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सच और झूठ के बीच कोई तीसरी चीज नहीं होती और मैं सच के साथ हूं : छत्रपति       www.poorasach.com      

Sunday 23 November 2014

छत्रपति सम्मान से बढ़ा दायित्व : रवीश

सिरसा। शहीद पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की स्मृति में कृषि विज्ञान केंद्र के सभागार में आयोजित सम्मान समारोह में छत्रपति सम्मान एनडीटीवी इंडिया के कार्यकारी संपादक रवीश कुमार को जबकि शहीद छत्रपति पत्रकारिता पुरस्कार 'खबरें अभी तक' के प्रधान संपादक उमेश जोशी को दिया गया। सम्मान में दोनों वरिष्ठ पत्रकारों को प्रशस्त्रि पत्र एवं स्मृति चिन्ह दिया गया एवं शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया। साहित्य एवं सामाजिक सरोकारों को समर्पित संस्था संवाद एवं हरियाणा जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस कार्यक्रम में जनमत की राजनीति विषय पर बतौर मुख्य वक्ता एनडीटीवी इंडिया के कार्यकारी संपादक रवीश कुमार ने अपनी बात तार्किक अंदाज में तथ्यों के संग रखी। कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय विश्वविद्यालय बङ्क्षठडा के प्रो. चमन लाल एवं बार एसोसिएशन, सिरसा के प्रधान रमेश मेहता ने की। मंच संचालन संयुक्त रूप से प्रो. हरभगवान चावला एवं संवाद के सचिव परमानंद शास्त्री ने किया। 
रवीश कुमार ने जनमत की राजनीति पर गहरी पैठ से प्रकाश डालते हुए कहा कि अभिव्यक्ति का खतरा उस जमाने में भी था जब संचार और सूचना तंत्र के साधन नहीं थे। उन्होंने कहा कि आज जनमत बन नहीं रहा है, बल्कि जनमत का एक तरह से उत्पादन हो रहा है। नेटवर्क का दायरा बहुत व्यापक हो गया है। सोशल मीडिया अब सोशल नहीं रहा है और यहां पर एंटी सोशल एलीमेंट्स हावी हुए जा रहे हैं। न्यूज चैनलों पर दिखाई जा रही डिबेट को उन्होंने फायदेमंद की बजाय नुक्सानदाक बताते हुए कहा कि जनमत की फैक्ट्रियां बनीं इन डिबेट को सतर्कता से देखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि एक तरह से ट्रेन किए हुए दलों के प्रवक्ता सवालों का जवाब एक ही स्टाइल में देते हैं। उन्होंने कहा कि आज के दौर में दर्शक भी इनोसेंट नहीं रहा है। जनता का धुव्रीकरण हुआ है। जनमत अब विचार न होकर डिब्बा बन गया है जो एक पैकेज में परोसा जा रहा है। उन्होंने छत्रपति सम्मान के लिए आभार जताते हुए कहा कि ये जितने भी अवार्ड हंै एक तरह से जमीर के पहरेदार बन गए हैं। इससे अपनी जिम्मेदारी का दायित्वबोध होता है और ये अवार्ड चुनौती भी बनते हैं। 
'खबरें अभी तक' के प्रधान संपादक उमेश जोशी ने अपने संक्षिप्त लेकिन सटीक वाचन में कहा कि व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई के लिए अदम्य साहस की जरूरत रहती है। जगह, स्थान और पद इस दायरे में नहीं आते। बल्कि छोटी जगह पर भी छोटे समाचार पत्रों में बहुत से पत्रकार इस जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं और छत्रपति इसकी मिसाल हैं।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रो. चमन लाल ने देश-प्रदेश में फैले पाखंड व ढोंगी बाबाओं पर जमकर कटाक्ष किए और इसे देश की एकता व अखंडता के लिए खतरा बताया। उन्होंने डेरा सच्चा सौदा की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लगाए और छत्रपति को लोकतंत्र का सच्चा प्रहरी बताया। 
इससे पहले हरियाणा जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन की ओर से अमित तिवाड़ी ने उमेश जोशी के प्रशस्ति पत्र का जबकि संवाद की ओर से वीरेंद्र भाटिया ने रवीश कुमार के प्रशस्ति पत्र का वाचन किया। कार्यक्रम के शुरूआती दौर में गायिका तरन्नुम भारती ने गीत जबकि राज वर्मा ने हरभजन ङ्क्षसह रेणू की गजल प्रस्तुत की। तदोपरांत अतिथियों ने साहित्यकार हरभगवान चावला के कहानी संग्रह 'हमकूं मिल्या जियावनहारा' का लोकार्पण किया। एडवोकेट लेखराज ढोट ने छत्रपति के जीवन से परिचित करवाया और वर्तमान दौर में व्यवस्था पर सवाल खड़े किए।
इस अवसर पर संवाद के सचिव हरविंद्र सिंह, एचजेए के सचिव हितेष चतुर्वेदी, नवदीप सेतिया, संजीव शर्मा सहित दोनों संस्थाओं के सदस्य एवं क्षेत्र के विभिन्न सामाजिक एवं राजनीतिक संस्थाओं के सदस्य एवं अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे। 

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