हरभगवान चावला
(उन तमाम अवसरवादी अपराधियों और भ्रष्टाचारियों के नाम, जो अन्ना के साथ खड़े दिखाई दे रहे हैं)
थोड़ा सो कर, थोड़ा खा कर, आते हैं हम अन्ना जी
पापों की गठरी को छुपाकर, आते हैं हम अन्ना जी
लाठी-गोली, गुंडा-टोली, अब इस देश की किस्मत है
इसी बात की याद दिलाने, आते हैं हम अन्ना जी
दुनिया के हर देश में अपनी, अरबों-खरबों की दौलत है
अपनी दौलत यूंही रहेगी, आते हैं हम अन्ना जी
हेराफेरी, गुंडागर्दी, ये तो अपना पेशा है
फिर भी तुमको शीश झुकाने, आते हैं हम अन्ना जी
मां की पीठ में छुरा घोंपकर, बोलें वन्दे मातरम्
नए युग का यही चलन है, आते हैं हम अन्ना जी
'मैं भी अन्नाÓ की टोपी में, सारे पाप छुप जाते हैं
सिर पर टोपी रहने देना, आते हैं हम अन्ना जी
हमसे ये उम्मीद न करना, हम शहीद हो जाएंगे
शहीद तो तुमको ही होना है, आते हैं हम अन्ना जी
तार-तार किया है हमने, भारत मां के आंचल को
पर इस मां का झंडा लेकर, आते हैं हम अन्ना जी
तेरे दामन पर तो माना, इत्ता-सा भी दा$ग नहीं
दा$ग-दा$ग दामन को करने, आते हैं हम अन्ना जी
हम छलिए हैं, छल ही किया है, छल ही करेंगे आगे भी
तुमसे भी अब छल करने को, आते हैं हम अन्ना जी
लाशों पर से क$फन उतारे, सोना-चांदी जमा किया
तुमको भी अब क$फन ओढाने, आते हैं हम अन्ना जी
वक़्त की ऐसी-तैसी हो गई, तुम जैसों की लहर चली
इसी लहर में तुम्हें डुबोने, आते हैं हम अन्ना जी
पापों की गठरी को छुपाकर, आते हैं हम अन्ना जी
लाठी-गोली, गुंडा-टोली, अब इस देश की किस्मत है
इसी बात की याद दिलाने, आते हैं हम अन्ना जी
दुनिया के हर देश में अपनी, अरबों-खरबों की दौलत है
अपनी दौलत यूंही रहेगी, आते हैं हम अन्ना जी
हेराफेरी, गुंडागर्दी, ये तो अपना पेशा है
फिर भी तुमको शीश झुकाने, आते हैं हम अन्ना जी
मां की पीठ में छुरा घोंपकर, बोलें वन्दे मातरम्
नए युग का यही चलन है, आते हैं हम अन्ना जी
'मैं भी अन्नाÓ की टोपी में, सारे पाप छुप जाते हैं
सिर पर टोपी रहने देना, आते हैं हम अन्ना जी
हमसे ये उम्मीद न करना, हम शहीद हो जाएंगे
शहीद तो तुमको ही होना है, आते हैं हम अन्ना जी
तार-तार किया है हमने, भारत मां के आंचल को
पर इस मां का झंडा लेकर, आते हैं हम अन्ना जी
तेरे दामन पर तो माना, इत्ता-सा भी दा$ग नहीं
दा$ग-दा$ग दामन को करने, आते हैं हम अन्ना जी
हम छलिए हैं, छल ही किया है, छल ही करेंगे आगे भी
तुमसे भी अब छल करने को, आते हैं हम अन्ना जी
लाशों पर से क$फन उतारे, सोना-चांदी जमा किया
तुमको भी अब क$फन ओढाने, आते हैं हम अन्ना जी
वक़्त की ऐसी-तैसी हो गई, तुम जैसों की लहर चली
इसी लहर में तुम्हें डुबोने, आते हैं हम अन्ना जी
कवि सिरसा के प्रख्यात साहित्यकार हैं
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