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Monday, 20 October 2014

डेरा प्रमुख के गांव में ही नहीं जीती भाजपा

गांव शाहपुर बेगू से कांडा हुए विजयी

सिरसा। डेरा सच्चा सौदा के समर्थन के कारण भाजपा की जीत का वहम इसी बात से दूर हो जाना चाहिए कि जिस जगह डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह ने स्वयं मताधिकार का प्रयोग किया, वहां पर ही भाजपा को मुंह की खानी पड़ी। गांव बेगू से गोपाल कांडा जीत कर निकले जबकि भाजपा प्रत्याशी सुनीता सेतिया यहां 124 मतों के अंतर से पराजित हुईं। यहां 42 ग्रामीणों ने 'नोटा' का बटन दबाया। उल्लेखनीय है कि डेरा सच्चा सौदा द्वारा सिरसा में भाजपा प्रत्याशियों का खुला समर्थन किया गया था। भाजपा को सिरसा में उबारने के लिए रणनीतिकारों द्वारा डेरा की सवारी का कोई भी असर पूरे संसदीय क्षेत्र तक में दिखाई नहीं दिया। डेरा को भी अंतिम समय में यह दिखने लगा कि उनके ढोल की पोल खुलने जा रही है। इसी कारण डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह ने स्वयं अपने बूथ पर जाकर मतदान करने की योजना भी बनाई। योजना के तहत  गद्दी संभालने के बाद संभवत: पहली बार डेरा प्रमुख ने गांव बेगू स्थित मतदान केंद्र पर अपने मताधिकार का प्रयोग किया। इस दौरान उनके साथ उनके परिवार के सदस्यों तथा अन्य लोगों ने भी मत डाले लेकिन गौर करने लायक बात यह है कि बेगू गांव से ही भाजपा प्रत्याशी सुनीता सेतिया नहीं जीत पाईं। भाजपा प्रत्याशी को यहां कुल 1434 मत प्राप्त हुए जबकि उन्हें 1558 मत प्राप्त कर गोपाल कांडा ने यहां मात दी। खास  बात यह है कि तीसरे नंबर पर रहे मक्खन सिंगला केवल तीन मतों के अंतर से सुनीता सेतिया से पिछड़े। डेरा सच्चा सौदा के समर्थन के बाद लोगों की जुबानी इस गांव में एक तरफा माहौल भाजपा को बताया जा रहा था लेकिन यहां का हाल देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि डेरा के समर्थन के बाद प्रदेश में इसका कितना असर रहा होगा। 

...लेकिन सिरसा नहीं जीत पाए मक्खन

सिरसा। भले ही मक्खन सिंगला विधानसभा में सिरसा का प्रतिनिधित्व कर रहे हों लेकिन वे सिरसा से नहीं जीते। जी हां, सिरसा शहर में मक्खन सिंगला तीसरे स्थान पर रहे हैं। सिरसा शहर की बात करें तो यहां से हरियाणा लोकहित पार्टी के गोपाल कांडा विजयी होकर निकले जबकि भारतीय जनता पार्टी की सुनीता सेतिया बहुत कम अंतर के साथ दूसरे स्थान पर रहीं। गांवों में सिंगला प्रथम, कांडा दूसरे तथा सुनीता सेतिया तीसरे स्थान पर रहीं।
शहरी मतदाताओं ने अपने प्रतिनिधि के रूप में न तो सिंगला को पसंद किया और न ही सुनीता सेतिया को। सिंगला तो शहरी मतदाताओं की पसंद के मामले में तीसरे पायदान पर रहे। सिंगला को गांवों से इतना बहुमत  मिला कि वे अप्रत्याशित जीत दर्ज कर गए। शहर के सभी वार्डों के मतों को मिलाया जाए तो गोपाल कांडा को कुल 27465 मत मिले। सुनीता सेतिया मात्र 83 मतों के अंतर के साथ दूसरे स्थान पर रहीं। सेतिया को 27382 मत मिले। इसके बाद इनेलो के मक्खन सिंगला को 24915 मत मिले। 
सिंगला को सिरसा हल्का का विधायक बनाने में 22 गांवों का अहम रोल रहा। 22 गांवों में से सिंगला ने भारी अंतर के साथ जीत दर्ज की जबकि 8 गांवों में गोपाल कांडा विजयी हुए। गौरतलब है कि केवल एक गांव से सुनीता सेतिया को बहुमत हासिल हो पाया। डिंग के निकट स्थित गांव गदली  में भाजपा प्रत्याशी सुनीता सेतिया ने जीत दर्ज की। 

एक ही गांव से मात्र दो मतों से जीतीं सेतिया

सिरसा। भाजपा प्रत्याशी को गांवों के मतदाताओं ने सिरे से नकार दिया। सिरसा हल्का में कुल 31 गांव आते हैं। इनमें से 22 गांवों से मक्खन सिंगला जीत कर निकले जबकि 8 गांवों में कांडा विजयी हुए। सिर्फ एक गांव गदली से सुनीता सेतिया जीत पाईं। बड़ी बात यह रही कि सुनीता सेतिया ने यहां भी सिर्फ दो मतों से मक्खन सिंगला को मात दी। गांव गदली से सुनीता सेतिया को 189 मत मिले जबकि मक्खन सिंगला को 187 मत मिले। कांडा यहां तीसरे स्थान पर रहे। 

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