सिविल अस्पताल में नहीं बाल रोग विशेषज्ञ
निजी चिकित्सकों को दिए जा रहे 60 हजार रुपए
सिरसा। स्वास्थ्य विभाग डबवाली सिविल अस्पताल में नवजात शिशु की सुरक्षा के लिए पिछले डेढ़ वर्ष से बाल रोग विशेषज्ञ का पद रिक्त होने के कारण निजी चिकित्सकों को पैसा लुटा रहा है। एक बच्चे के जन्म के बाद सिविल अस्पताल में पहुंचने पर निजी चिकित्सक एक हजार रुपए वसूल करता है। यह कीमत बच्चे के चैकअप तक सीमित है अगर नवजात शिशु को वह अपने निजी अस्पताल में दाखिल करता है, तो परिजनों की जेब ढीली होनी शुरू हो जाती है।
सिविल अस्पताल में हर माह करीब सौ से सवा सौ डिलीवरी होती हैं। प्रतिदिन डिलीवरी की एवरेज चार की बैठती है। अस्पताल में डिलीवरी के बाद बच्चे को होने वाली बीमारियों से बचाव के लिए कोई प्रबंध नहीं है। डेढ़ वर्ष पूर्व सिविल अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ ने नौकरी छोड़कर प्राईवेट प्रेक्टिस शुरू कर दी थी। स्वास्थ्य विभाग ने उनकी जगह बाल रोग विशेषज्ञ नियुक्त नहीं किया। तत्कालीन सरकार ने डबवाली के सरकारी अस्पताल में डिलीवरी की अच्छी एवरेज को देखते हुए वार्मर, फोटो थेरेपी जैसा सामान उपलब्ध करवाया था। जिनके प्रयोग से जन्म के बाद शिशुओं को होने वाली विभिन्न तरह की बीमारियों से बचाया जा सके लेकिन बाल रोग विशेषज्ञ के लिए जरूरी साजो सामान अस्पताल के स्टोर रूम में पड़ा धूल फांक रहा है।
तीन निजी चिकित्सकों से है गठबंधन:सिविल अस्पताल ने शहर के तीन निजी चिकित्सकों से गठजोड़ कर रखा है। डिलीवरी होने के बाद करीब पचास फीसदी मामलों में तीनों चिकित्सकों में से किसी एक को सिविल अस्पताल में बुलाया जाता है। निजी चिकित्सक बच्चे की जांच करते हैं। इसकी एवज में सरकार चिकित्सक को एक हजार रूपए देती है। अगर बच्चा गंभीर हो और सिविल अस्पताल में इलाज संभव न हो तो निजी चिकित्सक उसे अपने अस्पताल में ले जाते हैं। जिसका खर्च सरकार नहीं, बच्चे के परिजनों को भुगतना पड़ता है। जिसका सरकारी स्तर पर कोई कंट्रोल नहीं होता। हर माह निजी चिकित्सकों पर स्वास्थ्य विभाग पचास से 60 हजार रुपए खर्च करता है। जबकि हरियाणा में बाल रोग विशेषज्ञ की सैलरी करीब 40 हजार रुपए से कम है। निजी चिकित्सक के कहने पर अगर परिजन अपने बच्चे को निजी अस्पताल में नहीं ले जाना चाहते तो सिविल अस्पताल से बच्चे को 60 किलोमीटर की दूरी पर सिरसा के सामान्य अस्पताल में बने न्यू बोर्न केयर यूनिट के लिए रैफर कर दिया जाता है।
यह बोले एसएमओ:एसएमओ एमके भादू ने कहा कि बाल रोग विशेषज्ञ न होने से नवजात की सही संभाल के लिए निजी चिकित्सक को बुलाना पड़ता है। करीब 50 फीसदी मामलों में निजी चिकित्सक सिविल अस्पताल में आते हैं। एक बच्चे के पीछे चिकित्सक को एक हजार रुपए दिए जाते हैं। जिसे स्वास्थ्य विभाग चुकाता है। बाल रोग विशेषज्ञ की मांग हर माह रिपोर्ट भेजकर की जाती है।
No comments:
Post a Comment