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Saturday 29 October 2011

युवा शक्ति को बढ़ावा देने की आवश्यकता : डा. भारद्वाज

 सीडीएलयू में पोलिटिकल एसोसिएशन की 15वीं राष्ट्रीय कांफ्रेंस का उद्घाटन
सिरसा। भारत के विकास प्रक्रिया को सुदृढ़ बनाने में समाजशास्त्रियों, अर्थशास्त्रियों, राजनीतिक शास्त्रियों, मनोवैज्ञानिकों के साथ-साथ विश्वविद्यालयों में हो रहे शोध कार्यों की महत्वपूर्ण भूमिका है।
    उक्त उद्गार चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय के कुलपति डा.के.सी.भारद्वाज ने विश्वविद्यालय के सी.वी.रमन विज्ञान ब्लॉक में स्थित सेमिनार हॉल में आयोजित इंडियन पोलिटिकल एसोसिएशन की 15वीं राष्ट्रीय कांफ्रेंस का विधिवत उद्घाटन के उपरांत उपस्थित शोधार्थियों, समाजशास्त्रियों व अर्थशास्त्रियों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। डा. भारद्वाज ने कहा कि चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय में शोध के क्षेत्र में गुणवत्तापूर्वक कार्य करवाएं जाएंगे। उन्होंने कहा कि मुझे पूरा विश्वास है कि अर्थशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित इस कांफ्रेंस में भारत की अर्थव्यवस्था  व विकास से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर गहनता से आत्ममंथन होगा और भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा व दशा प्रदान करने के महत्वपूर्ण तथ्य उभर कर सामने आएंगे। डा. भारद्वाज ने कहा कि आने वाले समय में भारत के अंदर सबसे ज्यादा युवा होंगे। इस युवा शक्ति को महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में कार्यरत प्राध्यापकों के माध्यम से भली भांति शिक्षित करके इनकी युवा शक्ति को सही दिशा प्रदान की जा सकती है। अर्थशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कांफ्रेंस के उद्घाटनीय सत्र में सामाजिक विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता व विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा. मनोज सिवाच ने आए हुए मेहमानों का स्वागत किया जबकि इंडियन पोलिटिकल इकनॉमी एसोसिएशन के कार्यों के बारे में जानकारी डा. वी.उपाध्याय द्वारा दी गई। आए हुए मेहमानों का धन्यवाद विभाग के अध्यक्ष डा. अभय गोदारा द्वारा किया गया और मंच का संचालन अर्थशास्त्र विभाग के प्राध्यापक अशोक भाटिया द्वारा किया गया। इसके उपरांत प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक के अर्थशास्त्र विभाग से सेवानिवृत प्रोफेसर डा. सुरेन्द्र कुमार ने की। इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ  पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन नई दिल्ली के रिटायर्ड प्रो. डा. कमल नयन काबरा ने कालाधन, भ्रष्ट्राचार, याराना पूंजीवाद व नव उदारवाद पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत किया और कहा कि भारत में कार और टेलीकॉम का उत्पादन अनाज से ज्यादा हो गया है जिसके फलस्वरूप अमीर व्यक्ति अमीर होता जा रहा है और गरीब और अधिक गरीब होता जा रहा है। इसके उपरांत एच.ए.यू. हिसार के सेवानिवृत प्रो. एस.डी.चमोला ने भूमि अधिग्रहण के बारे में जिक्र करते हुए कहा कि भूमि का अधिग्रहण केवल जनता की सुविधा के अनुसार होना चाहिए और भूमि अधिग्रहण से पूर्व भूमि मालिकों व स्थानीय निकायों से परामर्श ले लेना चाहिए। गुरूनानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर के वाणिज्य विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक ए.एस.सिद्धू ने आर्थिक सुधारों के ऊपर अपना पर्चा पढ़ा। इसके उपरांत नई दिल्ली के प्रो. वी.उपाध्याय ने आर्थिक मंदी के ऊपर अपना शोध प्रस्तुत किया। इसके उपरांत तीसरे तकनीकी सत्र में अनेक विद्धवानों द्वारा वैश्वीकरण व भूमि अधिग्रहण विषय पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए गए।

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