सिरसा। इफको के किसान सेवा केन्द्र पर खाद लेने के लिए लोगों की कतार टूटने का नाम नहीं ले रही है। हालात यह हैं कि कल से कतारबद्ध लोगों को आज पर्ची मिल रही है। कई किसान तो रात भी कतार में ही काट रहे हैं। सड़क पर सोते हैं और सुबह उठकर फिर कतार में लग जाते हैं। लेकिन केन्द्र के अधिकारियों का दिल यह देखकर जरा भी नहीं पसीजता है। केन्द्र हर रोज अपने नियत समय से करीब एक घंटा देरी से खुलता है। इसके बावजूद भी कई देर तक किसान पर्ची पाने के लिए खिड़की खुलने की ताक में रहते हैं।
आज संवाददाता सुबह करीब 7:30 बजे इफको के अनाज मंडी स्थित किसान सेवा केंद्र पर पहुंचा तो वहां की स्थिति देख भौचक्का रह गया। करीब 200 लोग पर्ची के इंतजार में खिड़की खुलने से डेढ़ घंटा पहले ही कतार में लगे थे। कतार में आगे खड़े किसान महेंद्र फतहपुरिया ने बताया कि वे कल रात से यहीं हैं। रात को वहीं सोए और सुबह करीब 2 बजे उठकर पुन: लाईन में लग गए। इसके अलावा गांव मल्लेवाला के फौजी कपूर सिंह ने बताया कि वे सुबह अढाई बजे आकर कतार में लगे। इसके बावजूद वे 60 लोगों के पीछे थे।
इस पूरे वाकये पर नजर रखे हुए संवाददाता ने देखा कि करीब 10 बजे केंद्र खोला गया। ज्ञातव्य हो कि केंद्र खुलने का नियत समय सुबह 9 बजे है। यही नहीं, केंद्र पर पहुंचे अधिकारी ने वहां पहुंचकर एक-दो किसानों की पर्चियां काटी और उसके बाद खिड़की बंद कर दी। किसानों द्वारा जब आपत्ति दर्ज की गई तो उसने बताया कि वे अपना रजिस्टर लाना भूल गए हैं। किसानों द्वारा हल्ला किए जाने के बाद उसने पुन: पर्चियां काटनी आरंभ कीं।
आज संवाददाता सुबह करीब 7:30 बजे इफको के अनाज मंडी स्थित किसान सेवा केंद्र पर पहुंचा तो वहां की स्थिति देख भौचक्का रह गया। करीब 200 लोग पर्ची के इंतजार में खिड़की खुलने से डेढ़ घंटा पहले ही कतार में लगे थे। कतार में आगे खड़े किसान महेंद्र फतहपुरिया ने बताया कि वे कल रात से यहीं हैं। रात को वहीं सोए और सुबह करीब 2 बजे उठकर पुन: लाईन में लग गए। इसके अलावा गांव मल्लेवाला के फौजी कपूर सिंह ने बताया कि वे सुबह अढाई बजे आकर कतार में लगे। इसके बावजूद वे 60 लोगों के पीछे थे।
इस पूरे वाकये पर नजर रखे हुए संवाददाता ने देखा कि करीब 10 बजे केंद्र खोला गया। ज्ञातव्य हो कि केंद्र खुलने का नियत समय सुबह 9 बजे है। यही नहीं, केंद्र पर पहुंचे अधिकारी ने वहां पहुंचकर एक-दो किसानों की पर्चियां काटी और उसके बाद खिड़की बंद कर दी। किसानों द्वारा जब आपत्ति दर्ज की गई तो उसने बताया कि वे अपना रजिस्टर लाना भूल गए हैं। किसानों द्वारा हल्ला किए जाने के बाद उसने पुन: पर्चियां काटनी आरंभ कीं।
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