सबसे पहले घर में मौजूद पूजा स्थल की सफाई करें। इसके बाद एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछा कर मां के चित्र अथवा प्रतिमा को विराजमान कराएं। स्वयं किसी कंबल या चटाई के बने आसन पर बैठे। पूजा स्थल पर एक लोटा जल, थोड़े से चावल, लाल चन्दन, सुंगधित पुष्प, धूप अगरबत्ती, मिठाई तथा चांदी के सिक्के रखें।
इसके बाद सभी प्रतिमाओं को जल से स्नान कराकर तिलक लगाएं और निम्न मंत्र को बोलते हुए सभी चित्रों/ मूर्तियों पर जल छिड़के:
ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थाम गतोषपि वा।
य: स्मरेत पुंडरीकाक्षयम स बा±यभ्यन्तर: शुचि:।।
इसके बाद नई प्रतिमाओं की प्राणप्रतिष्ठा करने के लिए निम्न मंत्र कहें
ॐ मनो जुति: जूषतामाज्यस्य बृहस्पति: यज्ञम इमम तनोत्वरिष्टम यज्ञम समिमम दधातु । विश्वे देवास इह मादयनतामोम प्रतिष्ठ।।
उसके बाद गौरी गणेश के निम्न मंत्र का जाप करे:
ॐ गणानाम त्वा गणपतिम हवामहे प्रियाणाम त्वा प्रियपतिम हवामहे निधिनाम त्वा निधिपतिम हवामहे वसों मम। आहमजानि गर्भधमा त्वमजासी गर्भधम। ।
ॐ अम्बे अंबिके अंबालिके न मा नयति कश्चन। ससस्त्यश्व्क: सुभद्रिकाम काम्पील्वासिनीम।।
इसके बाद श्रीसूक्त में दिए गए लक्ष्मी जी के 16 मंत्रो का पूर्ण श्रद्धा भाव से जप करे। तत्पश्चात् मां लक्ष्मी की आरती कर प्रसाद वितरण करें। इस तरह पूजा करने से आपके घर में धन लाभ और शांति का आगमन शुरू हो जाएगा।
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